पटना: पटना विश्वविद्यालय (Patna University) में आगामी सत्र से 4 साल का स्नातक पाठ्यक्रम शुरू होने जा रहा है. नए सत्र में नामांकन के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. पटना विश्वविद्यालय में एडमिशन (Admission in Patna University) एंट्रेंस टेस्ट के आधार पर होता था. लेकिन अब इंटरमीडिएट के मार्क्स के आधार पर अंडर ग्रैजुएट कोर्स में दाखिला लेने का विश्वविद्यालय प्रबंधन ने निर्णय लिया है. विश्वविद्यालय के इस निर्णय का विरोध करते हुए आईसा से जुड़े पटना विश्वविद्यालय के छात्रों ने विश्वविद्यालय गेट पर सोमवार को एक दिवसीय धरना दिया और नई शिक्षा नीति वापस लेने के साथ-साथ पीयू में एंट्रेंस टेस्ट के आधार पर दाखिला लेने की मांग की.
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नई शिक्षा नीति का विरोध: पटना विश्वविद्यालय के छात्र विकास कुमार ने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत आगामी शैक्षणिक सत्र से 4 वर्ष का स्नातक पाठ्यक्रम शुरू हो रहा है. इसके तहत विश्वविद्यालय में दाखिले के लिए इंटरमीडिएट के मार्क्स को आधार बनाया गया है. छात्र ने कहा कि बिहार बोर्ड का इवैल्यूएशन सिस्टम अलग है. सीबीएसई बोर्ड का इवैल्यूएशन सिस्टम अलग है और आईसीएसई बोर्ड का इवैल्यूएशन सिस्टम अलग है.
"सीबीएसई में 90 प्रतिशत से अधिक अंक लाने वाले छात्रों की संख्या अधिक रहती है. जबकि बिहार बोर्ड में मुश्किल से ही गिने-चुने छात्र 90 फीसदी से अधिक अंक प्राप्त कर पाते हैं. ऐसे में यदि ऐसा होता है तो बिहार बोर्ड के छात्र गरीब सामाजिक और आर्थिक परिवेश से आते हैं. वह मेधा के बावजूद पटना विश्वविद्यालय में दाखिला लेने से वंचित हो जाएंगे. उनकी मांग है कि विश्वविद्यालय में एंट्रेंस टेस्ट के आधार पर बच्चों का दाखिला लिया जाए. ताकि बिहार बोर्ड में मेधा के बावजूद जो कम अंक प्राप्त किए हैं. वह छात्र पटना विश्वविद्यालय में दाखिला ले सकें."- विकास कुमार, छात्र
अब साल में आयोजित होंगी आठ परीक्षा: छात्र नीरज कुमार ने कहा कि, यह सारा नियम नई शिक्षा नीति के तहत लाया गया है. जिसमें 4 साल का अंडरग्रैजुएट प्रोग्राम है और सीबीसीएस सिस्टम का मार्किंग पैटर्न है. इसके तहत साल में 8 परीक्षाएं आयोजित की जाएंगी और बिहार के लिए दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि जहां 3 साल के स्नातक कोर्स में विश्वविद्यालय साल में तीन परीक्षाएं नहीं आयोजित करा पाते हैं. अब साल में 8 परीक्षा कराना होगा, जो संभव नहीं लग रहा.
"राज्यपाल को विश्वविद्यालयों के विलंब से चल रहे शैक्षिक सत्र को सुचारू करने की दिशा में कार्य करने चाहिए थे. लेकिन उन्होंने नई शिक्षा नीति को थोप दिया है. इस नई शिक्षा नीति के तहत अंडर ग्रैजुएट प्रोग्राम में सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स कराया जा रहा है. इसके तहत बढ़ई, राजमिस्त्री और मजदूर बनने का स्किल सिखाया जाएगा, इसका मतलब साफ है कि पूजींपतियों के उद्योगों के लिए मजदूर तैयार करने की पॉलिसी है नई शिक्षा नीति."- नीरज कुमार, छात्र
लाइब्रेरी को 24 घंटा खोलने की मांग: छात्र आईसा के सचिव कुमार दिव्यम ने कहा कि नई शिक्षा नीति की ढेरों खामियां हैं. जहां पहले साल में एक परीक्षा होती थी और 1 साल का 2400 रुपये फीस होता था. अब 6 माह के लिए 3250 रुपये फीस हो गया है. शिक्षा सस्ती होने के बजाय महंगी होती जा रही है. इसके अलावा साल 2012 तक पटना विश्वविद्यालय का लाइब्रेरी 24 घंटे खुला रहता था. लेकिन अब लाइब्रेरी दिन में 10 बजे से 5 बजे के बीच खुला रह रहा है. उनकी मांग है कि लाइब्रेरी 24 घंटे खुली रहनी चाहिए. क्योंकि पटना विश्वविद्यालय में सिविल सर्विसेज और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले हजारों छात्र पढ़ते हैं.
"लाइब्रेरी 24 घंटे नहीं खुले रहने के कारण बाहर में प्राइवेट लाइब्रेरी का कल्चर बढ़ रहा है और इससे गरीब छात्रों को पढ़ने में परेशानी हो रही है. वहीं लाइब्रेरी का बाजार फल फूल रहा है. हम लोगों की मांग है कि पटना विश्वविद्यालय प्रबंधन आगामी सत्र में एडमिशन लेने के लिए एंट्रेंस टेस्ट आयोजित करें और बढ़ी हुई फीस को वापस करने के साथ-साथ लाइब्रेरी को 24 घंटे खोले रहने का निर्देश दें."- कुमार दिव्यम, सचिव, आईसा