पटना: बिहार में लोक आस्था के महापर्व छठ (Mahaparv Chhath in Bihar) को अब कुछ ही दिन बचे हैं. राजधानी में जिस तरह से गंगा घाटों की स्थिति काफी खतरनाक हैं. कई ऐसे घाट हैं, जिन्हें जिला प्रशासन ने खतरनाक घोषित कर दिया है. ऐसे में राजधानी की एक बड़ी आबादी है, जिनके लिए छठ करने का एकमात्र सहारा वहां के तालाब और पोखर होते हैं. ऐसे में लोग तालाबों की साफ-सफाई में जुट गई हैं.
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महिलाओं ने की सफाई: राजधानी के हनुमान नगर के पार्क की साफ-सफाई का जिम्मा खुद स्थानीय महिलाओं ने लिया है. पूर्व वार्ड पार्षद भी मजदूरों के साथ मैदान में उतरी और जमकर साफ सफाई की, वहीं पूर्व वार्ड पार्षद ने कहा कि इस बार जिस तरह से गंगा नदी पर बने कुछ घाटों को खतरनाक घोषित किया गया है, वैसे में लोगों के लिए जरूरी है कि वह सावधानीपूर्वक अपने घर के आस-पास जो तालाब है उसका इस्तेमाल करें और सुरक्षा के साथ लोक आस्था के महापर्व छठ मनाए.
"इस बार जिस तरह से गंगा नदी पर बने कुछ घाटों को खतरनाक घोषित किया गया है, वैसे में लोगों के लिए जरूरी है कि वह सावधानीपूर्वक अपने घर के आस-पास जो भी तालाब है उसका इस्तेमाल करें और सुरक्षा के साथ लोक आस्था का महापर्व छठ मनाए."- माला सिन्हा, पूर्व वार्ड पार्षद
गंगा के घाटों पर बना दलदल: बता दें कि गंगा नदी का जल स्तर बढ़ने के कारण इस बार राजधानी पटना में घाटों की संख्या बहुत कम कर दी गई है. जिला प्रशासन ने कई घाटों को खतरनाक घोषित किया है जहां छठ व्रतियों को अर्घ्य देने को मनाही है. कहीं ना कहीं राजधानी पटना में छठ महापर्व बड़ी संख्या में लोग मनाते हैं और बाहर से भी लोग यहां पर छठ व्रत करने पहुंचते हैं, ऐसे में राजधानी पटना के पार्क में जो तालाब पहले से बने हुए हैं वहां लोग सूर्य भगवान को अर्घ्य देंगे. पटना जू में भी झील के किनारे हजारों की संख्या में छठ व्रती अर्घ्य देते हैं वहां भी साफ सफाई शुरू कर दी गई है. कई जगह सोसाइटी में लोग कृत्रिम तालाब का निर्माण भी कर सूर्य को अर्घ्य देते है इसकी भी तैयारी जोरों पर है.
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