ETV Bharat / state

पटना हाईकोर्ट ने हत्या मामले में सजायाफ्ता 10 अभियुक्तों को फांसी की सजा से किया बरी

आरा की निचली अदालत ने हत्या के एक मामले में दस अभियुक्तों को फांसी की सजा दी थी. इस फैसले को पटना हाईकोर्ट ने पलट दिया है. कोर्ट ने यह फैसला साक्ष्य के अभाव में लिया है. पढ़ें पूरी खबर...

पटना हाई कोर्ट में सुनवाई
पटना हाई कोर्ट में सुनवाई
author img

By

Published : Aug 17, 2022, 10:59 PM IST

पटना: पटना हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में हत्या के मामले में फाँसी की सजा पाए दस सजायाफ़्ता अभियुक्तों को राहत देते हुए फांसी की सजा से बरी (Hearing In Patna High Court) कर दिया. जस्टिस अश्वनी कुमार सिंह (Justice Ashwani Kumar Singh) एवं जस्टिस हरीश कुमार की खंडपीठ ने फुरचन मियाँ एवं अन्य की आपराधिक अपीलों पर सुनवाई कर फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे कोर्ट ने आज बुधवार को सुनाया.

यह भी पढ़ें: पटना हाईकोर्ट ने पूछा, बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड के अध्यक्ष पद पर IAS की ही नियुक्ति क्यों..

निचली अदालत ने दी थी फांसी की सजा: इस हत्याकांड में आरा की निचली अदालत ने शमशेर मियां, फुरचन मियां, बबली मियां, अहमद मियां, राजू खान, तौसीफ अहमद, तौसीफ मियां समेत दस आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी. यह मामला भोजपुर (आरा) से संबंधित है. जिसमें शिकायतकर्ता अकील अहमद ने प्राथमिकी दायर कर आरोप लगाया था कि 06 दिसंबर, 2018 को दोपहर के क़रीब 12:30 बजे अपीलार्थी समेत अन्य अभियुक्तों ने अंधाधुंध गोली चला कर उसके भाई इमरान की हत्या कर दी.


साक्ष्यों के अभाव में हाईकोर्ट का यह फैसला: शिकायतकर्ता ने कुछ ज्ञात एवं अज्ञात अभियुक्तों के खिलाफ आरा टाउन पीएस केस संख्या 739/2018 के तहत प्राथमिकी दर्ज कराया था. इस मामलें पर निचली अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद 09 मार्च 2021 को इन सभी आरोपियों को दोषी पाते हुए उन्हें फांसी की सजा सुनाई थी. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता प्रतीक मिश्रा ने हाईकोर्ट के समक्ष पक्ष प्रस्तुत करते हुए तर्क दिया कि घटना में घायल व्यक्ति का अनुसंधान के दौरान परीक्षण नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि मेडिकल रिपोर्ट घटना से अत्यधिक असंगत है.

इस पर कोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव में उन में परस्पर विरोधाभास पाते हुए दसों अभियुक्तों को निचली अदालत द्वारा दी गई फांसी की सजा को रद्द करते हुए उन्हें बरी कर दिया. इस मामले में सरकार का पक्ष अधिवक्ता शशि बाला वर्मा ने रखा और अधिवक्ता जितेंद्र सिंह कोर्ट एमिकस क्यूरी के रूप में अपना पक्ष रखा.

पटना: पटना हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में हत्या के मामले में फाँसी की सजा पाए दस सजायाफ़्ता अभियुक्तों को राहत देते हुए फांसी की सजा से बरी (Hearing In Patna High Court) कर दिया. जस्टिस अश्वनी कुमार सिंह (Justice Ashwani Kumar Singh) एवं जस्टिस हरीश कुमार की खंडपीठ ने फुरचन मियाँ एवं अन्य की आपराधिक अपीलों पर सुनवाई कर फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे कोर्ट ने आज बुधवार को सुनाया.

यह भी पढ़ें: पटना हाईकोर्ट ने पूछा, बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड के अध्यक्ष पद पर IAS की ही नियुक्ति क्यों..

निचली अदालत ने दी थी फांसी की सजा: इस हत्याकांड में आरा की निचली अदालत ने शमशेर मियां, फुरचन मियां, बबली मियां, अहमद मियां, राजू खान, तौसीफ अहमद, तौसीफ मियां समेत दस आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी. यह मामला भोजपुर (आरा) से संबंधित है. जिसमें शिकायतकर्ता अकील अहमद ने प्राथमिकी दायर कर आरोप लगाया था कि 06 दिसंबर, 2018 को दोपहर के क़रीब 12:30 बजे अपीलार्थी समेत अन्य अभियुक्तों ने अंधाधुंध गोली चला कर उसके भाई इमरान की हत्या कर दी.


साक्ष्यों के अभाव में हाईकोर्ट का यह फैसला: शिकायतकर्ता ने कुछ ज्ञात एवं अज्ञात अभियुक्तों के खिलाफ आरा टाउन पीएस केस संख्या 739/2018 के तहत प्राथमिकी दर्ज कराया था. इस मामलें पर निचली अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद 09 मार्च 2021 को इन सभी आरोपियों को दोषी पाते हुए उन्हें फांसी की सजा सुनाई थी. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता प्रतीक मिश्रा ने हाईकोर्ट के समक्ष पक्ष प्रस्तुत करते हुए तर्क दिया कि घटना में घायल व्यक्ति का अनुसंधान के दौरान परीक्षण नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि मेडिकल रिपोर्ट घटना से अत्यधिक असंगत है.

इस पर कोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव में उन में परस्पर विरोधाभास पाते हुए दसों अभियुक्तों को निचली अदालत द्वारा दी गई फांसी की सजा को रद्द करते हुए उन्हें बरी कर दिया. इस मामले में सरकार का पक्ष अधिवक्ता शशि बाला वर्मा ने रखा और अधिवक्ता जितेंद्र सिंह कोर्ट एमिकस क्यूरी के रूप में अपना पक्ष रखा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.