पटना: हाईकोर्ट ने मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल (Muzaffarpur Eye Hospital) में मोतियाबिंद के ऑपरेशन में कई व्यक्तियों के आंख की रोशनी खो जाने के मामले पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस संजय करोल (Chief Justice Sanjay Karol) की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए राज्य के स्वास्थ्य विभाग द्वारा पूरा रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए दो सप्ताह का मोहलत दिया है. इस मामले में स्वास्थ्य विभाग द्वारा पूरी रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया था. कोर्ट ने पूरी रिपोर्ट पेश करने के राज्य सरकार को दो सप्ताह का समय दिया है.
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कोर्ट ने पिछली सुनवाई में निदेशक प्रमुख स्वास्थ्य सेवा और सिविल सर्जन, मुजफ्फरपुर द्वारा हलफनामा नहीं दायर करने को गम्भीरता से लिया था. पूर्व की सुनवाई में मुजफ्फरपुर के एसएसपी को कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कोर्ट ने निर्देश दिया था. मुकेश कुमार ने ये जनहित याचिका दायर की है. पूर्व की सुनवाई में कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता के अधिवक्ता वी के सिंह ने कोर्ट को बताया था कि इस मामले में दर्ज प्राथमिकी पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है.
''आंखों की रोशनी गंवाने वाले पीड़ितों को बतौर क्षतिपूर्ति एक-एक लाख रुपए दिए गए हैं. साथ ही मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल को बंद करके एफआईआर दर्ज कराया गया था, लेकिन अब तक दर्ज प्राथमिकी पर ठोस कार्रवाई नहीं की गई''- वीके सिंह, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विजय कुमार सिंह ने आरोप लगाया गया है कि कथित तौर पर आई हॉस्पिटल के प्रबंधन व राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा बरती गई अनियमितता और गैर कानूनी कार्यों की वजह से कई व्यक्तियों को अपनी आंखें की रोशनी खोनी (loss eyesight in cataract operation in Muzaffarpur) पड़ी. याचिका में आगे यह भी कहा गया है कि जिम्मेदार अधिकारियों व अस्पताल प्रबंधन के विरुद्ध प्राथमिकी भी दर्ज करनी चाहिए, क्योंकि इन्हीं की लापरवाही की वजह से सैकड़ों लोगों को अपनी आंखें गंवानी पड़ीं. इस मामले पर अगली सुनवाई दुर्गापूजा अवकाश के बाद की जाएगी.