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सीएम नीतीश के गृह जिले की शर्मनाक तस्वीर! परिजनों ने एंबुलेंस की जगह खाट से मरीज को पहुंचाया क्लिनिक - No ambulance in Nalanda

कोरोना का डर इस कदर हावी हो चुका है कि बीमार लोगों को अस्पताल ले जाने के लिए निजी वाहन या फिर एंबुलेंस नहीं मिल रहा है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट....

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Published : May 7, 2021, 7:43 PM IST

नालंदा: एक ओर सरकार की ओर से मरीजों तक हरसंभव मदद पहुंचाने का दावा किया जाता है. स्वास्थ्य सुविधा पर अरबों रुपये खर्च किये जाते हैं. लेकिन आज भी मरीजों को सुविधा का लाभ सही से नहीं मिल पा रहा है. अब एक शर्मनाक तस्वीर सीएम नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा से आई है. यहां एक मरीज को एंबुलेंस न मिलने पर उसके घर वाले खाट से डॉक्टर के पास ले गए.

कोरोना की महामारी कहें या लॉकडाउन की बेबसी. आज के आधुनिक दौर में भी परिजनों को खाट पर लादकर इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है. बिहार में कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए लॉकडाउन लगाया गया है. इसके कारण वाहनों के परिचालन में समस्या हो रही है. हालांकि आपातकाल सेवा को जारी रखा गया है. लेकिन बाबजूद इसके हिलसा के ढिबरापर गांव निवासी अनुज कुमार को खाट पर लादकर ही परिजनों ने गुरुवार को डॉक्टर तक पहुंचाया.

ये भी पढ़ें: बेगूसराय अस्पताल में फर्श पर मरीज का इलाज, सच्चाई जान आप भी करेंगे डॉक्टर को सलाम

अस्पताल के चक्कर काटते रहे परिजन
मरीज को बेहतर इलाज के लिए परिजन उसे हिलसा ले जाना चाहते थे. पहले स्थानीय स्तर पर वाहन खोजा. लेकिन कोई भी कोरोना के भय से उसे ले जाने को तैयार नहीं हुआ. इसके बाद परिजन उसे खाट पर लादकर निकल पड़े. कड़ी धूप में डेढ़ किलोमीटर पैदल ही खाट पर मरीज को लादकर हिलसा लाए. यहां भी उनकी समस्याओं ने पीछा नहीं छोड़ा. इलाज के लिए कई निजी अस्पताल गए. वहां उन्हें भर्ती लेने से इंकार कर दिया. मरीज को खाट पर लादे घंटों परिजर शहर के चक्कर लगाते रहे. बाद में एक निजी अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया. जहां उनका इलाज किया जा रहा है.

नालंदा: एक ओर सरकार की ओर से मरीजों तक हरसंभव मदद पहुंचाने का दावा किया जाता है. स्वास्थ्य सुविधा पर अरबों रुपये खर्च किये जाते हैं. लेकिन आज भी मरीजों को सुविधा का लाभ सही से नहीं मिल पा रहा है. अब एक शर्मनाक तस्वीर सीएम नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा से आई है. यहां एक मरीज को एंबुलेंस न मिलने पर उसके घर वाले खाट से डॉक्टर के पास ले गए.

कोरोना की महामारी कहें या लॉकडाउन की बेबसी. आज के आधुनिक दौर में भी परिजनों को खाट पर लादकर इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है. बिहार में कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए लॉकडाउन लगाया गया है. इसके कारण वाहनों के परिचालन में समस्या हो रही है. हालांकि आपातकाल सेवा को जारी रखा गया है. लेकिन बाबजूद इसके हिलसा के ढिबरापर गांव निवासी अनुज कुमार को खाट पर लादकर ही परिजनों ने गुरुवार को डॉक्टर तक पहुंचाया.

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अस्पताल के चक्कर काटते रहे परिजन
मरीज को बेहतर इलाज के लिए परिजन उसे हिलसा ले जाना चाहते थे. पहले स्थानीय स्तर पर वाहन खोजा. लेकिन कोई भी कोरोना के भय से उसे ले जाने को तैयार नहीं हुआ. इसके बाद परिजन उसे खाट पर लादकर निकल पड़े. कड़ी धूप में डेढ़ किलोमीटर पैदल ही खाट पर मरीज को लादकर हिलसा लाए. यहां भी उनकी समस्याओं ने पीछा नहीं छोड़ा. इलाज के लिए कई निजी अस्पताल गए. वहां उन्हें भर्ती लेने से इंकार कर दिया. मरीज को खाट पर लादे घंटों परिजर शहर के चक्कर लगाते रहे. बाद में एक निजी अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया. जहां उनका इलाज किया जा रहा है.

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