पटनाः बिहार में एक तरफ बढ़ती गर्मी से लोग परेशान हैं, तो वहीं दूसरी तरफ बिजली की आंख मिचौली भी लोग झेल रहे हैं. बिहार के कई जिलों में घंटों बिजली गुल (Power Crisis in Bihar) होने की समस्या शुरू हो गई है. लोग गर्मी और चिलचिलाती धूप से बचने के लिए ज्यादातर अपने घरों में रह रहे हैं. लेकिन घरों में भी लोगों को राहत नहीं मिल रही है. दरअसल, बिजली विभाग की तरफ से मेंटेनेंस के नाम पर प्रतिदिन राजधानी पटना समेत सभी जिलों में बिजली काटी जा रही है. इससे उमस भरी गर्मी में लोगों को घरों में भी रहना दुश्वार हो गया है.
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ट्रांसफॉर्मर मेंटेनेंस के नाम पर बिजली कटः पटना के लगभग आधा दर्जन इलाकों में प्रतिदिन ट्रांसफॉर्मर मेंटेनेंस के नाम पर बिजली कट की जा रही है. अलग-अलग जिलों में 4 से 5 घंटे तक बिजली गुल रहने की शिकायत लोगों से मिल रही है. लोगों का कहना है कि सरकार 24 घंटे बिजली मुहैया कराने की बात तो करती है, लेकिन गर्मी शुरू होने के साथ ही लोगों को बिजली कट से परेशान होना पड़ता है. बता दें कि जितनी बिहार को बिजली की जरूरत है, उतनी सप्लाई नहीं हो पाती है. बिहार को अभी 64 से 6500 मेगावाट बिजली की जरूरत है. बिहार को बिजली 45 से 4800 मेगावाट मिल रही है.
कोयला की कमी से बिजली प्रभावितः बिजली विभाग के एक अधिकारी से मिली जानकारी के अनुसार बिहार सरकार एनटीपीसी से 4200 मेगावाट बिजली अभी ले रही है. हालांकि बिजली करार 5200 मेगावाट की है. लेकिन देश में इन दिनों कोयला संकट गहराता जा रहा है. बिजली उत्पादन के लिए बिहार को जितने कोयला की जरूरत है, वह नहीं मिल पा रहा है. बिजली अधिकारी बिजली कट की समस्या को छुपाने के लिए मेंटेनेंस वर्क बता रहे हैं. प्रतिदिन जिस तरह से शहर से लेकर जिलों में बिजली कट की समस्या उत्पन्न हो रही है, ऐसे में बिजली विभाग के अधिकारी का कहना है कि मेंटेनेंस का काम चल रहा है, जिस कारण बिजली कट की जा रही है.
महंगी दरों पर हो रही खरीदारीः शहर में मेट्रो का काम, गैस पाइप लाइन का काम, नाला उड़ाही का काम चल रहा है, ऐसे में शटडाउन दिया जाता है. जिस से लोगों को परेशानी हो रही है. एनटीपीसी से लगभग 4200 मेगावाट बिजली मिल रही है, पवन ऊर्जा से 300 मेगावाट, सौर ऊर्जा से 250 मेगा वाट बिजली मिल रही है. बता दें कि बिजली की कमी को पूरा करने के लिए ऊर्जा विभाग और बिहार सरकार लगातार प्रयास कर रही है. हालांकि बता दें कि बिहार सरकार महंगी दरों पर 18 से 20 रुपया प्रति यूनिट लगभग 1200 मेगावाट खरीदारी कर रही है.
सभी जिले में कटौतीः इन सबके बीच जिन जिलों को जितनी क्षमता के अनुरूप बिजली मिलनी चाहिए, उतनी नहीं मिल रही है. उसमें भी कटौती की जा रही है. पूर्णिया को 180 मेगावाट के बदले 110 मेगावाट ही उपलब्ध हो पा रही है. कटिहार को 120 मेगावाट में 80 मेगावाट ही बिजली उपलब्ध हो पा रही है. अररिया को 130 मेगावाट में 110 मेगावाट बिजली उपलब्ध करायी जा रही है. मुंगेर को 100 मेगावाट की जरूरत है, वहां 80 मेगावाट उपलब्ध करायी जा रही है. कुल मिलाकर अगर देखा जाए तो प्रदेश के सभी जिलों में 20 से 30 फीसदी कटौती करके बिजली दी जा रही है. गांव में दोपहर के समय रात्रि में रोटेट करके बिजली कट की जा रही है, जिससे कि लोगों को परेशानी ना हो, लेकिन लगभग 17 से 18 घंटे बिजली मुहैया करायी जा रही है.
हर साल बढ़ रही है खपतः तीन साल पहले की बात की जाए तो वर्ष 2017-18 में 4600 मेगावाट बिजली की खपत, 2019-20 में 4800 मेगावाट तक खपत हुई. ठीक उसी प्रकार हर साल बिजली की खपत बढ़ती जा रही है और उपभोक्ता भी बढ़ते जा रहे हैं. फिलहाल डेढ़ करोड़ से ज्यादा उपभोक्ता हैं जो बिजली का उपयोग करते है. गर्मी के मौसम में एसी, फ्रिज, पंखा का उपयोग ज्यादा से ज्यादा लोग करने लगते हैं. जिसका एकमात्र कारण है कि खपत बढ़ जाती है.
लोग हैं काफी परेशानः पटना के रहने वाले रामा शंकर दुबे ने बताया कि गर्मी शुरू होने के साथ ही बिजली ज्यादा कट रही है. ठंड के दिनों में यह परेशानी नहीं देखने को मिलती है. उन्होंने कहा कि लाइट अगर रहती भी है तो कम वोल्टेज के कारण पंखा चलता नहीं है, बस घूमता है. वहीं श्याम कुमार ने बताया कि जिस तरह से गर्मी पड़ रही है, बाहर जाने से परहेज कर रहे हैं और घर में रहने के बाद बिजली कट से परेशानी हो रही है. सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए कि कम से कम बिजली कट की समस्या ना हो और लोगों को 24 घंटा ना सही लेकिन 20 से 22 घंटे बिजली मिले तो काफी सुकून मिलेगा.
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