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पटना में बकरीद की धूम, गले मिलकर नमाजियों ने दी ईद की मुबारकबाद

आज पूरे देश में हर्षोल्लास से सभी मुस्लिम बकरीद का त्योहार मना रहे हैं. सुबह से ही नए कपड़े पहन मस्जिद जाकर नमाज अदा कर रहे हैं, और एक दूसरे को गले मिलकर बधाई दे रहे हैं.

बकरीद की नमाज
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Published : Aug 12, 2019, 4:36 PM IST

पटना: इस्लाम धर्म का आज सबसे बड़ा त्योहार बकरीद है. जिसको सारे मुस्लिम बहुत ही हर्षोल्लास से मना रहे है. चारों तरफ रौनक देखने को मिल रहा है. सुबह से ही सब मुस्लिम भाई पाक साफ होकर मस्जिद,खानकाह और सार्वजनिक स्थानों पर नवाज अदा कर एक दूसरे से गले मिलकर बकरीद की मुबारकबाद दे रहे.

बकरीद पर नमाज अदा करते मुस्लिम


देश के अमन-चैन कि अल्हा से मांगी दुआ
अल्हा से दुआ कि, की देश मे अमन-चैन कायम रहे. सभी मजहब के लोग एक है और सभी अल्लाह के सतांन है. सभी मजहबों का एक समान इज्जत करे. गरीब असहाय लोगों की मदद करना ही इस्लाम का सबसे बड़ा कर्म है. आज देश की जो दुर्दशा है उसका कारण टूटते रिश्ते है, हम भारत के सरजमी पर जन्में है, इसलिए हम सभी भारत माता के सतांन है और हम लोग कौमी एकता को प्रतीक मानकर सभी मजहब के लोग एक दूसरे के पर्व में शामिल होकर ख़ुशी का इजहार करते है.

congratulations to bakrid
बकरीद की मुबारकबाद देते


त्याग और बलिदान का पर्व
यह पर्व त्याग और बलिदान का है, जँहा आज सभी मुसलमान दुम्मा या मेमना की बलि देकर इस पर्व को मानते है. आज के दिन इस्लाम धर्म के मानने और जानने वाले मोहमद हजरत इमाम हुसैन के नवासे की कुर्बानी होनी थी, लेकिन उस समय उनके नवासे की जैसे ही कुर्बानी होने ही वाली थी, कि अचानक उनके सिर के जगह दुम्मा के सिर की कुर्बानी हो गई. उस समय से लेकर आज तक इस्लाम मे यह प्रथा चलती आ रही है कि बकरीद की नवाज अदा कर दुम्मा की बलि देनी पड़ती है. इसलिए देश के सभी मुसलमान बकरीद का नवाज पढ़कर दुम्मा की कुर्बानी देकर इस पर्व को सफल बनाते है.

पटना: इस्लाम धर्म का आज सबसे बड़ा त्योहार बकरीद है. जिसको सारे मुस्लिम बहुत ही हर्षोल्लास से मना रहे है. चारों तरफ रौनक देखने को मिल रहा है. सुबह से ही सब मुस्लिम भाई पाक साफ होकर मस्जिद,खानकाह और सार्वजनिक स्थानों पर नवाज अदा कर एक दूसरे से गले मिलकर बकरीद की मुबारकबाद दे रहे.

बकरीद पर नमाज अदा करते मुस्लिम


देश के अमन-चैन कि अल्हा से मांगी दुआ
अल्हा से दुआ कि, की देश मे अमन-चैन कायम रहे. सभी मजहब के लोग एक है और सभी अल्लाह के सतांन है. सभी मजहबों का एक समान इज्जत करे. गरीब असहाय लोगों की मदद करना ही इस्लाम का सबसे बड़ा कर्म है. आज देश की जो दुर्दशा है उसका कारण टूटते रिश्ते है, हम भारत के सरजमी पर जन्में है, इसलिए हम सभी भारत माता के सतांन है और हम लोग कौमी एकता को प्रतीक मानकर सभी मजहब के लोग एक दूसरे के पर्व में शामिल होकर ख़ुशी का इजहार करते है.

congratulations to bakrid
बकरीद की मुबारकबाद देते


त्याग और बलिदान का पर्व
यह पर्व त्याग और बलिदान का है, जँहा आज सभी मुसलमान दुम्मा या मेमना की बलि देकर इस पर्व को मानते है. आज के दिन इस्लाम धर्म के मानने और जानने वाले मोहमद हजरत इमाम हुसैन के नवासे की कुर्बानी होनी थी, लेकिन उस समय उनके नवासे की जैसे ही कुर्बानी होने ही वाली थी, कि अचानक उनके सिर के जगह दुम्मा के सिर की कुर्बानी हो गई. उस समय से लेकर आज तक इस्लाम मे यह प्रथा चलती आ रही है कि बकरीद की नवाज अदा कर दुम्मा की बलि देनी पड़ती है. इसलिए देश के सभी मुसलमान बकरीद का नवाज पढ़कर दुम्मा की कुर्बानी देकर इस पर्व को सफल बनाते है.

Intro:इस्लाम को मानने बाले आज सभी मुसलमान सुवह में बकरीद की नवाज देश के सभी मज्जिद,खानकाह,तथा सार्वजनिक स्थानों पर अदा की।सुवह में सभी मुसलमान पाक साफ होकर मज्जिद में आकर आल्हा से दुआ की देश मे अमन-चैन कायम रहे,सभी मजहब के लोग एक है और सभी अल्लाह के सन्तान है।सभी मजहबो का एक समान इज्जत करे।क्योंकि इस्लाम इंसानों की मदद के लिये अल्लाह ने धरती पर भेजा है।ताकि इंसान से इंसान को मिला,दवे-कुचले,गरीब असहाय लोगो की मदद करना ही इस्लाम का सबसे बड़ा कर्म है।आज देश की जो दुर्दशा है उस दुर्दशा का कारण आज टूटते रिस्ते है इसलिय हम भारत के सरजमी पर जन्मे है इसलिय हम सभी भारत माता के सन्तान है और हमलोग कौमी एकता को प्रतीक मानकर सभी मजहब के लोग एक दूसरे के पर्व में शामिल होकर ख़ुशी का इजहार करते है।


Body:स्टोरी:-बकरीद की नवाज।
रिपोर्ट:-पटना सिटी से अरुण कुमार।
दिनांक:-12-08-019.
एंकर:-पटना सिटी,राजधानी पटना के सभी मस्जिदों,खानकाह,एवम सार्वजनिक स्थलों पर इस्लाम को मानने बाले मुसलमानों ने पाक साफ़ होकर बकरीद की नवाज अदा की।नवाज अदा कर लोगो ने एक दूसरे को गले मिलकर बकरीद की मुबारकबाद दी।गौरतलब है कि यह पर्व त्याग और बलिदान का पर्व है जँहा आज सभी मुसलमान दुम्मा या मेमना की बलि देकर इस पर्व को मानते है।आज के दिन इस्लाम धर्म के मानने और जानने बाले मोहमद हजरत इमाम हुसैन के नवासे की कुर्बानी होनी थी लेकिन उस समय उनके नवासे की जैसे ही कुर्वानी देने ही बाली थी कि अचानक उनके सिर के जगह दुम्मा का सिर की कुर्वानी हो गई उस समय से लेकर आज तक इस्लाम मे यह प्रथा चलती आ रही है की बकरीद की नवाज अदा कर दुम्मा की बलि यानी कुर्वानी पड़ती है इसलिय देश के सभी मुसलमान वकरीद का नवाज पढ़कर दुम्मा की कुर्वानी देकर इस पर्व को सफल बनाते है।पटना सिटी के माखनपुर ईदगाह की तस्वीर है जँहा बड़ी भीड़ ने इस स्थान पर आकर वकरीद की नवाज अदा कर एक दूसरे को बधाई देते है।
बाईट(मिस्वाहुल हक इमादी-खानकाह इमादिया मंगलतालब के गद्दीनसीर)


Conclusion:बकरीद की नवाज।
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