पटना: चुनावी रणनीतिकार और जेडीयू के पूर्व उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपने सियासी एजेंडे की पहली झलक दिखला दी. आंकड़ों का हवाला देकर उन्होंने न केवल अपने पितातुल्य नीतीश कुमार के विकास की कलई खोली, बल्कि आने वाले 10 सालों में बिहार को विकसित राज्य बनाने के सपने दिखाने की भी पूरी कोशिश की.
'पितातुल्य नीतीश ने बेटे की तरह ख्याल रखा'
जेडीयू से निकाले जाने के बाद पहली बार मीडिया से बात करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि वह नीतीश कुमार को पितातुल्य मानते हैं. नीतीश ने उन्हें बेटे की तरह रखा था. वह उनकी पार्टी में थे और उनके फैसले का सम्मान करते हैं और इसपर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं.
'गांधी-गोडसे साथ नहीं चल सकते'
पीके ने कहा कि नीतीश कुमार जी आप गांधी और गोडसे को एक साथ लेकर कैसे चल सकते हैं. हम बिहार के लोग एक सशक्त नेता चाहते हैं जो किसी का पिछलग्गू न बने. अगले 100 दिन में मैं हर गांव और हर पंचायत में जाऊंगा. सबको बताऊंगा कि अगले 10 साल में बिहार कैसे आगे बढ़ेगा.
'बीजेपी की पिछलग्गू बन गई जेडीयू'
प्रशांत किशोर ने कहा कि मौजूदा समय में जेडीयू की स्थिति 2014 से भी दयनीय है. सत्ता में बने रहने के लिए जेडीयू, बीजेपी की पिछलग्गू बन गई है. बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिला. नीतीश जी ने हाथ जोड़कर पटना यूनिवर्सिटी को सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाने की मांग की थी, लेकिन वह भी नहीं पूरी हुई.
'लालू राज से तुलना बंद करें नीतीश जी'
नीतीश कुमार के विकास के दावों पर सीधा प्रहार करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार हर बार लालू प्रसाद यादव के राज से अपनी तुलना करते हैं. वह यह तुलना करना बंद करें और बताएं कि महाराष्ट्र, कर्नाटक व अन्य राज्यों की तुलना में बिहार कहां खड़ा है.
'बिहार के लिए समर्पित है मेरा जीवन'
पूर्व जेडीयू नेता कहा कि जब तक जीवित हूं बिहार के लिए पूरी तरह समर्पित हूं, मैं कहीं नहीं जाने वाला हूं. मैं आखिरी सांस तक बिहार के लिए लड़ूंगा. मैं ऐसे लोगों को जोड़ना चाहता हूं जो बिहार को अग्रणी राज्यों की दौर में शामिल करना चाहते हैं.
'बात बिहार की' कैंपेन की शुरुआत
प्रशांत किशोर ने ये भी स्पष्ट कर दिया कि वे किसी गठबंधन या पार्टी के लिए काम करने नहीं आए हैं. उन्होंने कहा कि वे 20 फरवरी से 'बात बिहार की' नाम से कैंपेन की शुरुआत करेंगे. अगले 100 दिनों तक मैं बिहार घूमेंगे. नीतीश कुमार चाहे तो वो भी कैंपेन की नेतृत्व कर सकते हैं.