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महाधिवक्ता ललित किशोर के पद पर बने रहने को चुनौती देने वाली दायर रिट याचिका को HC ने किया खारिज - Chief Justice Sanjay Karol

याचिका में यह भी कहा गया था कि नियमानुसार राज्य में नई सरकार के गठन के साथ ही राज्यपाल द्वारा योग्य व्यक्ति को राज्य के महाधिवक्ता के रूप में नियुक्त करनी चाहिए थी. वर्तमान महाधिवक्ता की नियुक्ति जुलाई 2017 में की गई थी.

पटना हाईकोर्ट में सुनवाई
पटना हाईकोर्ट में सुनवाई
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Published : Feb 11, 2022, 6:17 PM IST

पटना: राज्य सरकार के महाधिवक्ता ललित किशोर के पद पर बने रहने को चुनौती देने वाली अधिवक्ता दिनेश सिंह द्वारा दायर रिट याचिका को पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने खारिज कर दिया है. चीफ जस्टिस संजय करोल की (Chief Justice Sanjay Karol) खंडपीठ ने इस मामले पर सुनवाई पूरी कर फैसला 13 सितंबर 2021 को सुरक्षित रख लिया था. इस मामले में आज फैसला सुनाया गया है.

ये भी पढ़ें- Bihar shelter home issue: पटना हाईकोर्ट ने दिए DSP स्तर की महिला अधिकारी से जांच के आदेश

याचिका में आरोप लगाया गया था कि महाधिवक्ता भारत के संविधान के अनुच्छेद 165(3) के विरुद्ध राज्य सरकार के महाधिवक्ता के पद पर बने हुए हैं. याचिकाकर्ता का उक्त मामले में कहना था कि अनुच्छेद 165(3) में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि महाधिवक्ता राज्यपाल के प्रसादपर्यंत पद धारण करेंगे. जैसा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 164 में राज्य के मंत्रियों के बारे में कहा गया है. अनुच्छेद 164(1) में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि मंत्रीगण राज्यपाल के प्रसादपर्यंत अपने पद पर बने रहेंगे.

वहीं, याचिका में यह भी कहा गया था कि नियमानुसार राज्य में नई सरकार के गठन के साथ ही राज्यपाल द्वारा योग्य व्यक्ति को राज्य के महाधिवक्ता के रूप में नियुक्त करनी चाहिए थी. वर्तमान महाधिवक्ता की नियुक्ति जुलाई 2017 में की गई थी.

ये भी पढ़ें- PIL In Patna HC: 14 फरवरी को बिहार फार्मेसी काउंसिल के रजिस्ट्रार मामले में होगी सुनवाई

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पटना: राज्य सरकार के महाधिवक्ता ललित किशोर के पद पर बने रहने को चुनौती देने वाली अधिवक्ता दिनेश सिंह द्वारा दायर रिट याचिका को पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने खारिज कर दिया है. चीफ जस्टिस संजय करोल की (Chief Justice Sanjay Karol) खंडपीठ ने इस मामले पर सुनवाई पूरी कर फैसला 13 सितंबर 2021 को सुरक्षित रख लिया था. इस मामले में आज फैसला सुनाया गया है.

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याचिका में आरोप लगाया गया था कि महाधिवक्ता भारत के संविधान के अनुच्छेद 165(3) के विरुद्ध राज्य सरकार के महाधिवक्ता के पद पर बने हुए हैं. याचिकाकर्ता का उक्त मामले में कहना था कि अनुच्छेद 165(3) में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि महाधिवक्ता राज्यपाल के प्रसादपर्यंत पद धारण करेंगे. जैसा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 164 में राज्य के मंत्रियों के बारे में कहा गया है. अनुच्छेद 164(1) में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि मंत्रीगण राज्यपाल के प्रसादपर्यंत अपने पद पर बने रहेंगे.

वहीं, याचिका में यह भी कहा गया था कि नियमानुसार राज्य में नई सरकार के गठन के साथ ही राज्यपाल द्वारा योग्य व्यक्ति को राज्य के महाधिवक्ता के रूप में नियुक्त करनी चाहिए थी. वर्तमान महाधिवक्ता की नियुक्ति जुलाई 2017 में की गई थी.

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