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उपभोक्ता न्यायालय में ससमय नहीं हो पा रहा है मामलों का निष्पादन, 5 हजार से ज्यादा मामले लंबित - Consumer court

जिला उपभोक्ता न्यायालय के अधिवक्ता अनिल कुमार ने बताया कि उपभोक्ता फोरम में कार्यरत स्टाफ के रिटायर होने के बाद उनकी जगह नई नियुक्ति नहीं होती है. इस वजह से आने वाले मामलों के निष्पादन में काफी समय लग जाता है. कानून के मुताबिक जो रिक्रूटमेंट होनी चाहिए, वह सरकार की तरफ से पूरी फुल फील नहीं हो पा रही है.

पटना
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Published : Jun 11, 2020, 4:50 PM IST

पटना: सफेद हाथी वाला मुहावरा आज कल जिला उपभोक्ता न्यायालय पर सटीक बैठता है. जिला उपभोक्ता न्यायालय में मेंबर्स और प्रेसिडेंट की कमी की वजह से आने वाले मामलों का सही समय पर निपटारा नहीं हो पा रहा है. आलम यह है कि लोग अपनी समस्याओं को लेकर जिला उपभोक्ता न्यायालय का चक्कर काटते हैं. लेकिन उन्हें सिर्फ डेट ही नसीब हो पाता है. जिला उपभोक्ता न्यायालय में तकरीबन 5 हजार से ज्यादा मामले पेंडिंग हैं. जिनका पिछले 2 सालों से निष्पादन नहीं हो पा रहा है.

पटना
जिला उपभोक्ता न्यायालय के रजिस्ट्रार सुबोध कुमार श्रीवास्तव
जिला उपभोक्ता न्यायालय के अधिवक्ता अनिल कुमार ने बताया कि उपभोक्ता फोरम में कार्यरत स्टाफ के रिटायर होने के बाद उनकी जगह नई नियुक्ति नहीं होती है. इस वजह से आने वाले मामलों के निष्पादन में काफी समय लग जाता है. कानून के मुताबिक जो रिक्रूटमेंट होनी चाहिए, वह सरकार की तरफ से पूरी फुल फील नहीं हो पा रही है. उन्होंने बताया कि सामान्य मुकदमों में 90 दिन और टेक्निकल मामलों में पांच से छह महीने के अंदर मामलों का निष्पादन करने का प्रावधान है. लेकिन उपभोक्ता न्यायालय में आने वाले मामलों का निष्पादन 3 महीने की जगह 6 से 9 महीने में भी पूरा नहीं हो पाता है.
ईटीवी भारत की रिपोर्ट

लोगों को होती है परेशानी
अनिल कुमार ने आगे कहा कि अगर रिक्रूटमेंट पूरी हो जाय तब सही समय पर मामलों का निष्पादन कर लिया जाता. उन्होंने बताया कि समय पर मामले का निष्पादन नहीं होने का सबसे बड़ा कारण जज, स्टेनों और कभी टाइपिस्ट का भी समय पर उपलब्ध नहीं होना है. जिसके वजह से आम लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है. वहीं, जिला उपभोक्ता न्यायालय के रजिस्ट्रार सुबोध कुमार श्रीवास्तव की माने तो जिन जिलों में मेंबर और प्रेसिडेंट मौजूद हैं. उन जिलों में उपभोक्ता से जुड़े मामले का निष्पादन किया जा रहा है.

पटना
जिला उपभोक्ता न्यायालय के अधिवक्ता अनिल कुमार

'रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया जारी'
रजिस्ट्रार सुबोध कुमार श्रीवास्तव ने स्वीकार करते हुए कहा कि बिहार के 13 जिलों में प्रेसिडेंट और 24 जिलों में मेंबर्स की कमी होने की वजह से मामलों का निष्पादन समय पर नहीं हो पा रहा है. हालांकि, इन पदों की बहाली की प्रक्रिया जारी है. उन्होंने बताया कि एक बेंच के लिए 2 मेंबर्स निर्धारित हैं. जबकि वर्तमान समय में कहीं पर एक तो कहीं पर दोनों मेंबर्स नहीं हैं. इन सभी रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया जारी है. एक से 2 महीने में सभी जगहों पर नियुक्ति कर ली जाएगी. जिले में कुल 5 हजार से ज्यादा मामले पेंडिंग है. इसी तरह राज्य में भी चार से पांच हजार मामले का निष्पादन होना बाकी है.

पटना: सफेद हाथी वाला मुहावरा आज कल जिला उपभोक्ता न्यायालय पर सटीक बैठता है. जिला उपभोक्ता न्यायालय में मेंबर्स और प्रेसिडेंट की कमी की वजह से आने वाले मामलों का सही समय पर निपटारा नहीं हो पा रहा है. आलम यह है कि लोग अपनी समस्याओं को लेकर जिला उपभोक्ता न्यायालय का चक्कर काटते हैं. लेकिन उन्हें सिर्फ डेट ही नसीब हो पाता है. जिला उपभोक्ता न्यायालय में तकरीबन 5 हजार से ज्यादा मामले पेंडिंग हैं. जिनका पिछले 2 सालों से निष्पादन नहीं हो पा रहा है.

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जिला उपभोक्ता न्यायालय के रजिस्ट्रार सुबोध कुमार श्रीवास्तव
जिला उपभोक्ता न्यायालय के अधिवक्ता अनिल कुमार ने बताया कि उपभोक्ता फोरम में कार्यरत स्टाफ के रिटायर होने के बाद उनकी जगह नई नियुक्ति नहीं होती है. इस वजह से आने वाले मामलों के निष्पादन में काफी समय लग जाता है. कानून के मुताबिक जो रिक्रूटमेंट होनी चाहिए, वह सरकार की तरफ से पूरी फुल फील नहीं हो पा रही है. उन्होंने बताया कि सामान्य मुकदमों में 90 दिन और टेक्निकल मामलों में पांच से छह महीने के अंदर मामलों का निष्पादन करने का प्रावधान है. लेकिन उपभोक्ता न्यायालय में आने वाले मामलों का निष्पादन 3 महीने की जगह 6 से 9 महीने में भी पूरा नहीं हो पाता है.
ईटीवी भारत की रिपोर्ट

लोगों को होती है परेशानी
अनिल कुमार ने आगे कहा कि अगर रिक्रूटमेंट पूरी हो जाय तब सही समय पर मामलों का निष्पादन कर लिया जाता. उन्होंने बताया कि समय पर मामले का निष्पादन नहीं होने का सबसे बड़ा कारण जज, स्टेनों और कभी टाइपिस्ट का भी समय पर उपलब्ध नहीं होना है. जिसके वजह से आम लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है. वहीं, जिला उपभोक्ता न्यायालय के रजिस्ट्रार सुबोध कुमार श्रीवास्तव की माने तो जिन जिलों में मेंबर और प्रेसिडेंट मौजूद हैं. उन जिलों में उपभोक्ता से जुड़े मामले का निष्पादन किया जा रहा है.

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जिला उपभोक्ता न्यायालय के अधिवक्ता अनिल कुमार

'रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया जारी'
रजिस्ट्रार सुबोध कुमार श्रीवास्तव ने स्वीकार करते हुए कहा कि बिहार के 13 जिलों में प्रेसिडेंट और 24 जिलों में मेंबर्स की कमी होने की वजह से मामलों का निष्पादन समय पर नहीं हो पा रहा है. हालांकि, इन पदों की बहाली की प्रक्रिया जारी है. उन्होंने बताया कि एक बेंच के लिए 2 मेंबर्स निर्धारित हैं. जबकि वर्तमान समय में कहीं पर एक तो कहीं पर दोनों मेंबर्स नहीं हैं. इन सभी रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया जारी है. एक से 2 महीने में सभी जगहों पर नियुक्ति कर ली जाएगी. जिले में कुल 5 हजार से ज्यादा मामले पेंडिंग है. इसी तरह राज्य में भी चार से पांच हजार मामले का निष्पादन होना बाकी है.

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