पटना: नेशनल पापुलेशन रजिस्टर पर साल 2010 में ही काम शुरू हुआ. लेकिन इस बार कुछ खास कॉलम एनपीआर में जोड़े गए हैं. इसे विपक्ष ने बड़ा मुद्दा बताते हुए एनपीआर के विरोध में मोर्चा खोल दिया है. विपक्ष की ओर से लगातार एनपीआर का विरोध किया जा रहा है.
बता दें कि देश में इसी साल जनसंख्या रजिस्टर को लेकर जनगणना का काम होना है. अधिसूचना के मुताबिक मई से सितंबर तक देशभर में जनगणना का काम शुरू होगा. लेकिन विपक्ष ने एनपीआर को एक बड़ा मुद्दा बनाते हुए सरकार की हर दलील को अस्वीकार कर दिया है. ऐसे में इस साल होने वाली जनगणना पर विपक्ष के रुख को देखते हुए संशय के बादल मंडरा रहे हैं.
'एनपीआर को विपक्ष बना रहा है मुद्दा'
बीजेपी एनपीआर को लेकर लगातार यह कह रही है की एनपीआर में जो नए कॉलम जोड़े गए हैं, उन्हें भरना जरूरी नहीं है. बीजेपी नेता निखिल आनंद ने कहा कि केंद्र सरकार की तरफ से इसे लेकर सफाई दी जा चुकी है. एनपीआर के लिए किसी भी नागरिक को कोई डॉक्यूमेंट भी जमा नहीं करना है. फिर भी विपक्ष इसे मुद्दा बना रहा है.
'सरकार की मंशा ठीक नहीं'
केंद्र सरकार के हल दलील को नकारते हुए विपक्ष के नेता कह रहे हैं कि जब कॉलम को भरना जरूरी नहीं तो फिर यह कॉलम क्यों डाले गए हैं. इससे लोगों में भ्रम की स्थिति है. वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रेमचंद्र मिश्र ने कहा कि आखिर क्यों लोगों को सरकार भ्रमित कर रही है. साथ ही उन्होंने आशंका जताई कि जनगणना के आंकड़ों का दुरुपयोग बीजेपी अपने वोट बैंक के लिए कर सकती है. आरजेडी नेता चितरंजन गगन ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि जब एनपीआर में दिए कॉलम को भरना जरूरी नहीं तो फिर यह कॉलम क्यों डाले गए हैं. इसके पीछे सरकार की मंशा कुछ और लगती है. ऐसे में इस साल होने वाली जनगणना को लेकर संशय के बादल मंडरा रहे हैं.