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PMCH में खाली पड़े हैं वार्ड, फिर भी कोरोना पेशेंट के लिए नहीं बढ़ी बेडों की संख्या - कोरोना काल

कोरोना काल में दूसरी बीमारियों के मरीजों के कम पहुंचने से पीएमसीएच वीरान नजर आने लगा है. अस्पताल में 2 हजार से अधिक मरीजों को देखने की चिकित्सीय क्षमता है. लेकिन लॉकडाउन और कोरोना के कारण ढाई सौ से भी कम मरीज रह गए हैं. फिर भी कोरोना मरीजों के लिए बेड नहीं बढ़ा. अस्पताल में आईसीयू बेड की संख्या 25 तक ही सीमित रही. कोरोना संक्रमण के गंभीर मरीज भी बिना इलाज के पीएमसीएच से लौट गए.

पीएमसीएच
पीएमसीएच
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Published : May 24, 2021, 5:52 PM IST

पटनाः बिहार के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पीएमसीएच में कोरोना के कारण अन्य बीमारियों के मरीजों की संख्या काफी घट गई है. पहले जहां अस्पताल के ओपीडी में 2,000 मरीज विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए रोजाना पहुंचते थे, वहीं अब ये संख्या 200 से ढाई सौ के बीच सिमट कर रह गई है. कई वार्ड खाली पड़े हैं. इसके बावजूद कोरोना के मरीज कोरोना वार्ड में बेड नहीं खाली होने के कारण वापस लौट जाते हैं.

पीएमसीएच में आम दिनों में मरीजों की संख्या इतनी अधिक रहती है कि अस्पताल के फर्श पर बैठकर मरीज इलाज कराते हैं. सामान्य दिनों में ये तस्वीरें पीएमसीएच में आम है क्योंकि बिहार के सुदूर इलाके से भी मरीज यहां इलाज कराने पहुंचते हैं. मरीजों की संख्या अधिक होने की वजह से बेड सभी फूल हो जाते हैं. कोरोना के कारण परिवहन प्रभावित है, प्रदेश में लॉकडाउन लागू है ऐसे में दूरदराज के मरीज पीएमसीएच में दिखाने नहीं आ पा रहे हैं.

अस्पताल में पसरा सन्नाटा
अस्पताल में पसरा सन्नाटा

2 महीने से चल रही है बेड बढ़ाने की बात
मरीजों की संख्या कम होने से पीएमसीएच वीरान नजर आने लगा है. पीएमसीएच के सभी वार्ड में काफी संख्या में बेड खाली नजर आ रहे हैं. कई वार्ड ऐसे हैं जहां एक भी मरीज एडमिट नहीं है. पीएमसीएच के ओपीडी काउंटर पर बैठे कर्मचारी ने जानकारी दी कि सोमवार के दिन दिन के 1:00 बजे तक 220 ओपीडी के पर्ची कटे हैं. बीते 1 महीने से ओपीडी में मरीजों की संख्या 200 से ढाई सौ रह रही है और इसमें भी सबसे अधिक जो मरीज आ रहे हैं, वह स्किन विभाग के लिए या फिर मेडिसिन विभाग के लिए पहुंच रहे हैं.

पीएमसीएच के हथुआ वार्ड और गुजरी वार्ड में गिने-चुने ह मरीज नजर आ रहे हैं. बताते चलें कि अस्पताल में 106 बेड का कोरोना डेडीकेटेड अस्पताल है, जहां बीते 2 महीने से बेड बढ़ाने की बात चल रही थी. मगर कोरोना महामारी वेब का पिक खत्म हो गया और अस्पताल में एक भी बेड कोरोना मरीजों के लिए नहीं बढ़ाया गया.

खाली पड़े बेड
खाली पड़े बेड

ये भी पढ़ेंः बिहार में 1 जून तक बढ़ा लॉकडाउन, नीतीश ने कहा- 'कोरोना संक्रमण में आई कमी'

मरीजों ने अस्पताल की चौखट पर ही तोड़ दिया दम
अस्पताल में आईसीयू बेड की संख्या 25 तक ही सीमित रही. ऐसे में संक्रमण के पीक के समय में काफी संख्या में मरीज पीएमसीएच में जगह खाली ना होने की वजह से बिना एडमिट हुए लौट गए. तो कई मरीजों ने अस्पताल की चौखट पर ही दम तोड़ दिया.

ऐसे में बड़ा सवाल यह भी उठ रहा है कि पीएमसीएच में जहां 2 हजार से अधिक मरीजों को देखने की चिकित्सीय क्षमता है. वहां जब ढाई सौ से भी कम मरीज रह गए फिर भी कोरोना मरीजों के लिए बेड क्यों नहीं बढ़ा. कोरोना संक्रमण के गंभीर मरीज भी बिना इलाज के पीएमसीएच से क्यों लौटे?

जानकारी देते संवाददाता

पीएमसीएच में पसरा है सन्नाटा
बताते चलें कि बीते साल दिसंबर के आखिरी सप्ताह में जूनियर डॉक्टरों के स्ट्राइक के कारण अस्पताल में चिकित्सीय कार्य बुरी तरह प्रभावित हुए थे. हड़ताल लंबा खिंच जाने की वजह से अस्पताल के विभिन्न वार्डों में एडमिट मरीजों ने इलाज के अभाव में अस्पताल से डिस्चार्ज ले लिया था. उस समय पीएमसीएच में सन्नाटा की जो स्थिति नजर आई थी उसी प्रकार की स्थिति अभी के समय में भी नजर आ रही है. सभी वार्ड पूरी तरह सुनसान पड़े हैं और किसी-किसी वार्ड में ही एक दो मरीज नजर आ रहे हैं.

पटनाः बिहार के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पीएमसीएच में कोरोना के कारण अन्य बीमारियों के मरीजों की संख्या काफी घट गई है. पहले जहां अस्पताल के ओपीडी में 2,000 मरीज विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए रोजाना पहुंचते थे, वहीं अब ये संख्या 200 से ढाई सौ के बीच सिमट कर रह गई है. कई वार्ड खाली पड़े हैं. इसके बावजूद कोरोना के मरीज कोरोना वार्ड में बेड नहीं खाली होने के कारण वापस लौट जाते हैं.

पीएमसीएच में आम दिनों में मरीजों की संख्या इतनी अधिक रहती है कि अस्पताल के फर्श पर बैठकर मरीज इलाज कराते हैं. सामान्य दिनों में ये तस्वीरें पीएमसीएच में आम है क्योंकि बिहार के सुदूर इलाके से भी मरीज यहां इलाज कराने पहुंचते हैं. मरीजों की संख्या अधिक होने की वजह से बेड सभी फूल हो जाते हैं. कोरोना के कारण परिवहन प्रभावित है, प्रदेश में लॉकडाउन लागू है ऐसे में दूरदराज के मरीज पीएमसीएच में दिखाने नहीं आ पा रहे हैं.

अस्पताल में पसरा सन्नाटा
अस्पताल में पसरा सन्नाटा

2 महीने से चल रही है बेड बढ़ाने की बात
मरीजों की संख्या कम होने से पीएमसीएच वीरान नजर आने लगा है. पीएमसीएच के सभी वार्ड में काफी संख्या में बेड खाली नजर आ रहे हैं. कई वार्ड ऐसे हैं जहां एक भी मरीज एडमिट नहीं है. पीएमसीएच के ओपीडी काउंटर पर बैठे कर्मचारी ने जानकारी दी कि सोमवार के दिन दिन के 1:00 बजे तक 220 ओपीडी के पर्ची कटे हैं. बीते 1 महीने से ओपीडी में मरीजों की संख्या 200 से ढाई सौ रह रही है और इसमें भी सबसे अधिक जो मरीज आ रहे हैं, वह स्किन विभाग के लिए या फिर मेडिसिन विभाग के लिए पहुंच रहे हैं.

पीएमसीएच के हथुआ वार्ड और गुजरी वार्ड में गिने-चुने ह मरीज नजर आ रहे हैं. बताते चलें कि अस्पताल में 106 बेड का कोरोना डेडीकेटेड अस्पताल है, जहां बीते 2 महीने से बेड बढ़ाने की बात चल रही थी. मगर कोरोना महामारी वेब का पिक खत्म हो गया और अस्पताल में एक भी बेड कोरोना मरीजों के लिए नहीं बढ़ाया गया.

खाली पड़े बेड
खाली पड़े बेड

ये भी पढ़ेंः बिहार में 1 जून तक बढ़ा लॉकडाउन, नीतीश ने कहा- 'कोरोना संक्रमण में आई कमी'

मरीजों ने अस्पताल की चौखट पर ही तोड़ दिया दम
अस्पताल में आईसीयू बेड की संख्या 25 तक ही सीमित रही. ऐसे में संक्रमण के पीक के समय में काफी संख्या में मरीज पीएमसीएच में जगह खाली ना होने की वजह से बिना एडमिट हुए लौट गए. तो कई मरीजों ने अस्पताल की चौखट पर ही दम तोड़ दिया.

ऐसे में बड़ा सवाल यह भी उठ रहा है कि पीएमसीएच में जहां 2 हजार से अधिक मरीजों को देखने की चिकित्सीय क्षमता है. वहां जब ढाई सौ से भी कम मरीज रह गए फिर भी कोरोना मरीजों के लिए बेड क्यों नहीं बढ़ा. कोरोना संक्रमण के गंभीर मरीज भी बिना इलाज के पीएमसीएच से क्यों लौटे?

जानकारी देते संवाददाता

पीएमसीएच में पसरा है सन्नाटा
बताते चलें कि बीते साल दिसंबर के आखिरी सप्ताह में जूनियर डॉक्टरों के स्ट्राइक के कारण अस्पताल में चिकित्सीय कार्य बुरी तरह प्रभावित हुए थे. हड़ताल लंबा खिंच जाने की वजह से अस्पताल के विभिन्न वार्डों में एडमिट मरीजों ने इलाज के अभाव में अस्पताल से डिस्चार्ज ले लिया था. उस समय पीएमसीएच में सन्नाटा की जो स्थिति नजर आई थी उसी प्रकार की स्थिति अभी के समय में भी नजर आ रही है. सभी वार्ड पूरी तरह सुनसान पड़े हैं और किसी-किसी वार्ड में ही एक दो मरीज नजर आ रहे हैं.

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