पटना: राजनीति संभावनाओं का खेल है. ऐसे में जिस तरह से हम प्रमुख जीतनराम मांझी के पिछले कुछ दिनों से बयान आ रहे हैं, वैसे में कहा जा रहा है कि मांझी की राजनीतिक महत्वाकांक्षा एक बार फिर हिलोरे मारने लगी है. लालू प्रसाद यादव ने मांझी पर डोरे डालने भी शुरू कर दिए हैं. आरजेडी चीफ लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव उनके दूत के रूप में मांझी आवास पहुंचे तो राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई. तेज प्रताप के अनुरोध पर मांझी और लालू यादव के बीच मोबाइल फोन पर लंबी बातचीत भी हुई.
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पहले भी मांझी से संपर्क की कोशिश
लालू प्रसाद यादव जब जेल में बंद थे और बिहार में सरकार गठन की प्रक्रिया चल रही थी. उस दौरान भी लालू यादव ने जीतन राम मांझी से बातचीत करने की कई बार कोशिश की थी, लेकिन मांझी ने बातचीत करने से इंकार कर दिया था. बदली हुई परिस्थितियों में मांझी बड़ी राजनीतिक डील की फिराक में है और इसके संकेत भी मिलने लगे हैं.
'कोआर्डिनेशन कमेटी' की मांग बेहद अहम
जानकार कहते हैं कि मांझी 'कोआर्डिनेशन कमेटी' को हथियार की तरह इस्तेमाल करते हैं. मांझी ने जब महागठबंधन का साथ छोड़ा था, तभी भी उन्होंने 'कोआर्डिनेशन कमेटी' को ही मुद्दा बनाया था. अब एक बार फिर उन्होंने एनडीए में 'कोआर्डिनेशन कमेटी' बनाने की मांग कर दी है. वहीं, मांझी और मुकेश सहनी की नज़दीकियां भी बढ़ी है. हाल में उन्होंने आपस में मुलाकात की थी और काफी देर तक बातचीत भी की. रणनीतिक तौर पर बयानों में भी एकरूपता साफ-साफ दिख रही है.
हम का दावा- एनडीए में ही रहेंगे
लालू यादव के जन्मदिन पर जिस तरह से तेजप्रताप यादव ने मांझी से अचानक मुलाकात की और लालू की भी उनसे फोन पर बात करवाई, उससे कयास तेज हो गया है कि मांझी के मन में कुछ तो चल रहा है. हालांकि हम पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा है कि तेज प्रताप यादव और जीतन राम मांझी के बीच पारिवारिक मुलाकात थी, इसे राजनीतिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए.
"पहले भी कई बार ऐसा मौका आया है जब लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी, मांझी जी से मुलाकात कर चुके हैं"- दानिश रिजवान, प्रवक्ता, हम
लालू की कोशिश होगी बेअसर-बीजेपी
वहीं, बीजेपी के वरिष्ठ नेता नवल किशोर यादव ने कहा है कि लालू प्रसाद यादव के प्रयासों से कुछ नहीं होने वाला है. वह फ्यूज बल्व की तरह है. राजनीतिक लोग एक दूसरे से मिलते रहते हैं, इससे सरकार की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है.
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ऐसे में सवाल उठता है कि वह कौन-कौन से कारण हैं, जिस वजह से मांझी महागठबंधन खेमे में शामिल हो सकते हैं.
- मांझी को मुख्यमंत्री या विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए ऑफर किया जाए.
- जीतन राम मांझी के पुत्र संतोष सुमन को उपमुख्यमंत्री का पद दिया जाए.
- पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान को महत्वपूर्ण पद दिया जाए.
- मांझी के परिवार के किसी एक सदस्य को एमएलसी बनाया जाए.
- कोआर्डिनेशन कमेटी की मांग मान ली जाए.
- जीतन राम मांझी के पुत्र और समधन को मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण विभाग दिए जाए.
- आंध्र प्रदेश की तर्ज पर बिहार में भी 5 उपमुख्यमंत्री बनाया जा सकता है. क्योंकि हम और वीआईपी की महत्वाकांक्षा जो जगजाहिर है. कांग्रेस और वामदल पहले से ही महागठबंधन का अहम सहयोगी दल है.
आखिर मांझी चाहते क्या हैं?
राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार का कहना है कि जीतनराम मांझी राजनीति में कई बार 'गेम चेंजर' साबित हुए हैं. मांझी की भूमिका सरकार के गठन में अहम है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से जिस तरीके का माहौल है और बयानबाजी का दौर चल रहा है, वैसे मैं स्पष्ट तौर पर संकेत मिल रहे हैं कि मांझी एनडीए से निकलने का बहाना ढूंढ रहे हैं.