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Patna High Court: राजीव नगर और नेपाली नगर के लोगों को बड़ी राहत, अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया रद्द - राजीव नगर में अतिक्रमण हटाने पर हाइकोर्ट की रोक

अतिक्रमण हटाओ अभियान के नाम पर आशियाना टूटने का दंश झेल रहे पटना के राजीव नगर और नेपाली नगर के लोगों के लिए राहत की खबर है. पटना उच्च न्यायालय ने अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया को रद्द करते हुए पीड़ित परिवार को मुआवजा देने का आदेश दिया है.

राजीव नगर में अतिक्रमण हटाने पर हाइकोर्ट की रोक
राजीव नगर में अतिक्रमण हटाने पर हाइकोर्ट की रोक
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Published : May 25, 2023, 10:32 AM IST

पटना: राजधानी पटना के राजीव नगर और नेपाली नगर क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के मामले पर याचिकाओं को स्वीकृत करते हुए पटना हाइकोर्ट ने वहां के लोगों को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने अपने निर्णय में ये स्पष्ट किया कि जो भी निर्माण 2018 के पहले बने है, उस पर दीघा लैण्ड सेटलमेंट एक्ट के तहत कार्रवाई किया जाना है. कोर्ट ने प्रशासन द्वारा नेपालीनगर क्षेत्र में मकान तोड़े जाने को अवैध ठहराया. साथ ही अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया को भी रद्द कर दिया है.

ये भी पढ़ें: ग्राउंड रिपोर्ट : टूटे हुए आशियानों के तिनके बटोर रहे राजीव नगर के लोग, पीने का पानी भी नसीब नहीं

राजीव नगर में अतिक्रमण हटाने पर हाइकोर्ट की रोक: जस्टिस संदीप कुमार ने 17 नवंबर 2022 को सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. कोर्ट ने इस मामले पर निर्णय देते हुए कहा कि जिन लोगों के मकानों को गैर कानूनी तरीके से तोड़ा गया है, उन्हें पांच-पांच लाख रुपये बतौर मुआवजा राज्य सरकार मुहैया करवाए. अदालत ने साफ किया है कि यदि क्षतिपूर्ति की राशि अधिक हो तो उस पर विचार कर देना होगा.

क्या कहा पटना उच्च न्यायालय ने?: कोर्ट ने ये भी कहा कि जिनका मकान 2018 के बाद बना है, उन सभी मामलों में दीघा लैण्ड सेटलमेंट एक्ट के तहत विचार करने का निर्देश दिया गया था. पहले की सुनवाई में कोर्ट ने बिहार राज्य आवास बोर्ड को बताने को कहा था कि अब तक पटना में उसने कितनी कॉलोनियों का निर्माण और विकास किया है. साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को एमिकस क्यूरी संतोष सिंह द्वारा प्रस्तुत दलीलों का अगली सुनवाई में जवाब देने का निर्देश दिया था.

पिछली सुनवाई में कोर्ट की सख्ती: पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को बिहार राज्य आवास बोर्ड के दोषी अधिकारियों और जिम्मेवार पुलिस वाले के विरुद्ध की जाने वाली कार्रवाई की कार्य योजना प्रस्तुत करने को कहा था. अदालत ने यह भी कहा था कि ये बहुत आश्चर्य की बात है कि इनके रहते इस क्षेत्र में इतने बड़े पैमाने पर नियमों का उल्लंघन कर मकान बना लिए गए. इस मामले पर अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद निर्णय 17 नवंबर 2022 को सुरक्षित रखा था, जिसे आज सुनाया गया है.

पटना: राजधानी पटना के राजीव नगर और नेपाली नगर क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के मामले पर याचिकाओं को स्वीकृत करते हुए पटना हाइकोर्ट ने वहां के लोगों को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने अपने निर्णय में ये स्पष्ट किया कि जो भी निर्माण 2018 के पहले बने है, उस पर दीघा लैण्ड सेटलमेंट एक्ट के तहत कार्रवाई किया जाना है. कोर्ट ने प्रशासन द्वारा नेपालीनगर क्षेत्र में मकान तोड़े जाने को अवैध ठहराया. साथ ही अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया को भी रद्द कर दिया है.

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राजीव नगर में अतिक्रमण हटाने पर हाइकोर्ट की रोक: जस्टिस संदीप कुमार ने 17 नवंबर 2022 को सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. कोर्ट ने इस मामले पर निर्णय देते हुए कहा कि जिन लोगों के मकानों को गैर कानूनी तरीके से तोड़ा गया है, उन्हें पांच-पांच लाख रुपये बतौर मुआवजा राज्य सरकार मुहैया करवाए. अदालत ने साफ किया है कि यदि क्षतिपूर्ति की राशि अधिक हो तो उस पर विचार कर देना होगा.

क्या कहा पटना उच्च न्यायालय ने?: कोर्ट ने ये भी कहा कि जिनका मकान 2018 के बाद बना है, उन सभी मामलों में दीघा लैण्ड सेटलमेंट एक्ट के तहत विचार करने का निर्देश दिया गया था. पहले की सुनवाई में कोर्ट ने बिहार राज्य आवास बोर्ड को बताने को कहा था कि अब तक पटना में उसने कितनी कॉलोनियों का निर्माण और विकास किया है. साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को एमिकस क्यूरी संतोष सिंह द्वारा प्रस्तुत दलीलों का अगली सुनवाई में जवाब देने का निर्देश दिया था.

पिछली सुनवाई में कोर्ट की सख्ती: पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को बिहार राज्य आवास बोर्ड के दोषी अधिकारियों और जिम्मेवार पुलिस वाले के विरुद्ध की जाने वाली कार्रवाई की कार्य योजना प्रस्तुत करने को कहा था. अदालत ने यह भी कहा था कि ये बहुत आश्चर्य की बात है कि इनके रहते इस क्षेत्र में इतने बड़े पैमाने पर नियमों का उल्लंघन कर मकान बना लिए गए. इस मामले पर अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद निर्णय 17 नवंबर 2022 को सुरक्षित रखा था, जिसे आज सुनाया गया है.

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