पटना: राजधानी पटना के बापू सभागार में आयोजित त्रिकालदर्शी पंडोखर सरकार का दिव्य दरबार के दूसरे दिन पंडोखर सरकार गुरु शरण शर्मा महाराज ने लोगों का पर्चा निकालकर उनकी समस्याओं का समाधान किया. पंडोखर बाबा अपना दिव्या दरबार शुरू करने से पहले पूजा अर्चना की और उपस्थित भक्त जनों को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि मेरे दिव्या दरबार में आने के लिए कोई पैसा नहीं देना होता है. जो पंडोखर सरकार धाम आना चाहते हैं, वह आ सकते हैं, उनको पैसा नहीं देना पड़ेगा लेकिन समय जरूर देना पड़ेगा.
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दरबार में कर रहे परेशानियों का समाधान: गुरु शरण शर्मा ने कहा कि सनातन धर्म के लोग अपने घरों पर हनुमान ध्वज लगाए, घर पर हवन और हनुमान जी की पूजा अर्चना करें. वह किसी धर्म का विरोध नहीं करते हैं पर हिंदुओं को जगाते हैं. उन्होंने कहा कि दिव्य दरबार में कई ऐसे लोग आते हैं जो दरबार में अपनी परेशानियों का समाधान खोजते हैं. कुछ ऐसे लोग दरबार देखने आते हैं, तो कुछ ऐसे होते हैं जो दरबार का टेस्ट लेते हैं कि जो हम पर्चा निकालते हैं वह वाकई में सही है या गलत है.
खुद को बताया भगवान का साधन: उन्होंने कहा कि सनातन धर्म को लेकर कई बातें कही जाती है. सनातन धर्म पर कभी भी शक नहीं करना चाहिए, इसमें हर परेशानी का समाधान है. उन्होंने कहा कि मैं भगवान नहीं हूं बल्कि भगवान का साधन हूं इसलिए जिन लोगों को मैं दिव्या दरबार में उपाय बताता हूं, अगर वह सच्चे मन से करते है तो उनको फायदा मिलता है.
"मैं अगर झूठ बताता तो लोग मुझ पर एक बार विश्वास करेंगे, बार-बार विश्वास नहीं करेंगे. इसलिए मेरा दिव्या दरबार जहां भी लगता है वहां के लोगों को मैं अपने दिव्या दरबार में बुलाता हूं. पटना में मेरा यह दिव्या दरबार लगा है तो इसमें सिर्फ बिहार के लोग ही हैं. दिल्ली-पंजाब के लोग इसमें शामिल भी नहीं हो सकते हैं."-शरण शर्मा महाराज
छपरा के भक्त का निकला पहला पर्चा: बता दें कि पंडोखर सरकार का दिव्य दरबार पटना में लगा है. जिसमें बिहार के कोने-कोने आए लोगों का बाबा के द्वारा पर्चा निकाल गया. पहला पर्चा छपरा जिले के प्रसाद से आए अशोक यादव का निकला जिसमें बाबा ने अशोक यादव के पुत्र प्राप्ति की कामना को लेकर पहुंचने की जानकारी लिखी थी. दूसरा पर्चा दीघा के अर्चना सिंह और तीसरा प्रचार दीघा के ही बिना सिंह का निकला. बाबा के द्वारा 200 पर्चा निकाला गया.
"यह बात सही है कि मैं पुत्र प्राप्ति की कामना को लेकर यहां दरबार में पहुंचा हूं. बाबा के द्वारा निकाले गए पर्चा पहले से ही लिख करके रखा गया था." -अशोक कुमार, भक्त