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Patna High Court News : नाबलिग से दुष्कर्म मामले में पीड़ित परिवार को विधिक सेवा प्राधिकार दिलाए मुआवजा

पटना हाईकोर्ट में नाबलिग से दुष्कर्म मामले में सुनवाई हुई. इसमें कोर्ट ने अहम निर्णय लिया कि पीड़ित परिवार को जिला विधिक सेवा प्राधिकार मुआवजा दिलवाने में सहयोग करना होगा. पढ़ें पूरी खबर..

पटना हाईकोर्ट
पटना हाईकोर्ट
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 5, 2023, 9:03 PM IST

पटना : पटना हाईकोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म मामले में पीड़िता को मुआवजे देने को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय दिया है. कोर्ट ने ये स्पष्ट किया है कि यदि पीड़िता के परिवार वाले क्षतिपूर्ति के लिए आगे नहीं भी आते हैं, तो सम्बन्धित जिला विधिक सेवा प्राधिकार को राज्य क्षतिपूर्ति योजना के तहत पीड़िता के परिवार की पहचान कर उसे मुआवजे की राशि का भुगतान करे.

ये भी पढ़ें : Patna High Court सिवान चाइल्ड किडनैपिंग केस पर सख्त, पुलिस को लगाई लताड़, CID को 11 साल बाद फिर सौंपी जांच

मुजफ्फरपुर और मधुबनी में हुआ था दुष्कर्म : 2021 में मुजफ्फरपुर और मधुबनी जिलों में नाबालिग के साथ दुष्कर्म हुआ था. इसमें एक मामले में पीड़िता को जिंदा जला दिया गया था और दूसरे में आंख फोड़ दी गई थी. इन दोनों लोमहर्षक घटना का चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ ने स्वतः संज्ञान लेते हुए इस जनहित याचिका पर सुनवाई की.कोर्ट ने सम्बन्धित जिलों के विधिक सेवा प्राधिकार को आदेश दिया है कि दो महीने के अंदर पीड़िता के परिवारों को अंतरिम मुआवजा दें.

पीड़िता के क्षति की नहीं हो सकती भरपाई : साथ ही समाज कल्याण विभाग को निर्देश दिया गया कि पीड़िता के परिवार की पुनर्स्थापना के लिए सारी प्रक्रिया को कानूनी रूप से दो महीने में पूरी करें. कोर्ट ने पटना स्थित यूनिसेफ ऑफिस के चाइल्ड प्रोटेक्शन ऑफिसर मंसूर कादरी की ईमेल पर स्वतः दायर जनहित याचिका को निष्पादित कर दिया. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए यह भी कहा कि हम बहुत भारी हृदय से इस मामले को समाप्त कर रहे हैं. पीड़ित लड़कियों और उनके परिवार के साथ जो हुआ, उसकी भरपाई कोई मुआवजा या राशि नहीं कर सकती.

कोर्ट ने कहा कि फिर भी कानूनी रूप से हम जो कर सकते हैं, उसको ही सुनिश्चित करना इस पीआईएल का उद्देश्य था, जो अब लगभग पूरा हो चुका. हाईकोर्ट ने दोनों जिलों के विशेष पोक्सो अदालत को भी आदेश दिया. ट्रायल खत्म हो जाने के बाद पोक्सो कानून के तहत जो मुआवजा देना है, उस पर जरूर विचार करेंगे.

पीड़ित परिवार को मुफ्त में राशन मिलने सुनिश्चित हो : इस जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार, संबंधित जिला विधिक सेवा प्राधिकार, पुलिस के वरीय अधिकारियों व सामाजिक कल्याण विभाग के अधिकारियों को बीच-बीच में उचित निर्देश देते हुए यह सुनिश्चित किया कि पीड़िता के परिवारों को न सिर्फ मुआवजा मिले, बल्कि उनके पुनर्वास उन्हें महीने में मुफ्त मिलने वाले राशन अनाज योजना का भी लाभ उन तक पहुंचे.

बच्ची का इलाज सबसे बढ़िया अस्पताल में हुआ : जिस पीड़ित बच्ची की आंख फोड़ दी गई थी. उसका सबसे अच्छा इलाज पटना के सर्वोत्तम सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में हाई कोर्ट के आदेश के आलोक में किया गया. जिस पुलिस अफसर की लापरवाही के कारण ये घटना हुई, उसको पुलिस की वेबसाइट पर पब्लिक डोमेन में डाल दिए थे. उनके खिलाफ एवं देरी से प्राथमिकी दर्ज करने वाले पुलिस अफसर के खिलाफ और घटनास्थल की चौकीदार के खिलाफ कार्रवाई भी हाईकोर्ट के मॉनिटरिंग के तहत चलाई गई.

पुलिस पदाधिकारियों के वेतन वृद्धि पर रोक : मुजफ्फरपुर के साहिबगंज थाने में दर्ज दुष्कर्म एवं जलाकर मार देने की घटना के सिलसिले में प्राथमिकी देरी से दर्ज होने पर हाईकोर्ट ने मुजफ्फरपुर के तत्कालीन एसपी को फौरन कार्रवाई करने का भी आदेश दिया था. उसके तहत कोर्ट को यह बताया गया कि संबंधित थानाध्यक्ष और अनुसंधान पदाधिकारी पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की गयी. दोषी अफसरों को दंड दिया गया, उनके वेतन वृद्धि पर रोक लगाते हुए उसमें कटौती की गई.

पटना : पटना हाईकोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म मामले में पीड़िता को मुआवजे देने को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय दिया है. कोर्ट ने ये स्पष्ट किया है कि यदि पीड़िता के परिवार वाले क्षतिपूर्ति के लिए आगे नहीं भी आते हैं, तो सम्बन्धित जिला विधिक सेवा प्राधिकार को राज्य क्षतिपूर्ति योजना के तहत पीड़िता के परिवार की पहचान कर उसे मुआवजे की राशि का भुगतान करे.

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मुजफ्फरपुर और मधुबनी में हुआ था दुष्कर्म : 2021 में मुजफ्फरपुर और मधुबनी जिलों में नाबालिग के साथ दुष्कर्म हुआ था. इसमें एक मामले में पीड़िता को जिंदा जला दिया गया था और दूसरे में आंख फोड़ दी गई थी. इन दोनों लोमहर्षक घटना का चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ ने स्वतः संज्ञान लेते हुए इस जनहित याचिका पर सुनवाई की.कोर्ट ने सम्बन्धित जिलों के विधिक सेवा प्राधिकार को आदेश दिया है कि दो महीने के अंदर पीड़िता के परिवारों को अंतरिम मुआवजा दें.

पीड़िता के क्षति की नहीं हो सकती भरपाई : साथ ही समाज कल्याण विभाग को निर्देश दिया गया कि पीड़िता के परिवार की पुनर्स्थापना के लिए सारी प्रक्रिया को कानूनी रूप से दो महीने में पूरी करें. कोर्ट ने पटना स्थित यूनिसेफ ऑफिस के चाइल्ड प्रोटेक्शन ऑफिसर मंसूर कादरी की ईमेल पर स्वतः दायर जनहित याचिका को निष्पादित कर दिया. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए यह भी कहा कि हम बहुत भारी हृदय से इस मामले को समाप्त कर रहे हैं. पीड़ित लड़कियों और उनके परिवार के साथ जो हुआ, उसकी भरपाई कोई मुआवजा या राशि नहीं कर सकती.

कोर्ट ने कहा कि फिर भी कानूनी रूप से हम जो कर सकते हैं, उसको ही सुनिश्चित करना इस पीआईएल का उद्देश्य था, जो अब लगभग पूरा हो चुका. हाईकोर्ट ने दोनों जिलों के विशेष पोक्सो अदालत को भी आदेश दिया. ट्रायल खत्म हो जाने के बाद पोक्सो कानून के तहत जो मुआवजा देना है, उस पर जरूर विचार करेंगे.

पीड़ित परिवार को मुफ्त में राशन मिलने सुनिश्चित हो : इस जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार, संबंधित जिला विधिक सेवा प्राधिकार, पुलिस के वरीय अधिकारियों व सामाजिक कल्याण विभाग के अधिकारियों को बीच-बीच में उचित निर्देश देते हुए यह सुनिश्चित किया कि पीड़िता के परिवारों को न सिर्फ मुआवजा मिले, बल्कि उनके पुनर्वास उन्हें महीने में मुफ्त मिलने वाले राशन अनाज योजना का भी लाभ उन तक पहुंचे.

बच्ची का इलाज सबसे बढ़िया अस्पताल में हुआ : जिस पीड़ित बच्ची की आंख फोड़ दी गई थी. उसका सबसे अच्छा इलाज पटना के सर्वोत्तम सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में हाई कोर्ट के आदेश के आलोक में किया गया. जिस पुलिस अफसर की लापरवाही के कारण ये घटना हुई, उसको पुलिस की वेबसाइट पर पब्लिक डोमेन में डाल दिए थे. उनके खिलाफ एवं देरी से प्राथमिकी दर्ज करने वाले पुलिस अफसर के खिलाफ और घटनास्थल की चौकीदार के खिलाफ कार्रवाई भी हाईकोर्ट के मॉनिटरिंग के तहत चलाई गई.

पुलिस पदाधिकारियों के वेतन वृद्धि पर रोक : मुजफ्फरपुर के साहिबगंज थाने में दर्ज दुष्कर्म एवं जलाकर मार देने की घटना के सिलसिले में प्राथमिकी देरी से दर्ज होने पर हाईकोर्ट ने मुजफ्फरपुर के तत्कालीन एसपी को फौरन कार्रवाई करने का भी आदेश दिया था. उसके तहत कोर्ट को यह बताया गया कि संबंधित थानाध्यक्ष और अनुसंधान पदाधिकारी पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की गयी. दोषी अफसरों को दंड दिया गया, उनके वेतन वृद्धि पर रोक लगाते हुए उसमें कटौती की गई.

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