पटनाः बिहार में जातीय गणना की रिपोर्ट आने के बाद सियासत तेज है. मंगलवार को इसको लेकर सर्वदलीय बैठक बुलायी गयी थी. बिहार के लगभग सभी दले के नेता पहुंचे थे. कई दलों ने आपत्ति भी जताई थी. आज बुधवार 4 अक्टूबर को पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने जातीय गणना में कई विसंगतियां होने की बात कही. उन्होंने कहा कि इस बारे में सरकार को बता दिया गया है.
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"वर्ष 1931 में जब जातीय गणना हुई थी उस समय यादव जाति की संख्या मात्र 4 प्रतिशत थी. इस बार जो जातीय गणना की रिपोर्ट आयी है उसमें 14 प्रतिशत दिखाया गया है. उससे साफ है कि यादवों को उनकी उपजाति में नहीं बांटा गया है. सीधे-सीधे उनकी रिपोर्ट बना दी गयी है, जबकि मुसहर को भुइयां से अलग दिखाया गया है. इस तरह करके सरकार ने बाजीगरी दिखाई है जो कि कहीं से ठीक नहीं है."- जीतन राम मांझी, पूर्व मुख्यमंत्री
कई जातियों की उपजाति को अलग दिखायाः जीतन राम मांझी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलकर हमने कहा था कि मुसहर और भुइयां एक ही जाति होता है. उसकी गणना एक ही जाति के रूप में की जाए. लेकिन, मुख्यमंत्री से मिलने के बाद भी इसमें सुधार नहीं हुआ है जो कि गलत है. ऐसे ही कई जातियो की उपजातियों को अलग-अलग करके यह डाटा पेश किया गया है. जो कहीं से भी ठीक नहीं है.
जातीय गणना की रिपोर्ट पर बने मंत्रिमंडल: जीतन राम मांझी ने मांग की है कि जातीय गणना की रिपोर्ट के आधार पर बिहार में मंत्रिमंडल का गठन होना चाहिए. जब सरकार ने यह कह दिया है कि इसको आधार बनाकर बिहार का विकास करेंगे, बिहार की योजनाओं को लागू करेंगे तो सबसे पहले मंत्रिमंडल का विस्तार का ही काम यहां से शुरू करें. तब हम समझेंगे कि सरकार की मंशा ठीक है.
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