ETV Bharat / state

'अदालती कार्यवाही से जनता को नहीं रखा जा सकता दूर, कोर्ट के वर्तमान कामकाज में परिवर्तन की जरूरत'

पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) के न्यायाधीश जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह ने वर्तमान परिस्थिति के आधार पर कोर्ट के कामकाज को बदलने की जरूरत बताई. उन्होंने कहा कि कोर्ट का काम सिर्फ कोरोना काल की परिस्थिति के लिए बदला था. इस मामले में उनकी ये निजी राय है लेकिन इसपर फैसला चीफ जस्टिस का सर्वोपरि होगा.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Nov 5, 2022, 6:00 PM IST

पटना : हाईकोर्ट के वरीय जज जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह (Justice Chakradhari Sharan Singh)ने एक महत्वपूर्ण तथ्य को इंगित करते हुए कहा कि करोना काल की परिस्थितियों में काफी बदलाव आया है. उन्होंने कहा कि वर्तमान स्थिति को देखते हुए कोर्ट के कामकाज में परिवर्तन किये जाने की जरूरत है. उन्होंने ने चीफ जस्टिस संजय करोल को सुझाव देते हुए कहा कि कोरोना महामारी के समय से चली आ रही एसओपी (Standard Operating Procedures in Court) को अब तक जारी रखने की अब कोई औचित्य और आवश्यकता नहीं प्रतीत होती है.

ये भी पढ़ें- पटना हाईकोर्ट ने रेलवे चेयरमैन पर ठोंका जुर्माना, जवाब दाखिल नहीं करने पर कोर्ट ने जताई नाराजगी

जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह ने कहा कि अदालती कार्यवाही से आम जनता एवं वादियों को दूर नहीं रखा जाना चाहिए, जब तक कि पुनः कोई असाधारण परिस्थियां उत्पन्न न हो जाएं. उन्होंने कोरोना की स्थिति में नियंत्रण के सन्दर्भ में ये बातें कहीं. उन्होंने 9 महीने पुराने स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीड्यूर के सम्बन्ध में कहा कि किसी भी कोर्ट के पास वादियों या आम जनता को कार्यवाही देखने से वंचित नहीं किया जा सकता. अदालती कार्यवाही में वादी के प्रवेश अधिकार को रोकने से अदालती कार्यवाही में भी अस्पष्टता पैदा होती है, जो खुली अदालत की कार्यवाही के सिद्धांत के विपरीत है.

हालांकि कोर्ट ने स्पष्ट किया 21.02.2022 से प्रभावी एसओपी के अनुसार हाईकोर्ट के कामकाज के संबंध में कहा कि यह उनका एक विचार मात्र है. इसमें कोई दो राय नहीं है कि हाईकोर्ट के कामकाज के मामले में चीफ जस्टिस का निर्णय सर्वोपरि और अंतिम होता है.

पटना : हाईकोर्ट के वरीय जज जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह (Justice Chakradhari Sharan Singh)ने एक महत्वपूर्ण तथ्य को इंगित करते हुए कहा कि करोना काल की परिस्थितियों में काफी बदलाव आया है. उन्होंने कहा कि वर्तमान स्थिति को देखते हुए कोर्ट के कामकाज में परिवर्तन किये जाने की जरूरत है. उन्होंने ने चीफ जस्टिस संजय करोल को सुझाव देते हुए कहा कि कोरोना महामारी के समय से चली आ रही एसओपी (Standard Operating Procedures in Court) को अब तक जारी रखने की अब कोई औचित्य और आवश्यकता नहीं प्रतीत होती है.

ये भी पढ़ें- पटना हाईकोर्ट ने रेलवे चेयरमैन पर ठोंका जुर्माना, जवाब दाखिल नहीं करने पर कोर्ट ने जताई नाराजगी

जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह ने कहा कि अदालती कार्यवाही से आम जनता एवं वादियों को दूर नहीं रखा जाना चाहिए, जब तक कि पुनः कोई असाधारण परिस्थियां उत्पन्न न हो जाएं. उन्होंने कोरोना की स्थिति में नियंत्रण के सन्दर्भ में ये बातें कहीं. उन्होंने 9 महीने पुराने स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीड्यूर के सम्बन्ध में कहा कि किसी भी कोर्ट के पास वादियों या आम जनता को कार्यवाही देखने से वंचित नहीं किया जा सकता. अदालती कार्यवाही में वादी के प्रवेश अधिकार को रोकने से अदालती कार्यवाही में भी अस्पष्टता पैदा होती है, जो खुली अदालत की कार्यवाही के सिद्धांत के विपरीत है.

हालांकि कोर्ट ने स्पष्ट किया 21.02.2022 से प्रभावी एसओपी के अनुसार हाईकोर्ट के कामकाज के संबंध में कहा कि यह उनका एक विचार मात्र है. इसमें कोई दो राय नहीं है कि हाईकोर्ट के कामकाज के मामले में चीफ जस्टिस का निर्णय सर्वोपरि और अंतिम होता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.