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PMCH में हो रही सिर्फ 40 जांच, अब ऐसे तो न थमेगी महामारी? क्योंकि टेस्ट की नहीं आ रही बारी - corona virus test in bihar

बिहार में कोरोना हर रोज कोरोना के 1 हजार से ज्यादा मामले दर्ज किए जा रहे हैं. ऐसे में कोरोना टेस्ट को लेकर ईटीवी भारत की टीम जब पीएमसीएच पहुंची, तो यहां मिले मरीजों ने जो कुछ बताया. उससे साफ है कि कोरोना ऐसे तो नहीं ही थमने वाला है.

पीएमसीएच में कोरोना जांच
पीएमसीएच में कोरोना जांच
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Published : Jul 17, 2020, 6:31 PM IST

पटना: बिहार में कोरोना संक्रमण नासूर बनता जा रहा है. सरकार यह दावे कर रही है की टेस्टिंग की क्षमता को लगातार बढ़ाया जा रहा है. बिहार के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच में सरकार के दावों की पोल तब खुल जाती है, जब जांच के लिए आने वाले लोग दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर होते हैं.

कोरोना का संक्रमण को बढ़ता देख मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने टेस्टिंग तेज करने का आदेश दिया. पटना के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच में रैपिड किट के जरिए कोरोना जांच की व्यवस्था शुरू की गई. लेकिन यहां एक दिन में सिर्फ 40 टेस्ट किये जा रहे हैं. इन जांचों में जिनकी पैरवी और पहुंच नहीं हैं, वो यहां से कोरोना के डर में वापस घर की ओर लौट रहे हैं.

पटना से रंजीत की रिपोर्ट

स्टाफ की महिला को भी रियायत नहीं
पीएमसीएच अस्पताल में काम करने वाली महिला कर्मी ने बताया कि उनके पति और बेटे में कोरोना जैसे लक्षण दिख रहे हैं. ऐसे में उन्होंने जांच कराने की पहल की. लेकिन यहां सुनवाई करने वाला कोई है ही नहीं. कुल मिलाकर उनके पति और बेटे का सैंपल तक नहीं लिया गया.

'6 दिन से भटक रहा हूं'
चंदन कोरोना संक्रमित हैं, ऐसा उनका मानना है. उन्होंने बताया कि संक्रमण की वजह से आइसोलेशन वार्ड में रखा गया था. बाद में होम क्वॉरेंटाइन का पत्र दिया गया और जब यह जांच के लिए आ रहे हैं, तो इन्हें एक जगह से दूसरी जगह भेज दिया जाता है. लेकिन जांच रिपोर्ट नहीं मिल रही है. उन्होंने बताया कि मैं 10 जुलाई से भटक रहा हूं.

'फॉर्म भरने के बाद भी दौड़ाया जा रहा'
'फॉर्म भरने के बाद भी दौड़ाया जा रहा'

बेतिया निवासी रंजीत अपने बड़े भाई का इलाज कराने पटना आए थे. बड़े भाई का इलाज अब तक इसलिए नहीं शुरू हो पाया है क्योंकि उनका कोरोना टेस्ट नहीं हुआ है. जब तक कोरोना टेस्ट नहीं हो जाता, तब तक कोई भी डॉक्टर उनका इलाज करने को तैयार नहीं हो रहा है. ऐसे में वो पांच दिनों से अस्पताल का चक्कर काट रहे हैं.

जांच बेहद जरूरी, वर्ना...
राजधानी पटना में अगर हालात ऐसे हैं, तो सुदूरवर्ती जिलो और अनुमंडल में हालात कैसे होंगे. इसका सहज अनुमान ही लगाया जा सकता है. बिहार सरकार के मुखिया मंत्री और अधिकारी एसी कमरे में बैठकर बड़ी-बड़ी बातें जरूर करते हैं भले ही उससे जनता को कुछ लाभ ना हो. बहरहाल, पटना समेत कई जिलों में कोरोना वायरस के संक्रमित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. ऐसे में टेस्ट के लिए आगे आ रहे लोगों का तत्काल रिपोर्ट की व्यवस्था करनी चाहिए.

पटना: बिहार में कोरोना संक्रमण नासूर बनता जा रहा है. सरकार यह दावे कर रही है की टेस्टिंग की क्षमता को लगातार बढ़ाया जा रहा है. बिहार के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच में सरकार के दावों की पोल तब खुल जाती है, जब जांच के लिए आने वाले लोग दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर होते हैं.

कोरोना का संक्रमण को बढ़ता देख मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने टेस्टिंग तेज करने का आदेश दिया. पटना के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच में रैपिड किट के जरिए कोरोना जांच की व्यवस्था शुरू की गई. लेकिन यहां एक दिन में सिर्फ 40 टेस्ट किये जा रहे हैं. इन जांचों में जिनकी पैरवी और पहुंच नहीं हैं, वो यहां से कोरोना के डर में वापस घर की ओर लौट रहे हैं.

पटना से रंजीत की रिपोर्ट

स्टाफ की महिला को भी रियायत नहीं
पीएमसीएच अस्पताल में काम करने वाली महिला कर्मी ने बताया कि उनके पति और बेटे में कोरोना जैसे लक्षण दिख रहे हैं. ऐसे में उन्होंने जांच कराने की पहल की. लेकिन यहां सुनवाई करने वाला कोई है ही नहीं. कुल मिलाकर उनके पति और बेटे का सैंपल तक नहीं लिया गया.

'6 दिन से भटक रहा हूं'
चंदन कोरोना संक्रमित हैं, ऐसा उनका मानना है. उन्होंने बताया कि संक्रमण की वजह से आइसोलेशन वार्ड में रखा गया था. बाद में होम क्वॉरेंटाइन का पत्र दिया गया और जब यह जांच के लिए आ रहे हैं, तो इन्हें एक जगह से दूसरी जगह भेज दिया जाता है. लेकिन जांच रिपोर्ट नहीं मिल रही है. उन्होंने बताया कि मैं 10 जुलाई से भटक रहा हूं.

'फॉर्म भरने के बाद भी दौड़ाया जा रहा'
'फॉर्म भरने के बाद भी दौड़ाया जा रहा'

बेतिया निवासी रंजीत अपने बड़े भाई का इलाज कराने पटना आए थे. बड़े भाई का इलाज अब तक इसलिए नहीं शुरू हो पाया है क्योंकि उनका कोरोना टेस्ट नहीं हुआ है. जब तक कोरोना टेस्ट नहीं हो जाता, तब तक कोई भी डॉक्टर उनका इलाज करने को तैयार नहीं हो रहा है. ऐसे में वो पांच दिनों से अस्पताल का चक्कर काट रहे हैं.

जांच बेहद जरूरी, वर्ना...
राजधानी पटना में अगर हालात ऐसे हैं, तो सुदूरवर्ती जिलो और अनुमंडल में हालात कैसे होंगे. इसका सहज अनुमान ही लगाया जा सकता है. बिहार सरकार के मुखिया मंत्री और अधिकारी एसी कमरे में बैठकर बड़ी-बड़ी बातें जरूर करते हैं भले ही उससे जनता को कुछ लाभ ना हो. बहरहाल, पटना समेत कई जिलों में कोरोना वायरस के संक्रमित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. ऐसे में टेस्ट के लिए आगे आ रहे लोगों का तत्काल रिपोर्ट की व्यवस्था करनी चाहिए.

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