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पटना हाईकोर्ट में लंबित मुकदमों को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई

पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) ने लंबित मुकदमों के निपटारे के लिए दायर सिविल रिट याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि सरकार द्वारा नियुक्त अधिवक्ता कोर्ट में उपस्थित नहीं हो रहे हैं. वे अपने जूनियर को भेज देते हैं, जोकि समय लेते हैं और स्थगन मांगते हैं. पढ़ें पूरी खबर...

Patna High Court
Patna High Court
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Published : Jul 5, 2022, 11:06 PM IST

Updated : Jul 6, 2022, 3:29 PM IST

पटना: पटना हाई कोर्ट ने वर्ष 2018 से ही लंबित एक सिविल रिट याचिका की सुनवाई (Hearing In Patna High Court) करते हुए कहा है कि राज्य सरकार को अपने पैनल को फिर से देखना चाहिये. साथ ही यह भी देखना चाहिए कि वैसे अधिवक्ताओं की नियुक्ति करनी चाहिए, जो मुकदमों के निपटारे में कोर्ट को सहयोग करने के लिए तैयार रहे. जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा (Justice Sanjeev Prakash Sharma) ने मोहम्मद रिज़वान की याचिका पर सुनवाई की.

यह भी पढ़ें: पटना हाईकोर्ट ने एएन कॉलेज के पीछे नगर विकास भवन के निर्माण के टेंडर को किया रद्द

अधिवक्ता नहीं करते कोर्ट का सहयोग: कोर्ट का कहना था कि सरकार द्वारा नियुक्त अधिवक्ता कोर्ट में उपस्थित नहीं हो रहे हैं और वे अपने जूनियर को भेज देते हैं, जो कि समय लेते हैं और स्थगन मांगते हैं. ना तो वे मुकदमें के साथ तैयार होते हैं और न हीं वे कोर्ट को कोई सहयोग करते हैं. जिसके परिणामस्वरूप कोर्ट में बहुत सारे मुकदमें लंबित हैं और मुकदमों को स्थगित किया जा रहा है. इसके बावजूद कोर्ट अधिवक्ता को बहस करने के लिए जोर देते हैं और वे मुकदमों को स्थगित करवाना चाहते हैं.

यह भी पढ़ें: पटना के राजीव नगर में 'ऑपरेशन बुलडोजर' पर हाईकोर्ट की रोक

आदेश की प्रति चीफ सेक्रेटरी को भेजा गया: कोर्ट ने इस आदेश की प्रति को राज्य के चीफ सेक्रेटरी और महाधिवक्ता को भेजने को कहा है. कोर्ट ने राज्य सरकार के महाधिवक्ता और चीफ सेक्रेटरी को सुनवाई की अगली तिथि को मामलों के निष्पादन के लिए उचित सहयोग के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाये गए कदम के बारे में सूचित करने को कहा है. इसके साथ ही कोर्ट ने उक्त मामले को चार सप्ताह बाद सूचीबद्ध करने को कहा है.

पटना: पटना हाई कोर्ट ने वर्ष 2018 से ही लंबित एक सिविल रिट याचिका की सुनवाई (Hearing In Patna High Court) करते हुए कहा है कि राज्य सरकार को अपने पैनल को फिर से देखना चाहिये. साथ ही यह भी देखना चाहिए कि वैसे अधिवक्ताओं की नियुक्ति करनी चाहिए, जो मुकदमों के निपटारे में कोर्ट को सहयोग करने के लिए तैयार रहे. जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा (Justice Sanjeev Prakash Sharma) ने मोहम्मद रिज़वान की याचिका पर सुनवाई की.

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अधिवक्ता नहीं करते कोर्ट का सहयोग: कोर्ट का कहना था कि सरकार द्वारा नियुक्त अधिवक्ता कोर्ट में उपस्थित नहीं हो रहे हैं और वे अपने जूनियर को भेज देते हैं, जो कि समय लेते हैं और स्थगन मांगते हैं. ना तो वे मुकदमें के साथ तैयार होते हैं और न हीं वे कोर्ट को कोई सहयोग करते हैं. जिसके परिणामस्वरूप कोर्ट में बहुत सारे मुकदमें लंबित हैं और मुकदमों को स्थगित किया जा रहा है. इसके बावजूद कोर्ट अधिवक्ता को बहस करने के लिए जोर देते हैं और वे मुकदमों को स्थगित करवाना चाहते हैं.

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आदेश की प्रति चीफ सेक्रेटरी को भेजा गया: कोर्ट ने इस आदेश की प्रति को राज्य के चीफ सेक्रेटरी और महाधिवक्ता को भेजने को कहा है. कोर्ट ने राज्य सरकार के महाधिवक्ता और चीफ सेक्रेटरी को सुनवाई की अगली तिथि को मामलों के निष्पादन के लिए उचित सहयोग के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाये गए कदम के बारे में सूचित करने को कहा है. इसके साथ ही कोर्ट ने उक्त मामले को चार सप्ताह बाद सूचीबद्ध करने को कहा है.

Last Updated : Jul 6, 2022, 3:29 PM IST
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