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बिहार में टूट रही है जाति की दीवार, विवाह प्रोत्साहन अनुदान योजना में बढ़ रही आवेदकों की संख्या

बिहार में विवाह प्रोत्साहन अनुदान योजना (Bihar Antarjatiya Vivah Protsahan Yojana) के तहत दिए जाने वाले अुनदान के कारण लोगों का अंतर्जातीय विवाह के प्रति रूझान बढ़ रहा है. समाज कल्याण विभाग के अनुसार साल दर साल दिए गए अुनदान का आंकड़ा बढ़ रहा है. जो इस बात का प्रमाण है कि राज्य में विवाह को लेकर जाति की दीवार टूट रही है.

विवाह प्रोत्साहन अनुदान योजना
विवाह प्रोत्साहन अनुदान योजना
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Published : Oct 15, 2022, 8:38 AM IST

पटना: बिहार में मोहब्बत करने वाले अपनी पसंद के आगे जाति की दीवार को तोड़ रहे हैं. ये हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि राज्य सरकार के समाज कल्याण विभाग (Social Welfare Department) की तरफ से जारी आंकड़े इस बात की तस्दीक कर रहे हैं. दरअसल बिहार सरकार द्वारा संचालित मुख्यमंत्री विवाह प्रोत्साहन अनुदान योजना में आवेदन करने वालों की संख्या बढ़ रही है. इस योजना के तहत अंतर्जातीय विवाह (Inter Caste Marriage Plan In Bihar) या दिव्यांग महिला पुरुष के साथ विवाह करने पर राज्य सरकार की तरफ से एक लाख रुपये अनुदान के रूप में दिए जाने का प्रावधान है. राज्य सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार सन 2021-22 मई जहां 339 लाभार्थियों को इस योजना के तहत अनुदान दिया गया है. वहीं 2022-23 में अब तक 246 लाभार्थियों के बीच अनुदान बांटा गया है.


ये भी पढ़ेंः दरभंगा: अंतरजातीय और दिव्यांगजन विवाह प्रोत्साहन योजना के तहत 16 जोड़ों को मिला प्रोत्साहन अनुदान

दिव्यांग जनों से भी विवाह करने पर मिलता है अनुदानः दरअसल मुख्यमंत्री विवाह प्रोत्साहन अनुदान योजना में दो योजनाएं सन्निहित है. जिसमें एक योजना निशक्तजन विवाह प्रोत्साहन योजना और दूसरा अंतर्जातीय विवाह योजना है. अंतर्जातीय विवाह या दिव्यांग महिला पुरुष के साथ विवाह करने पर जिसमें महिला एवं पुरुष की आयु 18 और 21 वर्ष से कम नहीं हो तो अंतर्जातीय विवाह के लिए महिला को एवं दिव्यांगजन से विवाह के लिए दिव्यांग जनों को अनुदान देय होता है. अगर ऐसे विवाह में पति पत्नी दोनों दिव्यांग हैं तो दोनों को अनुदान मिलेगा. इसी प्रकार दिव्यांगजन अगर अंतरजातीय विवाह करते हैं तो दिव्यांग विवाह के साथ-साथ अंतर्जातीय विवाह के लिए भी अनुदान भी मान्य होगा.

बड़ी संख्या में आए आवेदनः समाज कल्याण विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार दोनों ही योजनाओं को एक करके मुख्यमंत्री विवाह प्रोत्साहन अनुदान योजना बनाई गई है और इस योजना में अब तक बेहतर रुझान देखने को मिला है. विभाग द्वारा दिए गए आंकड़े के अनुसार इन दोनों ही योजनाओं में 2021-22 में 565 लाभार्थियों को एक लाख का अनुदान दिया गया है. 2021-22 में इसके लिए 7.27 करोड़ का बजट तय किया गया था. जिसमें से 5.62 करोड़ रुपये लाभार्थियों को दिए गए हैं. जबकि 2022-23 में अब तक 401 लाभार्थियों को अनुदान दिया गया है. 2022-23 में इस योजना के तहत आठ करोड़ रुपये का बजट का प्रावधान किया गया है, जिसमें से 4.1 करोड़ रुपये व्यय किए जा चुके हैं.

अंतरधार्मिक में नहीं मिलता अनुदानः विभाग द्वारा यह स्पष्ट किया गया कि यह अनुदान केवल अंतर्जातीय विवाह योजना में ही मिलता है, अंतर धार्मिक विवाह में यह नहीं मिलता है. इस अनुदान को प्राप्त करने के लिए विवाह के 2 साल के अंदर आवेदन करना होता है और इसे लड़का या लड़की अपने गृह जिले में आवेदन कर सकते हैं. फिलहाल यह प्रक्रिया अभी ऑफलाइन होती है. जिसके कारण इसे जिला सामाजिक कोषांग में फॉर्म के रूप में जमा किया जाता है. फॉर्म के साथ लड़का और लड़की को आवासीय, आयु, जाति प्रमाण पत्र के साथ ही शादी के निबंधन का सर्टिफिकेट भी जमा करना पड़ता है. सरकार द्वारा एक लाख रुपये की एफडी दी जाती है. जिसकी परिपक्वता अवधि तीन साल की होती है. तीन साल के बाद यह राशि संबंधित लड़का या लड़की को प्राप्त हो जाती है. अनुदान के लिए यह भी खास है कि लड़का या लड़की की पहली अंतर जातीय शादी होनी चाहिए.

सीएम नीतीश कर चुके हैं तारीफः इस योजना की तारीफ खुद सीएम नीतीश कुमार कर चुके हैं. इसी साल फरवरी माह में जमुई जिले में समाज सुधार अभियान के तहत आयोजित एक कार्यक्रम में सीएम ने अंतर्जातीय विवाह करने वाले दंपति की काफी तारीफ की. सीएम ने इस आयोजन में इस विवाहित जोड़े को एक लाख रुपये का चेक प्रदान भी किया था और यह भी कहा था कि आप लोग भी समाज के लोगों को अंतर्जातीय विवाह करने के लिए प्रेरित करें, ताकि समाज सुधार अभियान को अधिक बल मिल सके. इस योजना के बारे में बिहार के समाज कल्याण विभाग के मंत्री मदन सहनी ने कहा कि इस योजना को लाने का उद्देश्य ही जाति बंधन को तोड़ने का था, यह सफल हो रहा है, अच्छी बात है.

अब ऑनलाइन होने जा रही प्रक्रियाः अभी तक इस अनुदान के लिए ऑफलाइन मोड में आवेदन करना होता है आवेदन के बाद विभागीय स्तर पर दोनों ही आवेदकों का फिजिकल वेरिफिकेशन भी किया जाता है. विभाग के अधिकारी बताते हैं कि चूंकि यह प्रक्रिया अभी ऑफलाइन मोड में है. इसलिए इनके प्रोसेस करने में वक्त लगता है और लाभुकों की आवेदन पेंडिंग में भी रहते हैं. विभाग के अनुसार इस पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन किए जाने की तैयारी चल रही है और यह प्रोसेस में है. विभाग द्वारा यह भी जानकारी दी गई कि लाभुकों की संख्या पूरे बिहार से है. यानी कि राज्य के करीब करीब हर जिले में इस अनुदान के लिए लाभुकों ने अपना आवेदन दिया है.





पटना: बिहार में मोहब्बत करने वाले अपनी पसंद के आगे जाति की दीवार को तोड़ रहे हैं. ये हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि राज्य सरकार के समाज कल्याण विभाग (Social Welfare Department) की तरफ से जारी आंकड़े इस बात की तस्दीक कर रहे हैं. दरअसल बिहार सरकार द्वारा संचालित मुख्यमंत्री विवाह प्रोत्साहन अनुदान योजना में आवेदन करने वालों की संख्या बढ़ रही है. इस योजना के तहत अंतर्जातीय विवाह (Inter Caste Marriage Plan In Bihar) या दिव्यांग महिला पुरुष के साथ विवाह करने पर राज्य सरकार की तरफ से एक लाख रुपये अनुदान के रूप में दिए जाने का प्रावधान है. राज्य सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार सन 2021-22 मई जहां 339 लाभार्थियों को इस योजना के तहत अनुदान दिया गया है. वहीं 2022-23 में अब तक 246 लाभार्थियों के बीच अनुदान बांटा गया है.


ये भी पढ़ेंः दरभंगा: अंतरजातीय और दिव्यांगजन विवाह प्रोत्साहन योजना के तहत 16 जोड़ों को मिला प्रोत्साहन अनुदान

दिव्यांग जनों से भी विवाह करने पर मिलता है अनुदानः दरअसल मुख्यमंत्री विवाह प्रोत्साहन अनुदान योजना में दो योजनाएं सन्निहित है. जिसमें एक योजना निशक्तजन विवाह प्रोत्साहन योजना और दूसरा अंतर्जातीय विवाह योजना है. अंतर्जातीय विवाह या दिव्यांग महिला पुरुष के साथ विवाह करने पर जिसमें महिला एवं पुरुष की आयु 18 और 21 वर्ष से कम नहीं हो तो अंतर्जातीय विवाह के लिए महिला को एवं दिव्यांगजन से विवाह के लिए दिव्यांग जनों को अनुदान देय होता है. अगर ऐसे विवाह में पति पत्नी दोनों दिव्यांग हैं तो दोनों को अनुदान मिलेगा. इसी प्रकार दिव्यांगजन अगर अंतरजातीय विवाह करते हैं तो दिव्यांग विवाह के साथ-साथ अंतर्जातीय विवाह के लिए भी अनुदान भी मान्य होगा.

बड़ी संख्या में आए आवेदनः समाज कल्याण विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार दोनों ही योजनाओं को एक करके मुख्यमंत्री विवाह प्रोत्साहन अनुदान योजना बनाई गई है और इस योजना में अब तक बेहतर रुझान देखने को मिला है. विभाग द्वारा दिए गए आंकड़े के अनुसार इन दोनों ही योजनाओं में 2021-22 में 565 लाभार्थियों को एक लाख का अनुदान दिया गया है. 2021-22 में इसके लिए 7.27 करोड़ का बजट तय किया गया था. जिसमें से 5.62 करोड़ रुपये लाभार्थियों को दिए गए हैं. जबकि 2022-23 में अब तक 401 लाभार्थियों को अनुदान दिया गया है. 2022-23 में इस योजना के तहत आठ करोड़ रुपये का बजट का प्रावधान किया गया है, जिसमें से 4.1 करोड़ रुपये व्यय किए जा चुके हैं.

अंतरधार्मिक में नहीं मिलता अनुदानः विभाग द्वारा यह स्पष्ट किया गया कि यह अनुदान केवल अंतर्जातीय विवाह योजना में ही मिलता है, अंतर धार्मिक विवाह में यह नहीं मिलता है. इस अनुदान को प्राप्त करने के लिए विवाह के 2 साल के अंदर आवेदन करना होता है और इसे लड़का या लड़की अपने गृह जिले में आवेदन कर सकते हैं. फिलहाल यह प्रक्रिया अभी ऑफलाइन होती है. जिसके कारण इसे जिला सामाजिक कोषांग में फॉर्म के रूप में जमा किया जाता है. फॉर्म के साथ लड़का और लड़की को आवासीय, आयु, जाति प्रमाण पत्र के साथ ही शादी के निबंधन का सर्टिफिकेट भी जमा करना पड़ता है. सरकार द्वारा एक लाख रुपये की एफडी दी जाती है. जिसकी परिपक्वता अवधि तीन साल की होती है. तीन साल के बाद यह राशि संबंधित लड़का या लड़की को प्राप्त हो जाती है. अनुदान के लिए यह भी खास है कि लड़का या लड़की की पहली अंतर जातीय शादी होनी चाहिए.

सीएम नीतीश कर चुके हैं तारीफः इस योजना की तारीफ खुद सीएम नीतीश कुमार कर चुके हैं. इसी साल फरवरी माह में जमुई जिले में समाज सुधार अभियान के तहत आयोजित एक कार्यक्रम में सीएम ने अंतर्जातीय विवाह करने वाले दंपति की काफी तारीफ की. सीएम ने इस आयोजन में इस विवाहित जोड़े को एक लाख रुपये का चेक प्रदान भी किया था और यह भी कहा था कि आप लोग भी समाज के लोगों को अंतर्जातीय विवाह करने के लिए प्रेरित करें, ताकि समाज सुधार अभियान को अधिक बल मिल सके. इस योजना के बारे में बिहार के समाज कल्याण विभाग के मंत्री मदन सहनी ने कहा कि इस योजना को लाने का उद्देश्य ही जाति बंधन को तोड़ने का था, यह सफल हो रहा है, अच्छी बात है.

अब ऑनलाइन होने जा रही प्रक्रियाः अभी तक इस अनुदान के लिए ऑफलाइन मोड में आवेदन करना होता है आवेदन के बाद विभागीय स्तर पर दोनों ही आवेदकों का फिजिकल वेरिफिकेशन भी किया जाता है. विभाग के अधिकारी बताते हैं कि चूंकि यह प्रक्रिया अभी ऑफलाइन मोड में है. इसलिए इनके प्रोसेस करने में वक्त लगता है और लाभुकों की आवेदन पेंडिंग में भी रहते हैं. विभाग के अनुसार इस पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन किए जाने की तैयारी चल रही है और यह प्रोसेस में है. विभाग द्वारा यह भी जानकारी दी गई कि लाभुकों की संख्या पूरे बिहार से है. यानी कि राज्य के करीब करीब हर जिले में इस अनुदान के लिए लाभुकों ने अपना आवेदन दिया है.





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