पटना: बिहार में एनडीए की सहयोगी पार्टियां जदयू और लोजपा ने झारखंड में भाजपा से अलग होकर चुनाव लड़ा लेकिन यहां दोनों दल बुरी तरह पिट गए. दोनों पार्टियां मिलाकर एक फीसदी वोट भी हासिल नहीं कर सकीं, जिसके बाद विपक्ष ने नीतीश कुमार और रामविलास पासवान पर निशाना साधा. हम के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा कि इनकी विश्वसनीयता खत्म हो गई है.
दानिश रिजवान ने कहा कि इन दोनों दलों से अधिक वोट नोटा को मिले हैं. इन्हें आत्ममंथन करने की जरूरत है. वहीं, जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा है कि जदयू अपने विस्तार के लिए झारखंड चुनाव में उतरी थी. हमने कभी भी वहां सरकार बनाने का दावा नहीं किया था. हम भविष्य में और बेहतर करने की कोशिश करेंगे.
झारखंड में तीनों दलों ने लड़ा अलग चुनाव
वहीं, भाजपा प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि सभी दलों को चुनाव लड़ने का अधिकार है. भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि लोजपा और जदयू की वजह से भाजपा को किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ. बता दें कि लोजपा और जदयू बिहार में भाजपा के साथ गठबंधन में है लेकिन झारखंड में तीनों दलों की राहें अलग-अलग थीं. जदयू और लोजपा झारखंड में अपनी साख भी नहीं बचा पाई. झारखंड के चुनाव में जदयू को 0.73 प्रतिशत वोट मिले. जदयू ने रणनीति के तहत आदिवासी चेहरा सालखन मुर्मू को प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया था, लेकिन वह भी मझगांव से चुनाव हार गए. जदयू ने 47 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे.
लोजपा का प्रदर्शन जदयू से भी बुरा
लोक जनशक्ति पार्टी का प्रदर्शन तो और भी खराब रहा. लोजपा के 50 उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे. चिराग पासवान ने चुनाव प्रचार के लिए झारखंड के कई दौरे किये, लेकिन इसका कोई फायदा पार्टी को नहीं मिला. लोजपा के खाते में 0.30 प्रतिशत वोट गये. इन परिणामों के बाद विपक्षी पार्टियां जहां जदयू और लोजपा की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर रहे हैं तो वहीं, पक्ष इसे चुनाव में सामान्य हार-जीत के तौर पर देख रहा है.