पटना: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद लोहार जाति को अनुसूचित जाति का दर्जा समाप्त (Blacksmith is No More In ST Category) करने की अधिसूचना (Notification issued for Lohara Caste) बिहार सरकार के तरफ से जारी कर दी गई है. बिहार सरकार के तरफ से 2016 में अनुसूचित जाति का दर्जा लोहार जाति को दिया गया था और 5 सितंबर 2016 को अधिसूचना भी जारी की गई थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट का आदेश इस साल 21 फरवरी को उसे निरस्त करने का आया और उसके बाद बुधवार को सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से अनुसूचित जाति का दर्जा समाप्त करने की अधिसूचना भी जारी कर दी गई है.
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सुप्रीम कोर्ट से नीतीश सरकार को बड़ा झटका: दरअसल पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने इन लोगों का आरक्षण खत्म किया गया है. कोर्ट ने कहा है कि लोहार और लोहारा दो अलग जातियां हैं. लोहारा बिहार में नहीं है. बिहार में लोहार को अनुसूचित जाति के अंतर्गत नहीं रखने का फैसला सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस केएम जोसेफ और हृषिकेश राय की बेंच ने दिया और कहा कि पहले से ही लोहार जाति कभी भी अनुसूचित जनजाति की लिस्ट में नहीं रही, बल्कि वो राज्य की ओबीसी की सूची में है. सुप्रीम कोर्ट ने लोहार जाति को अनुसूचित जनजाति में लाने वाली नीतीश सरकार की 23 अगस्त 2016 की अधिसूचना को निरस्त कर दिया है और कहा है कि लोहार जाति पूर्व की तरह ही ओबीसी कैटेगरी में ही रहेगी.
'लोहार जाति एसटी नहीं मानी जाएगी': उच्चतम न्यायालय ने बिहार में लोहार जाति को ST यानि अनुसूचित जनजाति में लाने वाली बिहार सरकार की को निरस्त कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि जब लोहार जाति केंद्र सरकार की 1950 की अनुसूचित जनजाति की लिस्ट में ही नहीं है तो इसे बिहार सरकार अनुसूचित जनजाति घोषित नहीं कर सकती. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब लोहार जाति ओबीसी की कैटेगरी में ही रहेगी और इस जाति को अनुसूचित जनजाति का सर्टिफिकेट नहीं मिलेगा.
नीतीश सरकार ने किया था शामिल: आपको बता दें कि बिहार में महागठबंधन के साथ सरकार बनाने के एक साल के अंदर ही बिहार सरकार ने 8 अगस्त 2016 को ये आदेश जारी किया था कि लोहार जाति के लोगों को अनुसूचित जनजाति में गिना जाएगा और उन्हें इसका जाति प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा. इस दौरान राज्य सरकार ने अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल लोहरा जाति को ही लोहार जाति माना था.
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