पटनाः शहर के सबसे बड़ी सब्जी मंडी में इन दिनों हरी सब्जियों के नाम पर सेहत से खिलवाड़ हो रहा है. यहां बासी और पीली हो रही सब्जियों को चमकदार और तरोताजा करने के लिए हरे रंग और केमिकल मिलाकर बाजार में बेचा जा रहा है.
मंडियों में सब्जियों को ताजा दिखाने के लिए उनके कलर के अनुसार ही रंगाई की जाती है. सब्जियों को हरा दिखाने के लिए उसमें हरे रंग का इस्तेमाल सबसे ज्यादा होता है. उसमें कॉपर सल्फेट का प्रयोग किया जाता है. रंगे जाने वाली सब्जियों में आलू, परवल, करेला, भिंडी, बैगन, मटर, टमाटर आदि शामिल हैं.
लोगों की सेहत से खिलवाड़
सब्जियों में केमिकल डाई घोलकर उसे चमकदार बनाया जाता है और कलर ही नहीं बल्कि चमक दिखाने के लिए बैगन, जामुन, शिमला मिर्च आदि पर मोबिल आयल लगा दिया जाता है. वहीं आलू को पीले रंग से रंग कर उसे ताजा दिखाने का प्रयास किया जाता है. डॉक्टर्स मानें तो रंगी हुई सब्जियां खाने से डायरिया, उल्टी, चक्कर और पेट की कई बीमारियां हो सकती हैं. शरीर में इसकी मात्रा ज्यादा हो जाने पर यह जहर का काम करता है.
क्या कहते हैं डॉक्टर्स
इसलिए यदि मार्केट में हरी- भरी ताजी सब्जियों को देखकर आपकी निगाहें टिकती है तो जरा संभल जाएं. क्योंकि हो सकता है इन सब्जियों का रंग प्राकृतिक न होकर आर्टिफिशियल हो. इससे लोगों की जान भी जा सकती है. आयुर्वेद चिकित्सकों की माने तो रंगों में लेट, मैग्नीशियम, फास्फेट, एल्मुनियम और दूसरे हेवी मेटल मिलाए जाते हैं. जो बेहद नुकसान देता है. रंगी हुई सब्जी खाने से सीधे किडनी पर असर पड़ता है.