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Patna High Court : PU के छात्र की याचिका रद्द, कॉपी का फिर से मूल्यांकन करने की रखी थी मांग

पटना हाईकोर्ट ने एक छात्र की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें कॉपी का फिर से मूल्यांकन करने की मांग रखी गयी थी. कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद यह फैसला सुनाया. आगे पढ़ें पूरी खबर..

Patna High Court Etv Bharat
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Published : Aug 2, 2023, 9:50 PM IST

पटना : पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने पटना विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विषय के बीए पार्ट तीन के छात्र के कॉपी का पुनर्मूल्यांकन करने की मांग को अस्वीकार करते हुए याचिका को रद्द कर दिया. जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने रजनीश कुमार मिश्रा की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने सभी पक्षों का दलीलों को सुनने के बाद इस याचिका को खारिज कर दिया.

ये भी पढ़ें- Patna High Court : 75 हजार शिक्षकों के फोल्डर लापता, फर्जी नियुक्ति केस पर सरकार को 3 महीने की मोहलत

सभी प्रश्नों का जबाब दिया था फिर शून्य नंबर कैसे? : इसके पूर्व कोर्ट को बताया गया कि आवेदक मनोविज्ञान विषय के बीए पार्ट तीन का छात्र हैं. उसे होम असाइनमेंट के सातवें पेपर में शून्य अंक दिया गया है. जबकि छात्र ने सभी प्रश्नों का जबाब दिया था. अपने रिजल्ट से संतुष्ट नहीं होने को लेकर पीयू के परीक्षा नियंत्रक को आवेदन देकर बीए पार्ट तीन के सातवें पेपर का पुनः जांच करने की मांग की. लेकिन विश्वविद्यालय ने फिर से मूल्यांकन करने से इंकार कर दिया.

विश्वविद्यालय प्रशासन क्या क्या कहना है? : वहीं विश्वविद्यालय की ओर से कोर्ट को बताया गया कि पटना विश्वविद्यालय के परीक्षा विनियम के क्लॉज 9.1 के तहत होम असाइनमेंट पेपर में शून्य अंक प्राप्त करने वाले छात्र को उस परीक्षा में फेल करार दिये जाने का प्रावधान है. उनका कहना था कि पटना विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा 29 का हवाला देते हुए कहा कि असाइनमेंट पेपर के पुनर्मूल्यांकन का कोई प्रावधान नहीं है. कोर्ट ने दोनों पक्षों की ओर से पेश दलील और पीयू के प्रावधानों के आधार पर छात्र को किसी प्रकार का राहत देने से इंकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया.

पटना : पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने पटना विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विषय के बीए पार्ट तीन के छात्र के कॉपी का पुनर्मूल्यांकन करने की मांग को अस्वीकार करते हुए याचिका को रद्द कर दिया. जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने रजनीश कुमार मिश्रा की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने सभी पक्षों का दलीलों को सुनने के बाद इस याचिका को खारिज कर दिया.

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सभी प्रश्नों का जबाब दिया था फिर शून्य नंबर कैसे? : इसके पूर्व कोर्ट को बताया गया कि आवेदक मनोविज्ञान विषय के बीए पार्ट तीन का छात्र हैं. उसे होम असाइनमेंट के सातवें पेपर में शून्य अंक दिया गया है. जबकि छात्र ने सभी प्रश्नों का जबाब दिया था. अपने रिजल्ट से संतुष्ट नहीं होने को लेकर पीयू के परीक्षा नियंत्रक को आवेदन देकर बीए पार्ट तीन के सातवें पेपर का पुनः जांच करने की मांग की. लेकिन विश्वविद्यालय ने फिर से मूल्यांकन करने से इंकार कर दिया.

विश्वविद्यालय प्रशासन क्या क्या कहना है? : वहीं विश्वविद्यालय की ओर से कोर्ट को बताया गया कि पटना विश्वविद्यालय के परीक्षा विनियम के क्लॉज 9.1 के तहत होम असाइनमेंट पेपर में शून्य अंक प्राप्त करने वाले छात्र को उस परीक्षा में फेल करार दिये जाने का प्रावधान है. उनका कहना था कि पटना विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा 29 का हवाला देते हुए कहा कि असाइनमेंट पेपर के पुनर्मूल्यांकन का कोई प्रावधान नहीं है. कोर्ट ने दोनों पक्षों की ओर से पेश दलील और पीयू के प्रावधानों के आधार पर छात्र को किसी प्रकार का राहत देने से इंकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया.

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