पटना: बहुजन समाज पार्टी के प्रदेश कार्यालय बुद्धा कॉलोनी में शुक्रवार को प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक हुई. बैठक में आने वाले 2024 के लोकसभा चुनाव में बिहार प्रदेश में बसपा की रणनीतियों पर बातचीत हुई. प्रदेश प्रभारी अनिल कुमार ने कहा कि बहुजन समाज पार्टी के हर कार्यकर्ता और पदाधिकारी ज्यादा से ज्यादा छोटे छोटे बस्ती से लेकर प्रत्येक गांव के बूथ स्तर पर जाकर बाबा साहब भीमराव अंबेडकर, कांशीराम के विचारधाराओं पर बहन मायावती की सोच और उनकी भावनाओं की चर्चा करेंगे.
पढ़ें- Anand Mohan on Mayawati: 'कौन हैं मायावती.. मैं नहीं जानता', आनंद मोहन ने क्यों कहा ऐसा?
बोले अनिल कुमार- 'लाल किले पर झंडा फहराएंगी मायावती': अनिल कुमार ने कहा कि बसपा के बिहार इकाई को मजबूत बनाने के लिए और बहन मायावती को 2024 में प्रधानमंत्री बनाने के लिए रणनीति तैयार की गई है. बसपा के पदाधिकारी और कार्यकर्ता ने जो दृढ़ संकल्प लिया है उसे किसी भी कीमत पर पूरा करेंगे. सभी लोगों की यह जिम्मेदारी दी गई है.
''आप तन मन धन से लगन से लग जाएं. एकजुट होकर काम करें और बहन मायावती को निश्चित रूप से प्रधानमंत्री बनाने का काम करें. लाल किला पर ना महागठबंधन का झंडा फहरेगा, ना गठबंधन का झंडा फहरेगा, जब झंडा फहराया तो सिर्फ बासपा का झंडा फहरेगा.''- अनिल सिंह, बिहार प्रदेश प्रभारी, बीएसपी
'बिहार संभलता नहीं.. दिल्ली का देख रहे सपना': पटना में होने वाले विपक्षी एकजुटता की बैठक को लेकर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि विपक्ष एकजुट हो रहे हैं लेकिन बिहार के दलित तबके गरीब लोगों की जो समस्या है, उसको लेकर कोई प्रयास नहीं किया गया है. वहीं नीतीश कुमार पर हमला करते हुए बसपा प्रदेश प्रभारी अनिल सिंह ने सवाल खड़ा करते हुए कहा कि बहुत लोगों के मन में जिज्ञासा है कि दिल्ली की गद्दी पर बैठे. बिहार संभलता नहीं और दिल्ली का सपना सजाए बैठे हैं.
"यह सपना कभी पूरा नहीं होने वाला है. दलित शोषितों की हत्या के बावजूद भी कई लोगों को आजाद कर दिया गया. ऐसे संगठन के साथ बहुजन समाज पार्टी बैठक में शामिल नहीं हो सकती है."- अनिल सिंह, बिहार प्रदेश प्रभारी, बीएसपी
विपक्षी एकता से मायावती की दूरी: अब यह साफ हो चुका है कि 23 जून को होने वाली विपक्षी दलों की बैठक में मायावती नहीं जाएंगी. इससे पहले पूर्व सांसद आनंद मोहन कि रिहाई को लेकर भी मायावती ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला किया था. वहीं जब नीतीश अखिलेश यादव से मिलने लखनऊ गए थे तो उन्होंने मायावती से मुलाकात नहीं की थी.