ETV Bharat / state

पटना HC का फैसला- 'क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम के लिए अपराध और अपराधियों पर लगाम लगाए बिहार सरकार'

पटना हाईकोर्ट ने आपराधिक न्याय व्यवस्था को लेकर राज्य पुलिस द्वारा सही ढंग से स्तरीय जांच नहीं किए जाने के मामले की सुनवाई पूरी कर ली है. इस मामले में कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था जिसे आज सुना दिया है. कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में विश्वास बना रहे ये सबसे आवश्यक बात है. इसलिए पुलिस बल में रिक्त पद को भरने के साथ ही साथ पुलिस का प्रशिक्षण भी जरूरी है. पढ़ें Patna High Court News-

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Oct 29, 2022, 4:16 PM IST

पटना : हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि आम जनता का आपराधिक न्याय व्यवस्था (criminal justice system in Bihar) में विश्वास बना रहे, ये सबसे आवश्यक बात है. जस्टिस अश्वनी कुमार सिंह की खंडपीठ ने राज्य पुलिस द्वारा सही ढंग से व स्तरीय जांच नहीं किये जाने के मामले पर सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे आज कोर्ट ने सुनाया है.

ये भी पढ़ें- बिहार में शराबबंदी सही ढंग से लागू नहीं, हाईकोर्ट ने जताई सख्त नाराजगी, गिनाई ढेरों खामियां

अधिवक्ता ओम प्रकाश की जनहित याचिका (PIL of Advocate Om Prakash) पर फैसला देते हुए स्पष्ट किया कि राज्य में पुलिस बल में रिक्त पदों को प्राथमिकता के आधार पर भरा जाए. कोर्ट ने पुलिसकर्मियों के वर्तमान प्रशिक्षण को अपर्याप्त बताते हुए कहा कि आज जिस तरह के अपराध हो रहे हैं, उसके मद्देनजर पुलिसकर्मियों को व्यावहारिक, स्तरीय और प्रभावी प्रशिक्षण की जरूरत है. कोर्ट ने अपराध और अपराधियों पर लगाम लगाने और सख्त कार्रवाई करने की जरूरत पर जोर दिया, ताकि आम जनता को न्यायिक और प्राशासनिक व्यवस्था पर विश्वास मजबूती से बना रहे.

कोर्ट ने पुलिस बल द्वारा जांच की प्रक्रिया को प्रभावी और व्यावहारिक बनाने पर जोर दिया, ताकि अपराध करने के पहले अपराधियों के अंदर कानून का भय हो. कोर्ट ने इस आदेश की प्रति को राज्य मुख्य सचिव, गृह सचिव और डीजीपी को भेजने का आदेश दिया. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि बड़ी संख्या में अपराधियों के सजा पाने से बच जाने के कारण लोगों का न्याय व्यवस्था पर विश्वास कम होते जा रहा है. पुलिस अधिकारियों द्वारा किये जा रहे जांच में त्रुटियों और कमी के कारण अपराधी सजा से बच जाते हैं.

सुनवाई के दौरान बिहार पुलिस एकेडमी के निदेशक ने कोर्ट को बताया कि पुलिस अधिकारियों को जांच और अन्य आपराधिक मामलों को सुलझाने की प्रक्रिया का प्रशिक्षण दिया जाता है. उनकी समय-समय पर परीक्षा ली जाती है और उनके प्रगति का मूल्यांकन होता है. इसमें लगातार सुधार किया जा रहा है. पुलिस आधुनकीकरण के एडीजी केके सिंह ने कोर्ट को बताया था कि पुलिस अधिकारियों के प्रशिक्षण और त्रुटियों पर कार्रवाई की जा रही है. उन्होंने बताया कि संसाधनों की कमी के कारण भी समस्याएं हैं. फॉरेंसिक लेबोरेट्री में आवश्यक सुधार और सुविधाएं उपलब्ध कराने की जरूरत है.

पुलिस आधुनकीकरण के एडीजी केके सिंह ने कोर्ट को बताया था कि एक फॉरेंसिक लैब पटना में है. दो क्षेत्रीय फॉरेंसिक लैब मुजफ्फरपुर और भागलपुर में भी है. दरभंगा में फॉरेंसिक लैब की स्थापना होने जा रहा है. कोर्ट ने कहा कि आपराधिक न्याय व्यवस्था को प्रभावी ढंग से जारी रखने के लिए पुलिसकर्मियों सही ढंग से प्रशिक्षित करने की जरूरत है. साथ ही उनकी जांच में जिम्मेदारी तय करना भी आवश्यक है.

इसी सुनवाई में बिहार सरकार के एडवोकेट जनरल ललित किशोर (Advocate General Lalit Kishor) ने कहा था कि आपराधिक न्याय व्यवस्था को सफल बनाने के लिए जरूरी है कि अपराधियों को सजा देने का अनुपात बढ़े. पुलिस को संवेदनशील बनाने के साथ ही उनकी कार्यक्षमता और कुशलता बढ़ाने के समय-समय पर वर्कशॉप का आयोजन किया जाए. कोर्ट ने राज्य पुलिस द्वारा सही ढंग, वैज्ञानिक और स्तरीय जांच नहीं करने के कारण अपराधियों को सजा नहीं मिलने पर गहरी चिंता जाहिर की थी.

उन्होंने कहा था कि जहां पुलिस अधिकारियों को सही ढंग से आपराधिक मामलों की जांच के लिए आवश्यक प्रशिक्षण और संसाधन उपलब्ध कराया जाना जरूरी है. सही तरीके से जांच करने, ठोस सबूत और पक्के गवाह उपलब्ध कराने पर ही अपराधियों को कोर्ट द्वारा सजा दी जा सकेगी. कोर्ट ने कहा था कि जबतक अपराधियों को सख्त सजा नहीं मिलेगी, कोई भी सुरक्षित नहीं रह सकता है. इसके लिए आवश्यक है कि पुलिस के जांच आधुनिक, स्तरीय और वैज्ञानिक हो. जिसमें अपराधियों को सजा मिलना सुनिश्चित हो.

पटना : हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि आम जनता का आपराधिक न्याय व्यवस्था (criminal justice system in Bihar) में विश्वास बना रहे, ये सबसे आवश्यक बात है. जस्टिस अश्वनी कुमार सिंह की खंडपीठ ने राज्य पुलिस द्वारा सही ढंग से व स्तरीय जांच नहीं किये जाने के मामले पर सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे आज कोर्ट ने सुनाया है.

ये भी पढ़ें- बिहार में शराबबंदी सही ढंग से लागू नहीं, हाईकोर्ट ने जताई सख्त नाराजगी, गिनाई ढेरों खामियां

अधिवक्ता ओम प्रकाश की जनहित याचिका (PIL of Advocate Om Prakash) पर फैसला देते हुए स्पष्ट किया कि राज्य में पुलिस बल में रिक्त पदों को प्राथमिकता के आधार पर भरा जाए. कोर्ट ने पुलिसकर्मियों के वर्तमान प्रशिक्षण को अपर्याप्त बताते हुए कहा कि आज जिस तरह के अपराध हो रहे हैं, उसके मद्देनजर पुलिसकर्मियों को व्यावहारिक, स्तरीय और प्रभावी प्रशिक्षण की जरूरत है. कोर्ट ने अपराध और अपराधियों पर लगाम लगाने और सख्त कार्रवाई करने की जरूरत पर जोर दिया, ताकि आम जनता को न्यायिक और प्राशासनिक व्यवस्था पर विश्वास मजबूती से बना रहे.

कोर्ट ने पुलिस बल द्वारा जांच की प्रक्रिया को प्रभावी और व्यावहारिक बनाने पर जोर दिया, ताकि अपराध करने के पहले अपराधियों के अंदर कानून का भय हो. कोर्ट ने इस आदेश की प्रति को राज्य मुख्य सचिव, गृह सचिव और डीजीपी को भेजने का आदेश दिया. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि बड़ी संख्या में अपराधियों के सजा पाने से बच जाने के कारण लोगों का न्याय व्यवस्था पर विश्वास कम होते जा रहा है. पुलिस अधिकारियों द्वारा किये जा रहे जांच में त्रुटियों और कमी के कारण अपराधी सजा से बच जाते हैं.

सुनवाई के दौरान बिहार पुलिस एकेडमी के निदेशक ने कोर्ट को बताया कि पुलिस अधिकारियों को जांच और अन्य आपराधिक मामलों को सुलझाने की प्रक्रिया का प्रशिक्षण दिया जाता है. उनकी समय-समय पर परीक्षा ली जाती है और उनके प्रगति का मूल्यांकन होता है. इसमें लगातार सुधार किया जा रहा है. पुलिस आधुनकीकरण के एडीजी केके सिंह ने कोर्ट को बताया था कि पुलिस अधिकारियों के प्रशिक्षण और त्रुटियों पर कार्रवाई की जा रही है. उन्होंने बताया कि संसाधनों की कमी के कारण भी समस्याएं हैं. फॉरेंसिक लेबोरेट्री में आवश्यक सुधार और सुविधाएं उपलब्ध कराने की जरूरत है.

पुलिस आधुनकीकरण के एडीजी केके सिंह ने कोर्ट को बताया था कि एक फॉरेंसिक लैब पटना में है. दो क्षेत्रीय फॉरेंसिक लैब मुजफ्फरपुर और भागलपुर में भी है. दरभंगा में फॉरेंसिक लैब की स्थापना होने जा रहा है. कोर्ट ने कहा कि आपराधिक न्याय व्यवस्था को प्रभावी ढंग से जारी रखने के लिए पुलिसकर्मियों सही ढंग से प्रशिक्षित करने की जरूरत है. साथ ही उनकी जांच में जिम्मेदारी तय करना भी आवश्यक है.

इसी सुनवाई में बिहार सरकार के एडवोकेट जनरल ललित किशोर (Advocate General Lalit Kishor) ने कहा था कि आपराधिक न्याय व्यवस्था को सफल बनाने के लिए जरूरी है कि अपराधियों को सजा देने का अनुपात बढ़े. पुलिस को संवेदनशील बनाने के साथ ही उनकी कार्यक्षमता और कुशलता बढ़ाने के समय-समय पर वर्कशॉप का आयोजन किया जाए. कोर्ट ने राज्य पुलिस द्वारा सही ढंग, वैज्ञानिक और स्तरीय जांच नहीं करने के कारण अपराधियों को सजा नहीं मिलने पर गहरी चिंता जाहिर की थी.

उन्होंने कहा था कि जहां पुलिस अधिकारियों को सही ढंग से आपराधिक मामलों की जांच के लिए आवश्यक प्रशिक्षण और संसाधन उपलब्ध कराया जाना जरूरी है. सही तरीके से जांच करने, ठोस सबूत और पक्के गवाह उपलब्ध कराने पर ही अपराधियों को कोर्ट द्वारा सजा दी जा सकेगी. कोर्ट ने कहा था कि जबतक अपराधियों को सख्त सजा नहीं मिलेगी, कोई भी सुरक्षित नहीं रह सकता है. इसके लिए आवश्यक है कि पुलिस के जांच आधुनिक, स्तरीय और वैज्ञानिक हो. जिसमें अपराधियों को सजा मिलना सुनिश्चित हो.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.