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समाजवादी नेताओं के कंधों पर बिहार BJP को भरोसा नहीं! भीखुभाई दलसानिया बनाएंगे भविष्य की रणनीति - JP Nadda

बिहार बीजेपी (Bihar BJP) की राजनीति अबतक कमोबेश समाजवादी नेताओं के कंधों पर ही रही है. लंबे संघर्ष के बाद पार्टी बड़े भाई की भूमिका में तो आ गई, लेकिन अपने दम पर सरकार नहीं बना सकी है. अकेले सत्ता के शिखर पर पहुंचने के लिए पार्टी कई मोर्चों पर काम कर रही है. संगठन प्रभारी का बदलाव भी उसी रणनीति की कड़ी मानी जा रही है.

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Published : Aug 19, 2021, 10:58 PM IST

Updated : Aug 20, 2021, 12:28 PM IST

पटना: बिहार बीजेपी (Bihar BJP) में नई राजनीति की पटकथा लिखी जा रही है. संगठन में आमूलचूल परिवर्तन की तैयारी हो रही है. कोर कमेटी भी नए स्वरूप में दिखने वाली है. हालांकि विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद ही बदलाव के संकेत दिखने लगे थे. तब सुशील मोदी, नंदकिशोर यादव और प्रेम कुमार को एक झटके में किनारे कर दिया गया था. अब नागेंद्र नाथ (Nagendra Nath) को हटाकर भीखुभाई दलसानिया (Bhikhubhai Dalsaniya) की ताजपोशी उसी का विस्तार है.

ये भी पढ़ें: बिहार BJP में बड़ा उलटफेर: संगठन महामंत्री नागेंद्र हटाए गए, भीखुभाई को मिली जिम्मेदारी

दरअसल बीजेपी उत्तर प्रदेश की तर्ज पर बिहार में भी पार्टी को स्वावलंबी बनाना चाहती है. पार्टी कैसे आत्मनिर्भर बने, इसके लिए जेपी आंदोलन से निकले नेताओं को मुख्यधारा से अलग कर दिया गया है और नई टीम के गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.

देखें रिपोर्ट

बिहार में भूपेंद्र यादव पार्टी को पिछड़ी राजनीति की तरफ शिफ्ट कर रहे थे. सरकार और संगठन में पिछड़ी जाति से आने वाले नेताओं को तवज्जो मिल रही थी, लेकिन नागेंद्र नाथ को पिछड़ी राजनीति से एतराज था. कई बार बैठकों में नागेंद्र ने विरोध भी जताया था.

नागेंद्र नाथ साल 2011 में प्रदेश के संगठन महामंत्री बने थे. 9 साल के दौरान वे पार्टी और सरकार के बीच सेतु का काम करते रहे. उनको भी सुशील मोदी, नंदकिशोर और प्रेम कुमार गुट का माना जाता था और चारों नेता पार्टी में कोई भी फैसला एक मत से ले लेते थे.

धर्मेंद्र प्रधान के बाद बिहार के प्रभारी बनने वाले भूपेंद्र यादव ने सुशील मोदी के खिलाफ अपनी टीम तैयार की. जिसमें नित्यानंद राय, संजय जायसवाल, गिरिराज सिंह और अश्विनी चौबे सरीखे नेता शामिल थे.

नागेंद्र नाथ को क्षेत्रीय संगठन प्रभारी बनाया गया और उनके ऊपर बिहार और झारखंड दोनों की जिम्मेदारी होगी. गौर करने वाली बात यह है कि नागेंद्र नाथ का मुख्यालय पटना से रांची क्यों कर दिया गया. जबकि पटना से भी क्षेत्रीय संगठन प्रभारी के रूप में वह काम कर सकते थे.

दरअसल बीजेपी में पिछले दिनों कुछ विवाद भी हुए थे. ऑडियो वायरल हुआ था, जिसमें भ्रष्टाचार का मामला प्रकाश में आया था. पार्टी के विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) को पत्र लिखकर जांच की मांग की थी.

ये भी पढ़ें: 'सहयोग' के बहाने सहयोगियों में 'रेस', जनता में पैठ बनाने के लिए BJP-JDU में होड़

नागेंद्र नाथ की जगह गुजरात में संगठन प्रभारी के रूप में काम कर चुके भीखुभाई दलसानिया को संगठन महामंत्री बनाया गया है. भीखुभाई केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के करीबी माने जाते हैं. जाहिर है बिहार बीजेपी की कोर कमेटी भी अब सीधे केंद्र के नियंत्रण में होगी.

नागेंद्र नाथ की विदाई पर बीजेपी नेता और बिहार सरकार के मंत्री प्रमोद कुमार ने कहते हैं कि नागेंद्र कुशल संगठनकर्ता हैं. लंबे समय तक उन्होंने पार्टी के लिए सेवा दी. अब उन्हें प्रमोट कर दो राज्यों की जिम्मेदारी सौंपी गई है.

वहीं, बीजेपी में हुए इस बड़े बदलाव पर आरजेडी (RJD) ने तीखा वार किया है. प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा है कि बीजेपी सांप्रदायिक राजनीति करती है. नागेंद्र नाथ से पार्टी अपने एजेंडे को धरातल पर उतार नहीं पा रही थी, लिहाजा उनका तबादला कर दिया गया. बदलाव से भी बीजेपी को फायदा मिलने वाला नहीं है.

बीजेपी में हो रहे बड़े परिवर्तन को लेकर वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक कौशलेंद्र प्रियदर्शी का मानन है कि बदलाव से पार्टी ने यह संदेश दे दिया है कि अब सुशील मोदी गुट को पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है. दरअसल बिहार में पार्टी सुशील मोदी और नीतीश कुमार के आभामंडल से निकलना चाहती है.

ये भी पढ़ें: जानिए कौन हैं भीखुभाई दलसानिया, जिन्हें नागेंद्र नाथ की जगह मिली बिहार BJP के संगठन महामंत्री की अहम जिम्मेदारी

आपको बताएं कि नागेंद्र नाथ को क्षेत्रीय संगठन महामंत्री बनाया गया है. उनका मुख्यालय रांची रहेगा. जबकि केंद्रीय नेतृत्व ने भीखुभाई दलसानिया को बिहार का संगठन महामंत्री बनाया है. नागेंद्र नाथ 2011 में बिहार आए थे. करीब 9 साल तक बिहार भाजपा के लिए नागेंद्र नाथ ने सेवा दी. नागेंद्र जहां अगड़ी जाति से आते हैं. वहीं, गुजरात निवासी भीखुभाई दलसानिया पिछड़ी जाति से आते हैं.

भिखुभाई दलसानिया 1997 में बीजेपी से जुड़े थे. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के विचारों को मानने वाले दलसानिया पिछले 20 वर्षों से गुजरात बीजेपी के संगठन मंत्री थे. संगठन मंत्री रहते हुए उन्होंने पार्टी और संगठन को मजबूत करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की. उनमें राजनीतिक कौशल और रणनीति बनाने की जबरदस्त प्रतिभा है. यही वजह है कि वे 2 दशक से भी अधिक समय तक इतने अहम पद पर बने रहे. हालांकि 1 अगस्त 2021 को उन्हें गुजरात बीजेपी के संगठन मंत्री पद से हटा दिया गया था. भिखुभाई दलसानिया 2004 से गुजरात के संगठन मंत्री का काम देख चुके हैं. इस भूमिका के तौर पर उन्होंने दो लोकसभा चुनावों और दो विधानसभा चुनावों में संगठन की जिम्मेदारी निभाई है.

पटना: बिहार बीजेपी (Bihar BJP) में नई राजनीति की पटकथा लिखी जा रही है. संगठन में आमूलचूल परिवर्तन की तैयारी हो रही है. कोर कमेटी भी नए स्वरूप में दिखने वाली है. हालांकि विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद ही बदलाव के संकेत दिखने लगे थे. तब सुशील मोदी, नंदकिशोर यादव और प्रेम कुमार को एक झटके में किनारे कर दिया गया था. अब नागेंद्र नाथ (Nagendra Nath) को हटाकर भीखुभाई दलसानिया (Bhikhubhai Dalsaniya) की ताजपोशी उसी का विस्तार है.

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दरअसल बीजेपी उत्तर प्रदेश की तर्ज पर बिहार में भी पार्टी को स्वावलंबी बनाना चाहती है. पार्टी कैसे आत्मनिर्भर बने, इसके लिए जेपी आंदोलन से निकले नेताओं को मुख्यधारा से अलग कर दिया गया है और नई टीम के गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.

देखें रिपोर्ट

बिहार में भूपेंद्र यादव पार्टी को पिछड़ी राजनीति की तरफ शिफ्ट कर रहे थे. सरकार और संगठन में पिछड़ी जाति से आने वाले नेताओं को तवज्जो मिल रही थी, लेकिन नागेंद्र नाथ को पिछड़ी राजनीति से एतराज था. कई बार बैठकों में नागेंद्र ने विरोध भी जताया था.

नागेंद्र नाथ साल 2011 में प्रदेश के संगठन महामंत्री बने थे. 9 साल के दौरान वे पार्टी और सरकार के बीच सेतु का काम करते रहे. उनको भी सुशील मोदी, नंदकिशोर और प्रेम कुमार गुट का माना जाता था और चारों नेता पार्टी में कोई भी फैसला एक मत से ले लेते थे.

धर्मेंद्र प्रधान के बाद बिहार के प्रभारी बनने वाले भूपेंद्र यादव ने सुशील मोदी के खिलाफ अपनी टीम तैयार की. जिसमें नित्यानंद राय, संजय जायसवाल, गिरिराज सिंह और अश्विनी चौबे सरीखे नेता शामिल थे.

नागेंद्र नाथ को क्षेत्रीय संगठन प्रभारी बनाया गया और उनके ऊपर बिहार और झारखंड दोनों की जिम्मेदारी होगी. गौर करने वाली बात यह है कि नागेंद्र नाथ का मुख्यालय पटना से रांची क्यों कर दिया गया. जबकि पटना से भी क्षेत्रीय संगठन प्रभारी के रूप में वह काम कर सकते थे.

दरअसल बीजेपी में पिछले दिनों कुछ विवाद भी हुए थे. ऑडियो वायरल हुआ था, जिसमें भ्रष्टाचार का मामला प्रकाश में आया था. पार्टी के विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) को पत्र लिखकर जांच की मांग की थी.

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नागेंद्र नाथ की जगह गुजरात में संगठन प्रभारी के रूप में काम कर चुके भीखुभाई दलसानिया को संगठन महामंत्री बनाया गया है. भीखुभाई केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के करीबी माने जाते हैं. जाहिर है बिहार बीजेपी की कोर कमेटी भी अब सीधे केंद्र के नियंत्रण में होगी.

नागेंद्र नाथ की विदाई पर बीजेपी नेता और बिहार सरकार के मंत्री प्रमोद कुमार ने कहते हैं कि नागेंद्र कुशल संगठनकर्ता हैं. लंबे समय तक उन्होंने पार्टी के लिए सेवा दी. अब उन्हें प्रमोट कर दो राज्यों की जिम्मेदारी सौंपी गई है.

वहीं, बीजेपी में हुए इस बड़े बदलाव पर आरजेडी (RJD) ने तीखा वार किया है. प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा है कि बीजेपी सांप्रदायिक राजनीति करती है. नागेंद्र नाथ से पार्टी अपने एजेंडे को धरातल पर उतार नहीं पा रही थी, लिहाजा उनका तबादला कर दिया गया. बदलाव से भी बीजेपी को फायदा मिलने वाला नहीं है.

बीजेपी में हो रहे बड़े परिवर्तन को लेकर वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक कौशलेंद्र प्रियदर्शी का मानन है कि बदलाव से पार्टी ने यह संदेश दे दिया है कि अब सुशील मोदी गुट को पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है. दरअसल बिहार में पार्टी सुशील मोदी और नीतीश कुमार के आभामंडल से निकलना चाहती है.

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आपको बताएं कि नागेंद्र नाथ को क्षेत्रीय संगठन महामंत्री बनाया गया है. उनका मुख्यालय रांची रहेगा. जबकि केंद्रीय नेतृत्व ने भीखुभाई दलसानिया को बिहार का संगठन महामंत्री बनाया है. नागेंद्र नाथ 2011 में बिहार आए थे. करीब 9 साल तक बिहार भाजपा के लिए नागेंद्र नाथ ने सेवा दी. नागेंद्र जहां अगड़ी जाति से आते हैं. वहीं, गुजरात निवासी भीखुभाई दलसानिया पिछड़ी जाति से आते हैं.

भिखुभाई दलसानिया 1997 में बीजेपी से जुड़े थे. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के विचारों को मानने वाले दलसानिया पिछले 20 वर्षों से गुजरात बीजेपी के संगठन मंत्री थे. संगठन मंत्री रहते हुए उन्होंने पार्टी और संगठन को मजबूत करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की. उनमें राजनीतिक कौशल और रणनीति बनाने की जबरदस्त प्रतिभा है. यही वजह है कि वे 2 दशक से भी अधिक समय तक इतने अहम पद पर बने रहे. हालांकि 1 अगस्त 2021 को उन्हें गुजरात बीजेपी के संगठन मंत्री पद से हटा दिया गया था. भिखुभाई दलसानिया 2004 से गुजरात के संगठन मंत्री का काम देख चुके हैं. इस भूमिका के तौर पर उन्होंने दो लोकसभा चुनावों और दो विधानसभा चुनावों में संगठन की जिम्मेदारी निभाई है.

Last Updated : Aug 20, 2021, 12:28 PM IST
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