पटनाः मुफ्त दवा वितरण पहल (फ्री ड्रग सर्विस इनिसिएटिव) कार्यक्रम में घोर लापरवाही उजागर होने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है. विभाग ने 21 जिलों के साथ ही अनुमंडल स्तर के औषधि भंडार के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, भंडारपाल, फार्मासिस्टों के साथ ही जिला मूल्यांकन एवं अनुश्रवण पदाधिकारियों का वेतन-मानदेय रोक दिया है. वहीं 21 जिलों के सिविल सर्जनों को निर्देश भेजे गए हैं कि वे दोषी पदाधिकारियों से लापरवाही का कारण जानते हुए उनसे स्पष्टीकरण लें और इनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई कर, सरकार को अवगत कराएं.
अस्पतालों में मुफ्त में दी जाती है दवा
राज्य सरकार की ओर से प्रदेश के अस्पतालों में मुफ्त दवा वितरण का कार्यक्रम वर्षों से चल रहा है. निशुल्क दी जा रही दवाओं का वितरण सही प्रकार से हो रहा है या नहीं और भंडार में दवाओं की उपलब्धता क्या है इसकी मॉनिटरिंग ई-औषधि, ड्रग एंड वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूशन मैनेजमेंट सिस्टम (डीवीडीएमएस) से होती है. जिसकी नियमित समीक्षा होती है. समीक्षा के लिए अलग-अलग छह सूचकांक निर्धारित किए गए हैं.
रोका गया इनका वेतन
जिला में औषधि भंडार के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, भंडारपाल, फार्मासिस्ट, जिला अस्पताल के भंडारपाल, फार्मासिस्ट, सभी अनुमंडलीय अस्पताल, रेफरल अस्पताल, प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के भंडारपाल, फार्मासिस्ट, मूल्यांकन और अनुश्रवण पदाधिकारियों के वेतन को रोका गया है.
21 जिलों का रोका गया वेतन
भोजपुर, प. चंपारण, समस्तीपुर, औरंगाबाद, नवादा, अररिया, जमुई, बेगूसराय, वैशाली, कैमूर, भागलपुर, शिवहर, मधुबनी, लखीसराय, सुपौल, शेखपुरा, पटना, गया, नालंदा, पूर्णिया और कटिहार.
प्रदर्शन निराशाजनक होने पर हुई कार्रवाई
इस महीने तीन तारीख और इसके बाद 12 तारीख को मुफ्त दवा वितरण कार्यक्रम की समीक्षा में यह बात सामने आई कि निर्धारित छह सूचकांक में भोजपुर, अररिया, पश्चिम चंपारण, नवादा और जमुई जैसे जिलों का प्रदर्शन काफी निराशाजनक है. इसके बाद मुख्यालय स्तर से इसमें सुधार लाने के निर्देश दिए गए. बावजूद व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं दिखा. जिसे सरकार के आदेश की अवहेलना मानते हुए अफसरों पर कार्रवाई की गई है.
दवा वितरण मॉनिटरिंग में टाल-मटोल
राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार के मुताबिक दवा वितरण कार्यक्रम के मूल्यांकन, मॉनिटरिंग में टाल-मटोल की नीति अपनाई जा रही है. जो सरकार के आदेश को चुनौती देने जैसा है. जिसके बाद कार्यपालक निदेशक ने सभी दोषी पदाधिकारियों, कर्मचारियों के वेतन पर अगले आदेश तक के लिए रोक लगा दी है.