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कालिदास रंगालय में अंतिम दिन नाटक 'सीमा पार' का किया गया मंचन

पटना के स्थित बिहार आर्ट थियेटर में चल रहे प्रेम नाथ खन्ना स्मृति आदिशक्ति नाट्य महोत्सव तीसरे दिन सपन्न हो गया. अंतिम दिन कलाकारों ने ममता मेहरोत्रा की कहानी 'सीमा पार' का मंचन कालिदास रंगालय में किया गया.

मंचन
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Published : Jan 30, 2021, 2:48 AM IST

Updated : Jan 30, 2021, 6:40 AM IST

पटना: राजधानी पटना स्थित बिहार आर्ट थियेटर में चल रहे प्रेम नाथ खन्ना स्मृति आदिशक्ति नाट्य महोत्सव तीसरे दिन सपन्न हो गया. अंतिम दिन कलाकारों ने कहानी 'सीमा पार' का मंचन किया गया.

सीमा पार का मंचन
सीमा पार का मंचन

नाटक 'सीमा पार' का मंचन
नाटक सीमा पार में देश की सरहद पर किस तरीके से खूनी जंग होती है, उसे दर्शाया गया है. किस तरीके से भीषण विध्वंस की वजह बनती भयावह लड़ाईयों की साक्षी बनती रही है. वजह चाहे जो हो लेकिन समय-समय पर दो देशों के बीच युद्ध होते रहे और अनगिनत इंसानों की जानें भी जाती रही है.

पढ़ें: मोतिहारी: राधामोहन सिंह ने कांग्रेस पर कसा तंज, कहा- सत्ता छीन जाने के बाद छटपटा रहे हैं

इस विकट परिस्थिति में भी भारत के वीर जवान और सैनिक मानवता का वजूद बचाने में सक्षम रहे हैं. नाटक सीमा के पार में यह दिखाया गया है कि किस तरीके से सिर्फ इंसानियत देश और समाज के लिए जरूरी है. सिर्फ इंसानियत के ऊपर कर प्रभावित तरीके से हमारे सामने लाती है, बल्कि इस बात को स्थापित भी कर दी है कि परिस्थितियां चाहे जो भी हो इंसानियत का जीवित रहना जरूरी है.

इस नाटक के जरिए इंसानियत बनाए रखना भाईचारे का संदेश देना है. मजहब और धर्म हमें कभी इंसानियत धर्म को भूलने की सलाह नहीं देता है. हम सभी मानव है और सभी को एक दूसरे की सहायता करनी चाहिए.

पटना: राजधानी पटना स्थित बिहार आर्ट थियेटर में चल रहे प्रेम नाथ खन्ना स्मृति आदिशक्ति नाट्य महोत्सव तीसरे दिन सपन्न हो गया. अंतिम दिन कलाकारों ने कहानी 'सीमा पार' का मंचन किया गया.

सीमा पार का मंचन
सीमा पार का मंचन

नाटक 'सीमा पार' का मंचन
नाटक सीमा पार में देश की सरहद पर किस तरीके से खूनी जंग होती है, उसे दर्शाया गया है. किस तरीके से भीषण विध्वंस की वजह बनती भयावह लड़ाईयों की साक्षी बनती रही है. वजह चाहे जो हो लेकिन समय-समय पर दो देशों के बीच युद्ध होते रहे और अनगिनत इंसानों की जानें भी जाती रही है.

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इस विकट परिस्थिति में भी भारत के वीर जवान और सैनिक मानवता का वजूद बचाने में सक्षम रहे हैं. नाटक सीमा के पार में यह दिखाया गया है कि किस तरीके से सिर्फ इंसानियत देश और समाज के लिए जरूरी है. सिर्फ इंसानियत के ऊपर कर प्रभावित तरीके से हमारे सामने लाती है, बल्कि इस बात को स्थापित भी कर दी है कि परिस्थितियां चाहे जो भी हो इंसानियत का जीवित रहना जरूरी है.

इस नाटक के जरिए इंसानियत बनाए रखना भाईचारे का संदेश देना है. मजहब और धर्म हमें कभी इंसानियत धर्म को भूलने की सलाह नहीं देता है. हम सभी मानव है और सभी को एक दूसरे की सहायता करनी चाहिए.

Last Updated : Jan 30, 2021, 6:40 AM IST
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