पटना: आरक्षण के मुद्दे पर बिहार की सियासत गरमा गई है. शुरुआत जेडीयू प्रवक्ता अजय आलोक के बयान से हुई और धीरे-धीरे सभी दलों के नेता सामने आने लगे. अजय आलोक ने बयान दिया कि आरक्षण में संशोधन होना चाहिए. जो आज इसका लाभ ले रहे हैं, दो पीढ़ी बाद उन्हें आरक्षण नहीं मिलना चाहिए.
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वहीं अजय आलोक के बयान पर आरजेडी ने तीखी प्रतिक्रिया दी. आरजेडी के वरिष्ठ नेता श्याम रजक ने कहा कि आरक्षण किसी ने भीख या दान में नहीं दिया है. यह संवैधानिक व्यवस्था है. इसे कोई छीन नहीं सकता है.
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हम सुप्रीमो जीतन राम मांझी हमेशा से आरक्षण के पक्ष में रहे हैं. दलित समाज से आने वाले नेता लगातार पिछड़े वर्ग की मांगों को उठाते रहे हैं. फिर एक बार उन्होंने निजी क्षेत्र में आरक्षण की मांग उठायी है. इसी के साथ आरक्षण का विरोध या संशोधन की बात करने वालों को दलित-आदिवासियों का विरोधी बताया है.
मांझी ने ट्वीट कर लिखा
'आरक्षण था, है और जब तक सब बराबर ना हो जाए तबतक रहेगा. दलित-आदिवासीयों के विरोधी ही आरक्षण में संशोधन की बात कह सकतें हैं. हमारा तो मानना है कि निजी क्षेत्रों और न्यायपालिका में भी आरक्षण हो और इसके लिए जल्द ही हम दिल्ली में कार्यक्रम करेंगें.' - जीतन राम मांझी, सुप्रीमो, हम
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आरक्षण था,है और जब तक सब बराबर ना हो जाएं तबतक रहेगा।
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दलित-आदिवासीयों के विरोधी ही आरक्षण में संशोधन की बात कह सकतें हैं।
हमारा तो मानना है कि निजी क्षेत्रों और न्यायपालिका में भी आरक्षण हो और इसके लिए जल्द ही HAM दिल्ली में कार्यक्रम करेंगें।
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दलित-आदिवासीयों के विरोधी ही आरक्षण में संशोधन की बात कह सकतें हैं।
हमारा तो मानना है कि निजी क्षेत्रों और न्यायपालिका में भी आरक्षण हो और इसके लिए जल्द ही HAM दिल्ली में कार्यक्रम करेंगें।आरक्षण था,है और जब तक सब बराबर ना हो जाएं तबतक रहेगा।
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दलित-आदिवासीयों के विरोधी ही आरक्षण में संशोधन की बात कह सकतें हैं।
हमारा तो मानना है कि निजी क्षेत्रों और न्यायपालिका में भी आरक्षण हो और इसके लिए जल्द ही HAM दिल्ली में कार्यक्रम करेंगें।
बिहार में आरक्षण पर सियासत के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र में भी बिहार के आरक्षण फॉर्मूले को लागू करने की मांग की है. बता दें कि लोकसभा में केंद्रीय बजट 2021-22 पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जब सरकारी सेक्टर के उद्योगों के निजीकरण की घोषणा की थी, तब से ही मांझी और दूसरी पार्टियां निजी सेक्टर में भी दलितों को आरक्षण देने की मांग उठा रही हैं.