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'जलाओ दीये, पर रहे ध्यान इतना कि कोरोना धरा पर कहीं रह न जाए'

पीएम मोदी ने 5 अप्रैल को सभी लोगों से दीपक जलाने का अनुरोध किया है. उद्देश्य साफ है कि कोरोना ने जिस तरीके से पूरे देश में कहर मचा रखा है और लोगों के बीच इस बात को लेकर कोहराम भी मचा हुआ है कि कोरोना से मुक्ति कब मिलेगी. वहीं, पीएम मोदी ने सबसे अनुरोध किया है कि 5 अप्रैल को रात 9 बजे हम सभी लोग दीपक जलाएंगे और कोरोना के अंधेरे को खत्म करने के लिए एक लड़ाई की शुरुआत करेंगे.

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Published : Apr 4, 2020, 9:05 PM IST

Updated : Apr 5, 2020, 3:34 PM IST

कोरोना
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पटना : जलाओ दीये पर रहे ध्यान इतना, अंधेरा धरा पर कहीं रह न जाए. गोपाल दास नीरज ने इन पंक्तियों को उन भावनाओं के साथ उद्धृत किया था, जिसमें दीपावली के दिन दीपक जलाने की परंपरा पूरे देश में तो है लेकिन जिस तरह से देश को जगमगाना है. उसमें भय भूख और भ्रष्टाचार को कोई जगह नहीं मिली. उसे भी धरती से हटा देना है. आज पूरा विश्व कोरोना के भय से आक्रांत है.

कोरोना ने कायम किया है अंधेरे का राज!
लोगों को डर है कि कब कौन इसकी चपेट में आ जाए, कहा नहीं जा सकता. पूरे विश्व में इससे लड़ाई लड़ी जा रही है और भारत में सारी चीजें बंद है. लॉकडाउन दिनों में गिना जा रहा है. लोगों को उम्मीद है. इस कोरोना ने देश पर जिस तरीके से अंधेरे का राज कायम किया है, वह दूर होगा और एक बार फिर जिंदगी अपने मूल मूल्यों के साथ उजाले का आलिंगन करेगा.

अंधेरे को खत्म करने की लड़ाई की करेंगे शुरुआत
पीएम मोदी ने 5 अप्रैल को सभी लोगों से दीपक जलाने का अनुरोध किया है. उद्देश्य साफ है कि कोरोना ने जिस तरीके से पूरे देश में कहर मचा रखा है और लोगों के बीच इस बात को लेकर कोहराम भी मचा हुआ है कि कोरोना से मुक्ति कब मिलेगी. वहीं, पीएम मोदी ने सबसे अनुरोध किया है कि 5 अप्रैल को रात 9 बजे हम सभी लोग दीपक जलाएंगे और कोरोना के अंधेरे को खत्म करने के लिए एक लड़ाई की शुरुआत करेंगे.

सबको लेना होना एक संकल्प
गोपाल दास नीरज ने जब इन पंक्तियों को लिखा था, उनके जेहन में यह बात नहीं थी कि जिससे लड़ना है वह साफ-साफ दिख रहा है. भूख से लड़ने के लिए लड़ाई बड़ी करनी होगी तो उसके लिए मेहनत का दीपक जलाना होगा. भ्रष्टाचार का अंधेरा अगर आम लोगों के जीवन पर हावी हो रहा है तो उसे मिटाने के लिए हर व्यवस्था को मजबूत करने के लिए दीपक जलाना होगा. लेकिन इस बार जिस दुश्मन से लड़ाई है और उसे मिटाने के लिए जिस उजाले के दीपक को चलाना है. उसमें सभी लोगों को एक संकल्प लेना होगा जो आज समाज की प्रासंगिकता और समाज के सिद्धांतों को रखते समय चाहे जैसा हो लेकिन जिंदगी की जरूरत के आधार के रूप में आज वही सबसे ज्यादा जरूरी है.

अनेकता में एकता की पेश किया है मिशाल
5 अप्रैल को जिस दीपक को जलाना है, वह पूरे विश्व में इतना उजाला करें कि कोरोना का नाश हो जाए. जिस तरीके से लोगों के जीवन में अंधेरा ला रहा है, उसे खत्म करने के लिए संगठित होकर उजाला तो करना है और उस उजाले में संकल्प भी लेना है. जब तक कोरोना को पूरे तौर पर खत्म नहीं करेंगे, तब तक इस दीपक के उजाले की शपथ लेकर इस उद्देश्य के साथ चलना है कि सोशल डिस्टेंस इनको तो अपनाएंगे ही साथ ही लोगों को जागरूक भी करेंगे. ताकि भारत की एकता अखंडता और संप्रभुता पर किसी और तरह का असर ना हो खबरों के बीच जो चीजें चलती हैं, उसमें चर्चा तो जरूर रहती है और कई बार चर्चा में रहने वाली चीजें भी ज्यादा चर्चा में हो जाती हैं. इससे भी बचना है. दीए को जलाकर भारत के उसी एकता और अखंडता का संकल्प लेना है, जो देश को संप्रभु राष्ट्र बनाने में अनेकता में एकता की हमेशा मिशाल पेश किया है.

जलाएं दीये पर रहे ध्यान
5 अप्रैल को देश जब दीपक जलाएगा तो आप उसके हिस्सेदार बनेंगे. हिस्सेदारी निभानी भी है और कोरोना को भगाने के लिए देश में उजाले का संकल्प लेना है. लेकिन संकल्प इस बात से डिगना नहीं चाहिए कि जिस सोशल इंजीनियरिंग से कोरोना भागेगा, उसमें कोई शिथिलता रहे. हाथ को धोने और हाथ से हाथ कोने मिलाने से जिस कोरोना की मौत होनी है. उसमें किसी तरह की रुकावट नहीं आएगी अपने और अपनों के बीच किसी तरह का मतभेद और मनभेद ना हो. इसे भी दीप जला कर के इसके बीच पनप रहे अंधेरे को खत्म कर देंगे. अभी कोरोना से सबको मिलकर लड़ना है, तो लड़ाई कोरोना से ही होनी चाहिए और इसका संकल्प जब दीप जले तो ले लेना चाहिए, क्योंकि इसके बाद ही दीपक जलाने की जो दूसरी पंक्तियां हैं. उसके मूल भाव अपना स्वरूप ले पाएंगे नई ज्योति के धर नए पंख झिलमिल उड़े मृत मिट्टी गगन स्वर्ग छू ले लगे रोशनी की झड़ी झूम ऐसी निशा की गली में तिमिर राह भूले तो किसी भी तरीके से कोरोनावायरस लोगों के बीच मृत्यु की तृष्णा लिए घूम रही है. उसे खत्म करना है उसे लोगों के डर से भी मिटा देना है 5 अप्रैल को रात 9 बजे आप दीपक जरूर जलाएं और संकल्प ले लेना है कि जलाएं दीये पर रहे ध्यान इतना कि कोरोना धरा पर कहीं रह न जाए.

पटना : जलाओ दीये पर रहे ध्यान इतना, अंधेरा धरा पर कहीं रह न जाए. गोपाल दास नीरज ने इन पंक्तियों को उन भावनाओं के साथ उद्धृत किया था, जिसमें दीपावली के दिन दीपक जलाने की परंपरा पूरे देश में तो है लेकिन जिस तरह से देश को जगमगाना है. उसमें भय भूख और भ्रष्टाचार को कोई जगह नहीं मिली. उसे भी धरती से हटा देना है. आज पूरा विश्व कोरोना के भय से आक्रांत है.

कोरोना ने कायम किया है अंधेरे का राज!
लोगों को डर है कि कब कौन इसकी चपेट में आ जाए, कहा नहीं जा सकता. पूरे विश्व में इससे लड़ाई लड़ी जा रही है और भारत में सारी चीजें बंद है. लॉकडाउन दिनों में गिना जा रहा है. लोगों को उम्मीद है. इस कोरोना ने देश पर जिस तरीके से अंधेरे का राज कायम किया है, वह दूर होगा और एक बार फिर जिंदगी अपने मूल मूल्यों के साथ उजाले का आलिंगन करेगा.

अंधेरे को खत्म करने की लड़ाई की करेंगे शुरुआत
पीएम मोदी ने 5 अप्रैल को सभी लोगों से दीपक जलाने का अनुरोध किया है. उद्देश्य साफ है कि कोरोना ने जिस तरीके से पूरे देश में कहर मचा रखा है और लोगों के बीच इस बात को लेकर कोहराम भी मचा हुआ है कि कोरोना से मुक्ति कब मिलेगी. वहीं, पीएम मोदी ने सबसे अनुरोध किया है कि 5 अप्रैल को रात 9 बजे हम सभी लोग दीपक जलाएंगे और कोरोना के अंधेरे को खत्म करने के लिए एक लड़ाई की शुरुआत करेंगे.

सबको लेना होना एक संकल्प
गोपाल दास नीरज ने जब इन पंक्तियों को लिखा था, उनके जेहन में यह बात नहीं थी कि जिससे लड़ना है वह साफ-साफ दिख रहा है. भूख से लड़ने के लिए लड़ाई बड़ी करनी होगी तो उसके लिए मेहनत का दीपक जलाना होगा. भ्रष्टाचार का अंधेरा अगर आम लोगों के जीवन पर हावी हो रहा है तो उसे मिटाने के लिए हर व्यवस्था को मजबूत करने के लिए दीपक जलाना होगा. लेकिन इस बार जिस दुश्मन से लड़ाई है और उसे मिटाने के लिए जिस उजाले के दीपक को चलाना है. उसमें सभी लोगों को एक संकल्प लेना होगा जो आज समाज की प्रासंगिकता और समाज के सिद्धांतों को रखते समय चाहे जैसा हो लेकिन जिंदगी की जरूरत के आधार के रूप में आज वही सबसे ज्यादा जरूरी है.

अनेकता में एकता की पेश किया है मिशाल
5 अप्रैल को जिस दीपक को जलाना है, वह पूरे विश्व में इतना उजाला करें कि कोरोना का नाश हो जाए. जिस तरीके से लोगों के जीवन में अंधेरा ला रहा है, उसे खत्म करने के लिए संगठित होकर उजाला तो करना है और उस उजाले में संकल्प भी लेना है. जब तक कोरोना को पूरे तौर पर खत्म नहीं करेंगे, तब तक इस दीपक के उजाले की शपथ लेकर इस उद्देश्य के साथ चलना है कि सोशल डिस्टेंस इनको तो अपनाएंगे ही साथ ही लोगों को जागरूक भी करेंगे. ताकि भारत की एकता अखंडता और संप्रभुता पर किसी और तरह का असर ना हो खबरों के बीच जो चीजें चलती हैं, उसमें चर्चा तो जरूर रहती है और कई बार चर्चा में रहने वाली चीजें भी ज्यादा चर्चा में हो जाती हैं. इससे भी बचना है. दीए को जलाकर भारत के उसी एकता और अखंडता का संकल्प लेना है, जो देश को संप्रभु राष्ट्र बनाने में अनेकता में एकता की हमेशा मिशाल पेश किया है.

जलाएं दीये पर रहे ध्यान
5 अप्रैल को देश जब दीपक जलाएगा तो आप उसके हिस्सेदार बनेंगे. हिस्सेदारी निभानी भी है और कोरोना को भगाने के लिए देश में उजाले का संकल्प लेना है. लेकिन संकल्प इस बात से डिगना नहीं चाहिए कि जिस सोशल इंजीनियरिंग से कोरोना भागेगा, उसमें कोई शिथिलता रहे. हाथ को धोने और हाथ से हाथ कोने मिलाने से जिस कोरोना की मौत होनी है. उसमें किसी तरह की रुकावट नहीं आएगी अपने और अपनों के बीच किसी तरह का मतभेद और मनभेद ना हो. इसे भी दीप जला कर के इसके बीच पनप रहे अंधेरे को खत्म कर देंगे. अभी कोरोना से सबको मिलकर लड़ना है, तो लड़ाई कोरोना से ही होनी चाहिए और इसका संकल्प जब दीप जले तो ले लेना चाहिए, क्योंकि इसके बाद ही दीपक जलाने की जो दूसरी पंक्तियां हैं. उसके मूल भाव अपना स्वरूप ले पाएंगे नई ज्योति के धर नए पंख झिलमिल उड़े मृत मिट्टी गगन स्वर्ग छू ले लगे रोशनी की झड़ी झूम ऐसी निशा की गली में तिमिर राह भूले तो किसी भी तरीके से कोरोनावायरस लोगों के बीच मृत्यु की तृष्णा लिए घूम रही है. उसे खत्म करना है उसे लोगों के डर से भी मिटा देना है 5 अप्रैल को रात 9 बजे आप दीपक जरूर जलाएं और संकल्प ले लेना है कि जलाएं दीये पर रहे ध्यान इतना कि कोरोना धरा पर कहीं रह न जाए.

Last Updated : Apr 5, 2020, 3:34 PM IST
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