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Bihar Caste Census: जातीय जनगणना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका, 20 जनवरी को होगी सुनवाई

Patna News बिहार में जातीय जनगणना का काम जारी है. वहीं इसका विरोध भी शुरू हो गया है. इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है (Petition In Supreme Court Against Caste Census). इस याचिका पर कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार हो गया है. शुक्रवार 20 जनवरी को इस पर सुनवाई होगी.

सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया
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Published : Jan 11, 2023, 11:46 AM IST

पटना: बिहार में जातीय जनगणना (Caste Census In Bihar) सात जनवरी से हो रही है. इसको लेकर विपक्षी पार्टी सरकार पर हमलावर है. वहीं इसी बीच बिहार में जातीय जनगणना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. याचिका दाखिल होने के बाद कोर्ट इस मामले पर सुनवाई करने के लिए तैयार गया है. इस मामले में शुक्रवार 20 जनवरी को सुनवाई होगी.

ये भी पढ़ें- Bihar Caste Census: बिहार में जातीय जनगणना शुरू, दो चरण में होगा सर्वे का काम

जिला पदाधिकारी बने नोडल अधिकारी: जनगणना को लेकर जिला स्तर पर डीएम को नोडल पदाधिकारी बनाया गया है. सामान्य प्रशासन विभाग और जिला पदाधिकारी ग्राम स्तर, पंचायत स्तर और उच्च स्तरों पर अलग-अलग विभागों में काम करने वाले कर्मचारियों की सेवा ली जा रही है. जिला प्रशासन ने अपने-अपने जिले में सात जनवरी से जातीय जनगणना का काम शुरू कर दिया है. पहले चरण में जनगणना जारी है.

जातीय जनगणना की थी मांग: बता दें कि बिहार में जातिगत जनगणना की जरुरत को देखते हुए बिहार विधानसभा में 2018 और 2019 में दो सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किए गए थे. इसके बाद साल 2022 के जून महीने में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में बिहार में एक सर्वदलीय बैठक आयोजित की गई थी. जिसमें सर्वसम्मति से इसे आगे बढ़ाया गया था. इसको लेकर बिहार सरकार का तर्क है कि गैर-एससी और गैर एसटी से संबंधित आंकड़ों के अभाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की जनसंख्या का सही अनुमान लगाना मुश्किल है. वहीं, जातीय जनगणना की मांग करने वालों का कहना है कि कोटो को संशोधित करने की जरूरत है और इसके लिए जातीय जनगणना की जरूरत है.

पटना: बिहार में जातीय जनगणना (Caste Census In Bihar) सात जनवरी से हो रही है. इसको लेकर विपक्षी पार्टी सरकार पर हमलावर है. वहीं इसी बीच बिहार में जातीय जनगणना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. याचिका दाखिल होने के बाद कोर्ट इस मामले पर सुनवाई करने के लिए तैयार गया है. इस मामले में शुक्रवार 20 जनवरी को सुनवाई होगी.

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जिला पदाधिकारी बने नोडल अधिकारी: जनगणना को लेकर जिला स्तर पर डीएम को नोडल पदाधिकारी बनाया गया है. सामान्य प्रशासन विभाग और जिला पदाधिकारी ग्राम स्तर, पंचायत स्तर और उच्च स्तरों पर अलग-अलग विभागों में काम करने वाले कर्मचारियों की सेवा ली जा रही है. जिला प्रशासन ने अपने-अपने जिले में सात जनवरी से जातीय जनगणना का काम शुरू कर दिया है. पहले चरण में जनगणना जारी है.

जातीय जनगणना की थी मांग: बता दें कि बिहार में जातिगत जनगणना की जरुरत को देखते हुए बिहार विधानसभा में 2018 और 2019 में दो सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किए गए थे. इसके बाद साल 2022 के जून महीने में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में बिहार में एक सर्वदलीय बैठक आयोजित की गई थी. जिसमें सर्वसम्मति से इसे आगे बढ़ाया गया था. इसको लेकर बिहार सरकार का तर्क है कि गैर-एससी और गैर एसटी से संबंधित आंकड़ों के अभाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की जनसंख्या का सही अनुमान लगाना मुश्किल है. वहीं, जातीय जनगणना की मांग करने वालों का कहना है कि कोटो को संशोधित करने की जरूरत है और इसके लिए जातीय जनगणना की जरूरत है.

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