पटना: बिहार सरकार एक बार फिर से विश्व की सबसे बड़ी मानव श्रृंखला बनाने की तैयारी में जुटी है. 19 जनवरी को 16 हजार किलोमीटर से अधिक लंबी मानव श्रृंखला में 4 करोड़ से अधिक लोगों के शामिल होने की उम्मीद है. इसकी रिकॉर्डिंग के लिए 12 हेलीकॉप्टर और 3 प्लेन को लगाया जायेगा. वहीं, लिम्बका और गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड के लोगों को भी आमंत्रण दिया गया है.
मानव श्रृंखला के कोऑर्डिनेटर विनोदानंद झा ने इस संबंध में ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने दावा करते हुए कहा कि 2017 और 2018 के मुकाबले इस साल की मानव श्रृंखला बड़ी रहेगी. इसके लिए सारी तैयारियां पूरी कर ली गई है. एक किलोमीटर में कितने लोग खड़े होंगे, वो भी तय है. कोऑर्डिनेटर ने बताया कि मानव श्रृंखला में सबकी जिम्मेदारी भी तय की गई है लोगों ने इसके लिए अभ्यास भी किया है. उन्होंने बताया कि 2017 की मानव श्रृंखला में सेटेलाइट से फोटोग्राफी नहीं हो पाई थी.
हेलीकॉप्टर के साथ प्लेन से भी होगी रिकॉर्डिंग
विनोदानंद झा के मुताबिक मानव श्रृंखला को कवर करने के लिए 12 हेलीकॉप्टर का सहारा लिया जा रहा है. वहीं, तीन प्लेन से फोटोग्राफी और वीडियो रिकॉर्डिंग भी की जायेगी. इसके अलावा बड़ी संख्या में मोटरसाइकिल से फोटोग्राफी की जायेगी. वहीं, सबसे बड़ी मानव श्रृंखला की मान्यता के लिए विश्व की एजेंसियों को आमंत्रित किया गया है. जिसमें लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड और गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के लोगों को भी बुलाया गया है.
बच्चे और बूढ़े मानव श्रृंखला से रहेंगे दूर
कोऑर्डिनेटर विनोदानंद झा ने बताया कि इस आयोजन से बच्चों और बूढ़ों को दूर रखने का निर्देश दिया गया है. साथ ही सुरक्षा के कड़े निर्देश दिए गए हैं. मानव श्रृंखला के लिए सभी तरह की तैयारी पूरी हो चुकी है. जल जीवन हरियाली को लेकर बन रहे मानव श्रृंखला के लिए पोस्टर, बैनर, स्लोगन और नारों से प्रचार-प्रसार भी किया गया है. विनोदानंद झा के मुताबिक मुख्य कार्यक्रम गांधी मैदान में होगा, इसमें सीएम नीतीश कुमार डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी के अलावा सभी वीआईपी गांधी मैदान में ही मौजूद रहेंगे.
पिछला रिकार्ड तोड़ने की कोशिश
बता दें कि बिहार में 21 जनवरी 2017 और 21 जनवरी 2018 को मानव श्रृंखला बना था. जो विश्व की सबसे बड़ी मानव श्रृंखला थी. इससे पहले बांग्लादेश की मानव श्रृंखला सबसे बड़ी थी जिसे बिहार ने तोड़ दिया था. वहीं, इस साल 19 जनवरी को मानव श्रृंखला को पिछले दो मानव श्रृंखला के मुकाबले बड़ी बनाने की कोशिश है.