पटना: बिहार सरकार द्वारा स्मार्ट प्री-पेड मीटर योजना की शुरुआत की गई थी. लेकिन पिछले कुछ समय से यह योजना सवालों के घेरों में है. आम जन से लेकर विपक्षी दल के नेताओं तक ने इस योजना पर सवाल खड़े कर दिए है. इस संबंध में विजय कुमार सिन्हा ने कहा है कि लोकधन की लूट पर लगाम लगाना जरूरी हो गया है.
नहीं हो रही कोई कार्रवाई: दरअसल, पटना के शहरीय क्षेत्रों में बिजली विभाग की तरफ से स्मार्ट मीटर लगाए गये हैं. इसके बाद से ही उपभोगताओं द्वारा कहा जा रहा है कि जब से स्मार्ट मीटर लगाए गये तब से बिजली का बिल काफी अधिक आ रहा है. शिकायत करने पर विद्युत विभाग के अधिकारी कोई भी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. वहीं, इस बात को मुद्दा बनाते हुए विपक्षी दल के नेताओं ने सरकार को घेरने का प्रयास किया है. बिहार विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने स्मार्ट प्री-पेड मीटर योजना के कार्यान्वयन की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है.
एजेंसियों के लिए लूट का बड़ा स्रोत बना योजना: उन्होंमे कहा है कि राज्य में लोकधन की लूट को रोकने के लिए इस योजना की जांच जरूरी है. 15,074 करोड़ रुपए की स्मार्ट प्रीपेड मीटर योजना कार्यकारी एजेंसियों के लिए लूट का बड़ा स्रोत बन गया है. सिन्हा ने कहा कि राज्य में अभी तक 21 लाख स्मार्ट प्री पेड मीटर लगायें जा चुके है. इन उपभोक्ताओं द्वारा हजारों शिकायत की गई है. शिकायतों में अधिक बिजली बिल, प्रतिदिन फिक्स्ड विद्युत चार्ज, बल्ब नहीं जलाने पर भी बिल, विद्युत लोड में अनियमितता, 2-3 दिन पर एकाएक अधिक राशि काट लेना के अलावे अन्य समस्यायें शामिल हैं जिसका निष्पादन नहीं किया जाता है.
"स्मार्ट प्री पेड मीटर मामला की शिकायत माननीय न्यायालय में भी की गई है. सरकार ने इस योजना को उपभोक्ताओं से जबरन लूट का माध्यम बना लिया है. इस योजना में खामियाँ और उपभोक्ताओं की शिकायत की अनदेखी की जा रही है. कमाई का नया जरिया बन गया है. बिजली की चोरी, वितरण में हानि, संचरण में अनियमितता को दूर करने हेतु सरकार कोई प्रयास नहीं कर रही है. इन माध्यमों से जो विद्युत हानि और अपव्यय होता है. उसका सीधा भार स्मार्ट प्रीपेड मीटर के उपभोक्ताओं पर पड़ रहा है." - विजय कुमार सिन्हा, नेता प्रतिपक्ष.
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