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कैमरे से चलती है इनकी जीविका, बंद पड़े स्टूडियो मालिकों ने सरकार से लगाई मदद की गुहार - lockdown in bihar

लागू लॉकडाउन के दौरान जहां सभी उद्योग-धंधे बंद हो गए. वहीं, फोटोग्राफरों के स्टूडियो पर ताला लटक गया. शादी पार्टी से लेकर फिल्मों की शूटिंग और डॉक्यूमेंट्री शूट करने वाले फोटोग्राफर आर्थिक संकट में आ गये.

ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट
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Published : May 23, 2020, 1:24 PM IST

पटना: लॉकडाउन के दौरान सभी व्यवसाय ठप हो गए. दुकानों पर ताला लटका नजर आया. ऐसे में दूसरों की जिंदगी के खूबसूरत लम्हों को तस्वीरों में कैद कर उन्हें यादगार बनाने वाले फोटोग्राफर भी घरों में कैद हो गए. उनके स्टूडियो पर ताला लटका गया. शादी की तेज लग्नों में उन्हें, जो बुकिंग मिली थीं. सभी रद्द हो गई. ए़डवांस में मिले रुपयों का हिसाब और अपने स्टूडियो में काम करने वाले कर्मियों की सैलरी का इंतजाम, इनकी मुसीबतें और बढ़ा रहा है.

फोटोग्राफर बताते हैं कि अप्रैल में शादी की लग्ने तेज थीं. वीडियोग्राफी के लिए अच्छी बुकिंग भी मिली थी. फोटो खिंचवाने वाले भी आते थे. लेकिन कोरोना संक्रण के रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन ने जहां मैरिज फक्शन रुकवा दिए. वहीं, इनकी इस जीविका पर भी लॉक लग गया. बिहार फोटोग्राफर एसोसिएशन के अध्यक्ष ओम प्रकाश सिंह ने बताया कि फोटोग्राफरों की स्थिति दयनीय हो चली है. उनकी जीविका पर कोरोना नाम की बीमारी ने ग्रहण लगा दिया है. पटना के सभी स्टूडियो बंद हैं. हमने लॉकडाउन का पालन किया है.

ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

स्टॉफ को किसी तरह दे रहे सैलरी
पटना के अनूप स्टूडियो के मालिक अनूप बताते हैं कि आर्थिक संकट आन पड़ा है. लिहाजा, उन्होंने अपने यहां रखे स्टॉफ में कुछ लोगों को निकाल दिया है और कुछ को आधा वेतन देकर मदद कर रहे हैं. वो कहते हैं कि ऐसी ही स्थिति रही तो आगे ये मदद भी रुक जाएगी.

बंद पड़े स्टूडियो
बंद पड़े स्टूडियो

फोटोग्राफी से जुड़े लाखों लोग

  • बिहार में लाखों स्टूडियो हैं.
  • वहीं, पटना में 2 हजार से ज्यादा स्टूडियो हैं.
  • पटना में इस व्यवसाय से 10 हजार लोग जुड़े हैं.
  • वहीं 5 हजार फ्रीलांसिंग करने वाले हैं.

फोटोग्राफर कहते हैं कि अब फिल्ममेकिंग भी बंद है. दूरदर्शन जैसे संस्थानों से काम नहीं मिल रहा. दूसरी ओर खुद से डॉक्यूमेंट्री भी नहीं बना सकते हैं. हर तरफ कोरोना महामारी का खतरा भी मंडरा रहा है. खाने को लाले पड़े हैं.

एडिटिंग के लिए तरस रहे हाथ
एडिटिंग के लिए तरस रहे हाथ

दुकानों का देना है किराया
वहीं पटना के नेहा स्टूडियो के मालिक साहिल सिंहा बताते हैं कि दुकान का रेंट भी देना है, जो कम नहीं होगा. उसका मीटर चल रहा है. परिवार का भरण-पोषण करने में तकलीफ हो रही है.

पुरानी तस्वीरों को देखते स्टूडियो मालिक
कब लौटेंगे वो दिन?

फोटोग्राफरों बताते हैं कि लॉकडाउन में उन्हें काफी नुकसान हुआ है. वो साल भर के बैकफुट पर आ गए हैं, जिसकी भरपाई में दो साल लग जाएंगे. ऐसे में उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार से योजना चलाने की मांग की है. फोटोग्राफर कहते हैं कि सरकार कुछ ऐसी योजना चलाए, जिससे उन्हें भी लाभ मिल सके. उन्होंने स्टूडियो खोले जाने की मांग की है.

पटना: लॉकडाउन के दौरान सभी व्यवसाय ठप हो गए. दुकानों पर ताला लटका नजर आया. ऐसे में दूसरों की जिंदगी के खूबसूरत लम्हों को तस्वीरों में कैद कर उन्हें यादगार बनाने वाले फोटोग्राफर भी घरों में कैद हो गए. उनके स्टूडियो पर ताला लटका गया. शादी की तेज लग्नों में उन्हें, जो बुकिंग मिली थीं. सभी रद्द हो गई. ए़डवांस में मिले रुपयों का हिसाब और अपने स्टूडियो में काम करने वाले कर्मियों की सैलरी का इंतजाम, इनकी मुसीबतें और बढ़ा रहा है.

फोटोग्राफर बताते हैं कि अप्रैल में शादी की लग्ने तेज थीं. वीडियोग्राफी के लिए अच्छी बुकिंग भी मिली थी. फोटो खिंचवाने वाले भी आते थे. लेकिन कोरोना संक्रण के रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन ने जहां मैरिज फक्शन रुकवा दिए. वहीं, इनकी इस जीविका पर भी लॉक लग गया. बिहार फोटोग्राफर एसोसिएशन के अध्यक्ष ओम प्रकाश सिंह ने बताया कि फोटोग्राफरों की स्थिति दयनीय हो चली है. उनकी जीविका पर कोरोना नाम की बीमारी ने ग्रहण लगा दिया है. पटना के सभी स्टूडियो बंद हैं. हमने लॉकडाउन का पालन किया है.

ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

स्टॉफ को किसी तरह दे रहे सैलरी
पटना के अनूप स्टूडियो के मालिक अनूप बताते हैं कि आर्थिक संकट आन पड़ा है. लिहाजा, उन्होंने अपने यहां रखे स्टॉफ में कुछ लोगों को निकाल दिया है और कुछ को आधा वेतन देकर मदद कर रहे हैं. वो कहते हैं कि ऐसी ही स्थिति रही तो आगे ये मदद भी रुक जाएगी.

बंद पड़े स्टूडियो
बंद पड़े स्टूडियो

फोटोग्राफी से जुड़े लाखों लोग

  • बिहार में लाखों स्टूडियो हैं.
  • वहीं, पटना में 2 हजार से ज्यादा स्टूडियो हैं.
  • पटना में इस व्यवसाय से 10 हजार लोग जुड़े हैं.
  • वहीं 5 हजार फ्रीलांसिंग करने वाले हैं.

फोटोग्राफर कहते हैं कि अब फिल्ममेकिंग भी बंद है. दूरदर्शन जैसे संस्थानों से काम नहीं मिल रहा. दूसरी ओर खुद से डॉक्यूमेंट्री भी नहीं बना सकते हैं. हर तरफ कोरोना महामारी का खतरा भी मंडरा रहा है. खाने को लाले पड़े हैं.

एडिटिंग के लिए तरस रहे हाथ
एडिटिंग के लिए तरस रहे हाथ

दुकानों का देना है किराया
वहीं पटना के नेहा स्टूडियो के मालिक साहिल सिंहा बताते हैं कि दुकान का रेंट भी देना है, जो कम नहीं होगा. उसका मीटर चल रहा है. परिवार का भरण-पोषण करने में तकलीफ हो रही है.

पुरानी तस्वीरों को देखते स्टूडियो मालिक
कब लौटेंगे वो दिन?

फोटोग्राफरों बताते हैं कि लॉकडाउन में उन्हें काफी नुकसान हुआ है. वो साल भर के बैकफुट पर आ गए हैं, जिसकी भरपाई में दो साल लग जाएंगे. ऐसे में उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार से योजना चलाने की मांग की है. फोटोग्राफर कहते हैं कि सरकार कुछ ऐसी योजना चलाए, जिससे उन्हें भी लाभ मिल सके. उन्होंने स्टूडियो खोले जाने की मांग की है.

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