पटना : बिहार की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान (Chirag Paswan To Contest UP Assembly election alone) ने अकेले चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है. लेकिन एनडीए से अलग होकर चिराग की पार्टी ने 2020 में बिहार विधानसभा और बिहार उपचुनाव के दौरान अधिकांश सीटों पर जमानत भी गंवा दी थी. पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स (Political Expert Sanjay On Chirag Paswan) का मानना है कि, अगर चिराग यूपी में भी अलग से चुनाव लड़ते हैं तो, बिहार चुनाव से भी बदतर हार का सामना उन्हें करना पड़ेगा.
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दरअसल बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद लोजपा की मजबूत जमीन को लेकर कई सवाल खड़े हुए. बिहार की क्षेत्रीय पार्टी होने के बावजूद भी लोजपा का बिहार में प्रदर्शन बेहतर नहीं रहा था. 143 सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद महज एक सीट पर ही चिराग को जीत हासिल हुई थी. यहां तक कि, वह अपने दोनों सीटिंग सीट भी बचाने में असफल रहे थे.
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हालांकि अभी यह तय नहीं हुआ है कि, लोजपा उत्तर प्रदेश में कितनी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने जा रही है. लोजपा के प्रवक्ता चंदन सिंह ने बताया कि, दिल्ली में यूपी के प्रदेश अध्यक्ष मणि शंकर पांडे और कार्यकारिणी के सदस्यों ने विचार विमर्श के बाद उत्तर प्रदेश में अकेले चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है.
"नीतिगत निर्णय के बाद पूरी चट्टानी एकता के साथ लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) चुनाव में शानदार प्रदर्शन करेगी. पहले भी उत्तर प्रदेश में लोजपा के विधायक रह चुके हैं. कार्यकर्ता यूपी में काफी मेहनत कर रहे हैं. विधानसभा की एक नई तस्वीर यूपी में पेश करेंगे".- चंदन सिंह,प्रवक्ता, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास)
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हालांकि उत्तर प्रदेश में जदयू भी चुनाव लड़ेगी और लोजपा के टूट का असर भी चुनाव में पड़ेगा. लोजपा दो गुटों में बंट चुकी है. वहीं, हो सकता है कि, चाचा पशुपति पारस भाजपा या जदयू के लिए उत्तर प्रदेश में प्रचार करें. अगर ऐसा होता है जिसकी प्रबल संभावना बन रही है तो, चिराग गुट को इसका खामियाजा उठाना पड़ सकता है.
लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान से इस मुद्दे पर बात करने के लिए ईटीवी भारत ने संपर्क करने की बहुत कोशिश की, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया है. हालांकि लोजपा के उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष मणि शंकर पांडे ने बताया कि, 'पूर्वी उत्तर प्रदेश की लगभग 70 विधानसभा सीटों पर लोजपा के वोटर रहते हैं. लगभग 5 से 6 सीटों पर अकेले दम पर परिणाम लोजपा बदल सकती है. यही नहीं बाकी की 64 से 65 सीटों पर किसी भी उम्मीदवार की हार जीत का फैसला करने में अहम भूमिका लोजपा की रहेगी.'
पॉलिटिकल एक्सपर्ट डॉक्टर संजय ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान बताया कि, लोकतंत्र में सभी को चुनाव लड़ने का अधिकार है. ऐसे बिहार में अकेले चुनाव लड़ने का परिणाम लोजपा ने देख लिया है. ऐसे में लोजपा उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़कर कुछ हासिल नहीं कर पाएगी.
"लोजपा ने उत्तर प्रदेश में कई पार्टियों के साथ गठबंधन करने की पहल की लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली. इसके बावजूद भी वह अकेले चुनाव लड़ते हैं तो उन्हें कौन रोक सकता है. चिराग पासवान अगर उत्तर प्रदेश में जाति कार्ड खेलकर चुनाव लड़ना चाहते हैं तो, उन्हें यह पता होना चाहिए कि, उनकी जाति के स्थापित नेता वहां पहले से ही मौजूद हैं. दलित कार्ड भी काम नहीं आने वाला है. भीम सेना के नेता रावण उत्तर प्रदेश में स्थापित हैं जोकि, उत्तर प्रदेश के दलितों को अपने भरोसे में ले चुके हैं."- डॉक्टर संजय, पॉलिटिकल एक्सपर्ट
चिराग पासवान के लिए यूपी की जमीन पर कब्जा करना उतना आसान नहीं होगा. पॉलिटिकल एक्सपर्ट का कहना है कि, बिहार में जनाधार होने के बावजूद स्थिति लोजपा की बेहतर नहीं थी, फिर चाहे वो विधानसभा चुनाव हो या बिहार की दो सीटों पर होने वाले उपचुनाव. ऐसे में देखना होगा कि, चिराग पासवान उत्तर प्रदेश में किन मुद्दों को लेकर चुनाव में उतरते हैं. किसी का कुछ वोट काटकर दूसरे को जीता देना या किसी को हरा देना यह दूसरा विषय है. कोई भी पॉलीटिकल पार्टी जब चुनाव में उतरती है तो, अपने अस्तित्व के भरोसे चुनाव लड़ती है.
यह पहला मौका नहीं जब चिराग ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला लिया है. पॉलिटिकल एक्सपर्ट डॉक्टर संजय ने बताया कि, चिराग पासवान साल 2022 के उत्तर प्रदेश चुनाव में कुछ बड़ा क्रांति नहीं करने जा रहे हैं, लेकिन अगर वह सोचते हैं कि, युवा चेहरा होने के नाते वह अपना एक मजबूत संगठन खड़ा कर लेगें, पार्टी के कैंडिडेट को 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान मजबूत कर सकते हैं, तो ऐसा हो सकता है.
डॉक्टर संजय सिंह का मानना है कि, लोजपा उस समय की बात कर रही जब लोजपा के संस्थापक पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान जीवित थे और उनकी उस समय की पार्टी मजबूत थी. रामविलास पासवान की जो संघर्ष की पृष्ठभूमि थी, उस पर चिराग पासवान कितना खरा उतरते हैं यह भी आने वाला समय बताएगा. रामविलास पासवान के रहते उत्तर प्रदेश की कुछ सीटें जीतना और उनके न रहने पर चिराग पासवान क्या परिणाम बदल सकते हैं, यह दोनों दो विषय हैं.
आपको बता दें कि अगले साल मार्च-अप्रैल में उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव होना है. इसको लेकर सभी पार्टियां अपने-अपने स्तर से चुनाव की तैयारियों में जुट गई है. बता दें कि वीआईपी अध्यक्ष मुकेश सहनी भी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में ताल ठोक रहे हैं. मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी यूपी में 165 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी है.
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