पटना : बिहार के नि:शक्त बच्चों के स्पेशल स्कूल में टीचर्स के खाली पड़े पदों को भरने के लिए पटना हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इस मामले में एसीजे जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह की खंडपीठ ने सुनवाई की. अदालत ने पटना हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को राजधानी पटना स्थित कदमकुआं नेत्रहीन स्कूल का सर्वे कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया.
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कोर्ट नियुक्ति प्रक्रिया पर नाराज: इससे पहले पटना हाईकोर्ट को नीतीश सरकार की ओर से बताया गया था कि स्कूल में एडहॉक के तौर पर 12 टीचर्स की नियुक्ति की गई है. कोर्ट ने पूरे मसले पर जानना चाहा था कि इनके नियुक्ति की प्रक्रिया क्या थी. राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को ये जानकारी दी गई कि स्पेशल स्कूलों में टीचर्स की वैकेंसी के लिए बिहार कर्मचारी चयन आयोग को प्रस्ताव भेजा गया था.
1 टीचर के भरोसे स्पेशल स्कूल: कोर्ट ने इस बात को बेहद ही गंभीर ढंग से लिया कि कदमकुआं का एकमात्र नेत्रहीन स्कूल में केवल एक ही शिक्षक अध्यायपन कर रहा है. वो टीचर भी सिर्फ संगीत का है. जबकि उस स्कूल में शिक्षकों के 11 पदों को मंजूरी दी गई है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने साफ किया था कि इस केस में हर दिन अदालत सुनेगी. इससे पहले जनहित याचिका में पटना हाईकोर्ट ने कर्मचारी चयन आयोग को पार्टी बनाने का निर्देश दिया था.
21 फरवरी को अगली सुनवाई: अधिवक्ता याचिकाकर्ता वृषकेतु शरण पांडेय ने अदालत को बताया कि 2014 में निकाले गए पदों के विज्ञापन पर आज तक नियुक्ति नहीं की गई है. यह अपने आप में बताता है कि राज्य सरकार कितनी उदासीन रवैया अपनाए हुए है. गौरतलब है कि इस मामले में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने एफिडेविट दायर कर कोर्ट को बताया था कि निशक्त बच्चों से जुड़ी सभी परियोजनाएं 3 महीने के अंदर कार्य करने लगेगी. फिलहाल इस मामले की अगली सुनवाई 21 फरवरी 2023 को होगी.