पटना: बिहार सरकार बिहार मिलिट्री पुलिस (बीएमपी) को विशेष अधिकार देने के लिए एक विधेयक ला रही है. सीआईएसएफ की तर्ज पर बिहार में प्रमुख औद्योगिक इकाइयों और सरकारी संरचना की सुरक्षा के लिए बीएमपी को तैयार करने के लिए ये विधेयक है. बिहार सरकार राज्य की आंतरिक सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए एक कुशल प्रशिक्षित और समर्पित सशस्त्र पुलिस बल की जरूरत को देखते हुए ये कदम उठा रही है.
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क्या है पुलिस विधेयक 2021?
बिहार पुलिस आयोग ने 1961 में अपनी रिपोर्ट में ये सिफारिश की थी कि बिहार सैन्य पुलिस को विशेष अधिकार दिए जाएं. ताकि, बिहार की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत किया जा सके. नए प्रावधान में बीएमपी को बिना किसी वारंट के तलाशी और गिरफ्तारी का अधिकार होगा. बिहार सैन्य पुलिस के इस अधिकार को कोर्ट में भी चैलेंज नहीं किया जा सकेगा. हालांकि, ये अधिकार सामान्य पुलिस को नहीं होंगे. विपक्ष इसे बड़ा मुद्दा बताते हुए इस कानून को काला कानून बता रहा है और इसका विरोध कर रहा है.
''सरकार एक के बाद एक आम लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचलने का प्रयास कर रही है. पहले ही सोशल मीडिया पर लिखने को लेकर सरकार अपनी मंशा स्पष्ट कर चुकी है और अब ये काला कानून उस कड़ी में सरकार का अगला कदम है. इसके बाद तमाम मजदूर संघों पर भी सरकार लगाम कसेगी''- अनवर हुसैन, प्रदेश प्रवक्ता, राजद
''सरकार आम लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों के प्रति सजग है. सरकार अगर कोई विशेष ला रही है और उसमें विपक्ष के नेताओं को आपत्ति है तो वह उसके लिए अलग से मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी बात रख सकते हैं और संशोधन का प्रस्ताव ला सकते हैं. लेकिन किसी विधेयक का एकतरफा विरोध करना कहीं से उचित नहीं है''- निखिल आनंद, प्रदेश प्रवक्ता, भाजपा
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सरकार और विपक्ष आमने-सामने
इतना तो साफ है कि सामान्य पुलिस को सरकार कोई विशेष अधिकार नहीं देने जा रही है. जो विशेष अधिकार मिलने हैं वो बिहार सैन्य पुलिस को ही मिलेंगे और वो मामले भी औद्योगिक इकाइयों और अन्य सरकारी संरचना की सुरक्षा से जुड़े होंगे. लेकिन विपक्ष इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बताते हुए सरकार पर हमला बोल रहा है. अब देखना है कि 23 मार्च को विधेयक जब पेश होगा, उस वक्त विपक्ष का क्या रुख रहता है और सरकार इस मामले में आगे क्या फैसला करती है.