पटना: बाढ़ से आई तबाही से हुए नुकसान के आंकलन की समीक्षा के लिए केंद्रीय टीम रविवार को बिहार दौरे पर थी. टीम के सदस्यों ने पदाधिकारियों के साथ बैठक की. हालांकि अभी तक कोई बड़ा ऐलान नहीं हुआ है. ऐसे में सूबे की विपक्षी पार्टियां सरकार पर हमलावर हो गई है. केंद्र पर बिहार के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाया.
बिहार के साथ सौतेलापन
पूर्व सीएम और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने कहा कि बिहार सरकार बार-बार केंद्र से मदद मांग रही है, लेकिन केंद्र हर बार इसे अनसुना कर रही है. उन्होंने केंद्र पर बिहार के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाया.
कैसी डबल इंजन की सरकार?
मांझी ने कहा कि यहां बस नाम की ही डबल इंजन की सरकार है. असल में बीजेपी नीतीश कुमार से बदला ले रही है. जो भी मांग नीतीश कुमार करते हैं, मोदी सरकार ठुकरा देती है. कायदे से नीतीश को एनडीए से अलग हो जाना चाहिए. बिहार के पास इतनी क्षमता है कि बिना केंद्र की 'कृपा' से भी बिहार आगे बढ़ सकता है.
केंद्रीय टीम का दौरा महज दिखावा
वहीं, आरजेडी प्रवक्ता सह विधायक विजय प्रकाश ने कहा कि बिहार में केंद्रीय टीम बार-बार समीक्षा करने आती है, लेकिन मिलता कुछ खास नहीं है. उन्होंने कहा कि दरअसल ये सारी कवायद लोगों को भ्रमित करने के लिए हो रही है. सच तो यही है कि सरकार कुछ नहीं कर पा रही है. केंद्र सरकार तो पिछले 5 सालों से बिहार के साथ सौतेला रवैया अख्तियार किए हुए हैं.
विपक्ष के पास मुद्दा नहीं, बेफिजूल सवाल
हालांकि बीजपी प्रवक्ता नवल किशोर यादव ने कहा कि विपक्ष सिर्फ हल्ला ही करता है. मगर केंद्र ने इस बार बाढ़ के समय में इतना बढ़िया काम किया है, इसका कभी विपक्ष ने सोचा ही नहीं था. सच तो ये है कि इनको बात को काटने के सिवा कुछ बचा नहीं है.
बिहार ने मांगा है 2700 करोड़
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में हुए नुकसान का आंकलन करने का बाद केंद्रीय टीम ने बिहार सरकार द्वारा अनुशंसा की गई राशि को लेकर विचार-विमर्श किया. बताएं कि बिहार के 13 जिलों में आई बाढ़ से हुई क्षति की भरपाई के लिए राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से 2700 करोड़ रुपये की मांग की है. जिसमें कृषि के लिए 354 करोड़, जल संसाधन के लिए 300 करोड़, पथ निर्माण के लिए 332 करोड़, ग्रामीण कार्य के लिए 18 करोड़, ऊर्जा के लिए 15 करोड़ और पशुपालन के लिए 12 करोड़ की राशि शामिल है.