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झारखंड चुनाव के बाद LJP और JDU की विश्वसनीयता पर सवाल!, दोनों को NOTA से भी कम मिले वोट

लोक जनशक्ति पार्टी का प्रदर्शन तो और भी खराब रहा. लोजपा के 50 उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे. चिराग पासवान ने चुनाव प्रचार के लिए झारखंड के कई दौरे किये, लेकिन इसका कोई फायदा पार्टी को नहीं मिला. लोजपा के खाते में 0.30 प्रतिशत वोट गये.

opposition attacks ljp and jdu for failure in jharkhand elections
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Published : Dec 25, 2019, 3:56 AM IST

Updated : Dec 25, 2019, 7:56 AM IST

पटना: बिहार में एनडीए की सहयोगी पार्टियां जदयू और लोजपा ने झारखंड में भाजपा से अलग होकर चुनाव लड़ा लेकिन यहां दोनों दल बुरी तरह पिट गए. दोनों पार्टियां मिलाकर एक फीसदी वोट भी हासिल नहीं कर सकीं, जिसके बाद विपक्ष ने नीतीश कुमार और रामविलास पासवान पर निशाना साधा. हम के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा कि इनकी विश्वसनीयता खत्म हो गई है.

दानिश रिजवान ने कहा कि इन दोनों दलों से अधिक वोट नोटा को मिले हैं. इन्हें आत्ममंथन करने की जरूरत है. वहीं, जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा है कि जदयू अपने विस्तार के लिए झारखंड चुनाव में उतरी थी. हमने कभी भी वहां सरकार बनाने का दावा नहीं किया था. हम भविष्य में और बेहतर करने की कोशिश करेंगे.

पेश है रिपोर्ट.

झारखंड में तीनों दलों ने लड़ा अलग चुनाव
वहीं, भाजपा प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि सभी दलों को चुनाव लड़ने का अधिकार है. भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि लोजपा और जदयू की वजह से भाजपा को किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ. बता दें कि लोजपा और जदयू बिहार में भाजपा के साथ गठबंधन में है लेकिन झारखंड में तीनों दलों की राहें अलग-अलग थीं. जदयू और लोजपा झारखंड में अपनी साख भी नहीं बचा पाई. झारखंड के चुनाव में जदयू को 0.73 प्रतिशत वोट मिले. जदयू ने रणनीति के तहत आदिवासी चेहरा सालखन मुर्मू को प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया था, लेकिन वह भी मझगांव से चुनाव हार गए. जदयू ने 47 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे.

लोजपा का प्रदर्शन जदयू से भी बुरा
लोक जनशक्ति पार्टी का प्रदर्शन तो और भी खराब रहा. लोजपा के 50 उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे. चिराग पासवान ने चुनाव प्रचार के लिए झारखंड के कई दौरे किये, लेकिन इसका कोई फायदा पार्टी को नहीं मिला. लोजपा के खाते में 0.30 प्रतिशत वोट गये. इन परिणामों के बाद विपक्षी पार्टियां जहां जदयू और लोजपा की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर रहे हैं तो वहीं, पक्ष इसे चुनाव में सामान्य हार-जीत के तौर पर देख रहा है.

पटना: बिहार में एनडीए की सहयोगी पार्टियां जदयू और लोजपा ने झारखंड में भाजपा से अलग होकर चुनाव लड़ा लेकिन यहां दोनों दल बुरी तरह पिट गए. दोनों पार्टियां मिलाकर एक फीसदी वोट भी हासिल नहीं कर सकीं, जिसके बाद विपक्ष ने नीतीश कुमार और रामविलास पासवान पर निशाना साधा. हम के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा कि इनकी विश्वसनीयता खत्म हो गई है.

दानिश रिजवान ने कहा कि इन दोनों दलों से अधिक वोट नोटा को मिले हैं. इन्हें आत्ममंथन करने की जरूरत है. वहीं, जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा है कि जदयू अपने विस्तार के लिए झारखंड चुनाव में उतरी थी. हमने कभी भी वहां सरकार बनाने का दावा नहीं किया था. हम भविष्य में और बेहतर करने की कोशिश करेंगे.

पेश है रिपोर्ट.

झारखंड में तीनों दलों ने लड़ा अलग चुनाव
वहीं, भाजपा प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि सभी दलों को चुनाव लड़ने का अधिकार है. भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि लोजपा और जदयू की वजह से भाजपा को किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ. बता दें कि लोजपा और जदयू बिहार में भाजपा के साथ गठबंधन में है लेकिन झारखंड में तीनों दलों की राहें अलग-अलग थीं. जदयू और लोजपा झारखंड में अपनी साख भी नहीं बचा पाई. झारखंड के चुनाव में जदयू को 0.73 प्रतिशत वोट मिले. जदयू ने रणनीति के तहत आदिवासी चेहरा सालखन मुर्मू को प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया था, लेकिन वह भी मझगांव से चुनाव हार गए. जदयू ने 47 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे.

लोजपा का प्रदर्शन जदयू से भी बुरा
लोक जनशक्ति पार्टी का प्रदर्शन तो और भी खराब रहा. लोजपा के 50 उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे. चिराग पासवान ने चुनाव प्रचार के लिए झारखंड के कई दौरे किये, लेकिन इसका कोई फायदा पार्टी को नहीं मिला. लोजपा के खाते में 0.30 प्रतिशत वोट गये. इन परिणामों के बाद विपक्षी पार्टियां जहां जदयू और लोजपा की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर रहे हैं तो वहीं, पक्ष इसे चुनाव में सामान्य हार-जीत के तौर पर देख रहा है.

Intro:बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सहयोगी पार्टी जदयू और लोजपा ने झारखंड में भाजपा से दो-दो हाथ किए थे झारखंड चुनाव में दोनों दल बुरी तरह से पिट गए दोनों दल एक फ़ीसदी वोट भी नहीं हासिल कर सके


Body:लोजपा जदयू बिहार में भाजपा के साथ गठबंधन में है लेकिन झारखंड में तीनों दलों की राहें अलग अलग थी और एकला चलो की राह पर भाजपा जदयू और लोजपा थी झारखंड में भाजपा सरकार तो नहीं बचा पाई लेकिन साख बचाने में सफल रही । भाजपा की सहयोगी पार्टी जदयू और लोजपा झारखंड में अपनी साख भी नहीं बचा पाई। लोजपा और जदयू ने झारखंड में अलग चुनाव लड़ने का ऐलान किया था सबसे बड़ा झटका जदयू को लगा झारखंड में जदयू 1% वोट भी हासिल नहीं कर पाई नीतीश कुमार की पार्टी को 0.73 प्रतिशत वोट ही मिले। जदयू ने रणनीति के तहत आदिवासी चेहरे सालखन मुर्मू को प्रदेश अध्यक्ष बनाया था लेकिन वह भी मझगांव से चुनाव हार गए जदयू ने 47 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे


Conclusion: लोक जनशक्ति पार्टी के प्रदर्शन तो और भी खराब रही चुनाव के मैदान में लोजपा के 50 उम्मीदवार थे चिराग पासवान चुनाव प्रचार के लिए भी झारखंड गए थे लोजपा को जेडीयू से भी कम वोट मिले लोजपा के खाते में 0.30 प्रतिशत वोट ही मिले। चुनाव के नतीजों पर बिहार में सियासी घमासान छिड़ गया है हम के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने लोजपा और जदयू पर निशाना साधा है दानिश रिजवान ने कहा है कि नीतीश कुमार और रामविलास पासवान की विश्वसनीयता खत्म हो गई है और इन दोनों दलों से अधिक वोट नोटा को मिले इन्हें आत्ममंथन करने की जरूरत है। जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा है कि हम पार्टी के विस्तार के लिए झारखंड इस चुनावी मैदान में उतरे थे हमने कभी वहां सरकार बनाने का दावा नहीं किया था हम भविष्य में और बेहतर करने की कोशिश करेंगे। भाजपा प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा है कि सभी दलों को चुनाव लड़ने का अधिकार है भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि लोजपा और जदयू के वजह से भाजपा को किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ
Last Updated : Dec 25, 2019, 7:56 AM IST
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