पटना: बिहार में जातीय जनगणना पर सियासी संग्राम छिड़ा हुआ है. महागठबंधन के अंदर भी क्रेडिट लेने की कोशिश हो रही है. उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (Deputy Chief Minister Tejashwi Yadav) कह रहे हैं कि- 'लालू प्रसाद यादव ने ही सबसे पहले पहल की थी और धरना दिया था', तो जदयू के लोग कह रहे हैं कि सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की संकल्प शक्ति के कारण ही जाति आधारित गणना हो रही है. जाति आधारित गणना को लेकर जहां महागठबंधन के नेता बीजेपी पर निशाना साध रहे हैं, तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार केंद्र को रिपोर्ट भेजने की बात कर रहे हैं. तेजस्वी यादव बीजेपी को जाति आधारित गणना का विरोधी बताने की लगातार कोशिश कर रहे हैं.
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बिहार में जाति जनगणना पर मचा सियासी घमासान : जाति जनगणना को लेकर बीजेपी का कहना है कि एनडीए की सरकार थी, उसी समय जाति आधारित गणना कराने का फैसला हुआ था. और बीजेपी हमेशा इसका समर्थन करती रही है. साथ ही बीजेपी उपजाति की गणना नहीं किए जाने का विरोध भी कर रही है और नीतीश सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा कर रही है. बिहार में इन दिनों पदयात्रा निकाल रहे प्रशांत किशोर ने नीतीश सरकार की नियत पर सवाल खड़ा कर रहे हैं. प्रशांत किशोर का कहना है की SC-ST की गिनती तो लंबे समय से हो रही है, आखिर उनकी स्थिति में क्यों नहीं सुधार हुआ?
बिहार में हो रही है जाति जनगणना : बिहार में पिछड़ा, अति पिछड़ा की आबादी 52% के करीब है. 27% ओबीसी को छोड़ दें तो अति पिछड़ा की आबादी का बड़ा हिस्सा है. और बिहार में लगातार पिछले तीन दशक से भी अधिक समय से पिछड़ों का शासन है. अब सबकी नजर अति पिछड़ा वोट बैंक पर है. अभी हाल ही में नगर निकाय चुनाव में अति पिछड़ा आरक्षण को लेकर खूब सियासत हुआ था. अब जाति आधारित गणना हो रहा है तो इसको लेकर क्रेडिट लेने की कोशिश भी हो रही है. और 2024 लोकसभा चुनाव और 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव में ये बड़ा मुद्दा बनाने की बात होने लगी है.
'मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की संकल्प शक्ति है कि जाति आधारित गणना हो रही है. 92 साल में किसी मुख्यमंत्री ने ऐसा ऐतिहासिक कदम नहीं उठाया था. 2024 लोकसभा चुनाव और 2025 बिहार विधानसभा चुनाव में यह मुद्दा बनेगा. दूसरे राज्यों में भी जाति आधारित गणना हो इसे मुद्दा बनाया जाएगा.' - उमेश कुशवाहा, बिहार जदयू अध्यक्ष
'बिहार में लंबे समय से जाति आधारित गणना की मांग होती रही है. अब सरकार की ओर से यह हो रहा है तो इसकी रिपोर्ट के आधार पर बिहार की राजनीति बदलेगी और भागीदारी की मांग भी होगी. तो यह 2024 लोकसभा चुनाव और 2025 बिहार विधानसभा चुनाव में निश्चित रूप से मुद्दा बनेगा. खासकर अति पिछड़ों की गोलबंदी होगी.' - अरुण पांडे, राजनीतिक विशेषज्ञ
जाति जनगणना की क्रेडिट लेने की होड़ : जाति आधारित जनगणना को लेकर लंबे समय से सियासत होती रही है. बिहार विधानसभा से दो-दो बार सर्वसम्मति प्रस्ताव पास करवाया गया और केंद्र को भेजा गया. तो वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में सर्वदलीय शिष्टमंडल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले में मुलाकात की. लेकिन इसके बावजूद केंद्र सरकार की तरफ से जाति आधारित गणना करने से इनकार कर दिया गया. इसके बाद बिहार सरकार ने जाति आधारित गणना कराने का फैसला लिया. लेकिन अब क्रेडिट लेने की होड़ हो रही है.
जाति जनगणना पर रार : देश में 1931 के बाद 2011 में भी केंद्र सरकार ने जाति आधारित गणना करायी थी. लेकिन उसकी रिपोर्ट कई तरह की त्रुटियों के कारण जारी नहीं की गई. कुछ राज्य सरकारों ने जिसमें कर्नाटक भी शामिल है, जाति आधारित गणना कराया. लेकिन रिपोर्ट जारी नहीं की. बिहार पहला राज्य होगा यदि रिपोर्ट जारी करता है तब. लेकिन फिलहाल जाति आधारित गणना को लेकर सियासत शुरू है. और अगले साल 2024 में लोकसभा का चुनाव है और 2025 में विधानसभा का चुनाव, तो दोनों चुनाव में इस रिपोर्ट को भुनाने की कोशिश भी होगी.