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मधेपुरा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे पप्पू यादव, जानें कैसा रहा राजनीतिक सफर

राजेश रंजन ऊर्फ पप्पू यादव मधेपुरा सीट से चुनाव मैदान में उतरने की घोषणा की है. बता दें कि जन अधिकार पार्टी प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन में शामिल है.

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Published : Oct 14, 2020, 4:15 PM IST

pappu yadav
pappu yadav

पटना: बिहार चुनाव 202 में मधेपुरा विधानसभा सीट का मुकाबला दिलचस्प होने वाला है. जन अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व सांसद राजेश रंजन ऊर्फ पप्पू यादव मधेपुरा सीट से चुनाव मैदान में उतरने की घोषणा की है.

जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन में शामिल है. इस गठबंधन में चंद्रशेखर आजाद की अध्यक्षता वाली आजाद समाज पार्टी, एमके फैजी के नेतृत्व वाली सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी यानी एसटीपीआई और बहुजन मुक्ति पार्टी भी शामिल है.

जानें पप्पू यादव का राजनीतिक सफर
बिहार की राजनीति में पप्पू यादव की खास पहचान तब बनी जब वह 1990 में निर्दलीय विधायक बनकर बिहार विधानसभा में पहुंचे. इसके बाद का उनका सियासी सफर आपराधिक मामलों में विवादों से भरा रहा. तब बड़े-बड़े दबंग भी पप्पू से टकराने से बचते रहे. हालांकि पप्पू मानते रहे हैं कि सामाजिक अंतरविरोधों के कारण उनकी ऐसी छवि गढ़ दी गयी. हांलाकि वे कई बार अपनी छवि के लिए लालू यादव को दोषी ठहरा चुके हैं.

कई बार रह चुके हैं सांसद
पप्पू यादव ने 1990 में सिंहेश्वरस्थान, मधेपुरा से विधानसभा का चुनाव लड़ा और चुन लिए गए. साल 1991 में उन्होंने पूर्णिया से 10वीं लोकसभा के लिए चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. इसके बाद पप्पू कई पार्टियों से जुड़े. वो आरजेडी, समाजवादी पार्टी और लोक जनशक्ति पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़े और जीते. पप्पू ने साल 1991, 1996, 1999 और 2004 में लोकसभा चुनाव जीता. मई 2015 में आरजेडी से पप्पू यादव को निकाल दिया गया. पप्पू पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगा.

आरजेडी से निकाले जाने के बाद पप्पू ने अपनी नई पार्टी बनाई. जिसका नाम जन अधिकार पार्टी रखा. साल 2015 के चुनाव में पप्पू ने मधेपुरा का चुनाव जीता. इसके बाद वे 2019 में चुनाव हार गए. लेकिन वे लागातर राजनीति में सक्रिय रहे और समय-समय पर सरकार के निर्णयों के खिलाफ अपना आवाज बूलंद करते रहे.

बता दें कि पटना में 2019 में हुए जलजमाव में पप्पू यादव ने जमकर लोगों की सेवा की. भारी बारिश और पानी के बीच कई दिनों तक पप्पू यादव राहत साम्रगी बांटते रहे. उस समय जनता ने उनकी जमकर तारीफ की थी.

पटना: बिहार चुनाव 202 में मधेपुरा विधानसभा सीट का मुकाबला दिलचस्प होने वाला है. जन अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व सांसद राजेश रंजन ऊर्फ पप्पू यादव मधेपुरा सीट से चुनाव मैदान में उतरने की घोषणा की है.

जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन में शामिल है. इस गठबंधन में चंद्रशेखर आजाद की अध्यक्षता वाली आजाद समाज पार्टी, एमके फैजी के नेतृत्व वाली सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी यानी एसटीपीआई और बहुजन मुक्ति पार्टी भी शामिल है.

जानें पप्पू यादव का राजनीतिक सफर
बिहार की राजनीति में पप्पू यादव की खास पहचान तब बनी जब वह 1990 में निर्दलीय विधायक बनकर बिहार विधानसभा में पहुंचे. इसके बाद का उनका सियासी सफर आपराधिक मामलों में विवादों से भरा रहा. तब बड़े-बड़े दबंग भी पप्पू से टकराने से बचते रहे. हालांकि पप्पू मानते रहे हैं कि सामाजिक अंतरविरोधों के कारण उनकी ऐसी छवि गढ़ दी गयी. हांलाकि वे कई बार अपनी छवि के लिए लालू यादव को दोषी ठहरा चुके हैं.

कई बार रह चुके हैं सांसद
पप्पू यादव ने 1990 में सिंहेश्वरस्थान, मधेपुरा से विधानसभा का चुनाव लड़ा और चुन लिए गए. साल 1991 में उन्होंने पूर्णिया से 10वीं लोकसभा के लिए चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. इसके बाद पप्पू कई पार्टियों से जुड़े. वो आरजेडी, समाजवादी पार्टी और लोक जनशक्ति पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़े और जीते. पप्पू ने साल 1991, 1996, 1999 और 2004 में लोकसभा चुनाव जीता. मई 2015 में आरजेडी से पप्पू यादव को निकाल दिया गया. पप्पू पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगा.

आरजेडी से निकाले जाने के बाद पप्पू ने अपनी नई पार्टी बनाई. जिसका नाम जन अधिकार पार्टी रखा. साल 2015 के चुनाव में पप्पू ने मधेपुरा का चुनाव जीता. इसके बाद वे 2019 में चुनाव हार गए. लेकिन वे लागातर राजनीति में सक्रिय रहे और समय-समय पर सरकार के निर्णयों के खिलाफ अपना आवाज बूलंद करते रहे.

बता दें कि पटना में 2019 में हुए जलजमाव में पप्पू यादव ने जमकर लोगों की सेवा की. भारी बारिश और पानी के बीच कई दिनों तक पप्पू यादव राहत साम्रगी बांटते रहे. उस समय जनता ने उनकी जमकर तारीफ की थी.

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