पटना: बिहार रूरल लाइवलिहुड प्रोजेक्ट यानी जीविका आज राजधानी के मरीजों के लिए वरदान साबित हो रहा है. जीविका की ओर से बिहार के चुनिंदा सरकारी अस्पतालों में दीदी की रसोई के जरिए मरीजों और उनके परिजनों को स्वच्छ और बिल्कुल घर जैसा खाना उपलब्ध कराया जा रहा है.
जीविका की यह दीदीयां बहुत जल्द बिहार के सभी जिले के सरकारी अस्पतालों में खाना मुहैया करती दिखेंगी. बिहार सरकार के ग्रामीण विकास विभाग के तहत जीविका का बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति के साथ एमओयू हुआ था. जिसमें कई सरकारी अस्पतालों में जीविका की स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं की ओर से खाना बनाने और पहुंचाने का करार हुआ था.
सहरसा में होगी जल्द शुरुआत
इस मिशन के तहत पिछले साल बिहार के चार सदर अस्पताल में दीदी की रसोई की शुरुआत हुई. जिसमें वैशाली, बक्सर, शेखपुरा और पूर्णिया शामिल थे. आने वाले दिनों में सहरसा सदर अस्पताल में भी इसकी शुरुआत होने वाली है.
100 रुपये में मिलता है दिनभर का खाना
बता दें कि इस रसोई के जरिए जीविका समूह की महिलाएं खुद खाना बनाती हैं और कुछ खाने को बिल्कुल साफ और स्वच्छ तरीके से मरीजों और उनके परिजनों तक पहुंचाती हैं. महज 100 रुपये में सुबह के नाश्ते से लेकर रात तक का खाना तक दीदी की रसोई से उपलब्ध कराया जाता है.
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश
जीविका में नान फार्म का जिम्मा संभाल रहे अधिकारी समीर कुमार ने बताया कि स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं ही दीदी की रसोई का काम संभालती हैं. वहां करीब 6 से 8 महिलाओं को यह जिम्मा मिलता है. इससे महिलाओं की 6000 से 10000 रुपये प्रति माह की कमाई हो जाती है.
साफ-सफाई है पहचान
इस रसोई की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां साफ-सफाई का पूरा ख्याल रखा जाता है. यहां बिल्कुल हाइजेनिक तरीके से खाना बनाने से लेकर खाना पहुंचाने तक का काम किया जाता है. पटना में चल रहे सरस मेले में पहुंची दीदी की रसोई के काउंटर पर सबसे ज्यादा भीड़ दिखी.