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एक बार फिर अपने लव-कुश समीकरण को दुरुस्त करने में जुटा JDU, नीतीश ले रहे चौंकाने वाले फैसले

विधानसभा चुनाव में मात खाने के बाद जनता दल यूनाइटेड (जदयू) अपने पुराने ‘लव-कुश समीकरण ‘ को दुरुस्त करने में जुट गई है. कहा जा रहा है कि उपेन्द्र कुशवाहा जैसे बड़े नेता को पार्टी में शामिल कराने के बाद अब दूसरे बड़े कुशवाहा नेता के संपर्क में सीएम हैं. भगवान सिंह कुशवाहा को साथ लाने की कोशिश की जा रही है.

luv kush samikaran
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Published : Mar 30, 2021, 8:02 PM IST

Updated : Mar 31, 2021, 11:40 AM IST

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा. जनता दल यूनाइटेड(JANTA DAL UNITED) तीसरे नंबर की पार्टी बन गई. ऐसे में जेडीयू अपने कोर वोट बैंक लव-कुश समीकरण को मजबूत करने में जुट गई है.

देखें रिपोर्ट

यह भी पढ़ें- शिक्षक नियोजन: सरकार से टूट रहा भरोसा, बार-बार आश्वासन से ऊब चुके हैं अभ्यर्थी

जेडीयू का लव-कुश समीकरण
अपने पुराने लव-कुश समीकरण (Lav-Kush Equation)को दुरुस्त करने के लिए सबसे पहले नीतीश कुमार ने प्रदेश अध्‍यक्ष के पद पर उमेश कुशवाहा (Umesh Kushwaha) को बैठाया. फिर कुशवाहा समाज के बड़े नेता उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) को पार्टी में शामिल कराया और अब उनकी नजर एक और मजबूत कुशवाहा नेता भगवान सिंह कुशवाहा (Bhagwan Singh Kushwaha) पर है.

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भगवान सिंह कुशवाहा, पूर्व मंत्री, बिहार

कई कुशवाहा नेता खफा
जेडीयू मिशन कुशवाहा में जुटी हुई है लेकिन अब भी कई कुशवाहा नेता नीतीश से खफा हैं. ऐसे में कुशवाहा समाज को पूरी तरह जदयू से जोड़ना नीतीश कुमार के लिए आसान नहीं है.

नीतीश कुमार से कुशवाहा समाज आज भी नाराज है. और उपेंद्र कुशवाहा ने जिस प्रकार से धोखा देकर जदयू में शामिल होने का फैसला लिया उसकी वजह से कुशवाहा समाज उपेंद्र कुशवाहा से भी नाराज हो गया है. नीतीश कुमार के अलावा जदयू में किसी की कुछ भी नहीं चलती है.-नागमणि, पूर्व केंद्रीय मंत्री

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नागमणि, पूर्व केंद्रीय मंत्री

कुशवाहा समाज की नाराजगी का चुनाव पर पड़ा था असर
नीतीश कुमार की नजर कुशवाहा समाज से आने वाले बड़े नेताओं पर है. असल में विधानसभा चुनाव में जदयू को केवल 43 सीट मिली और नीतीश कुमार को लगता है कि इसका एक बड़ा कारण कुशवाहा समाज की नाराजगी है. कभी नीतीश कुमार के साथ लव-कुश वोट एकजुट था लेकिन एक एक कर कुशवाहा समाज के बड़े लीडर नीतीश कुमार का साथ छोड़ते गए और इसके कारण नीतीश कुमार को विधानसभा चुनाव में नुकसान उठाना पड़ा.

चुनाव में जेडीयू को हुआ था नुकसान
कभी नीतीश कुमार के साथ उपेंद्र कुशवाहा, नागमणि, भगवान सिंह कुशवाहा, रेणु कुशवाहा, शकुनी चौधरी जैसे नेता साथ थे. लेकिन सब एक-एक कर अलग हो गए. लेकिन अब एक बार फिर से विधानसभा चुनाव के बाद नीतीश सभी को एकजुट करने में लगे हैं. उपेंद्र कुशवाहा को शामिल भी करा लिया है और कई नेताओं पर नजर है.

'नीतीश कुमार को लगता है कि कुशवाहा समाज के पोटेंशियल वाले नेताओं को पार्टी में शामिल कराने से लाभ मिलेगा तो अच्छी बात है. इससे बीजेपी को भी लाभ मिलेगा.'- नवल किशोर यादव, बीजेपी एमएलसी

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नवल किशोर यादव, बीजेपी एमएलसी

भगवान सिंह कुशवाहा की होगी घर वापसी?
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले जदयू में आने वाले भगवान सिंह कुशवाहा टिकट नहीं मिलने से खफा हो गए और लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे. जदयू ने उन्हें निष्कासित कर दिया था. भगवान सिंह कुशवाहा जदयू के वरिष्ठ नेताओं के संपर्क में हैं और कह रहे हैं कि जदयू को हमने नहीं छोड़ा जदयू ने ही मुझे छोड़ दिया. भगवान सिंह कुशवाहा लगातार वशिष्ठ नारायण सिंह से मुलाकात कर रहे हैं.

राजनीतिक व्यक्ति जब किसी राजनीतिक व्यक्ति से मिलता है तो राजनीति की बात होती ही है. हमारी मुलाकात हुई है और हमसे मिलकर काम करने को कहा गया है. हमने कहा कि हमने कभी दल नहीं छोड़ा दल ने हमें छोड़ा था. लोजपा की टिकट पर चुनाव लड़ा और 48 हजार वोट आया और जदयू को गठबंधन में चुनाव लड़कर भी 25 हजार वोट आया.- भगवान सिंह कुशवाहा, पूर्व मंत्री, बिहार

नाराज कुशवाहा नेताओं के कारण नीतीश की बढ़ी चुनौती
नीतीश कुमार की नजर जरूर लव-कुश समीकरण के वोट बैंक को एकजुट करने की है. कभी उपेंद्र कुशवाहा नीतीश कुमार से खासे नाराज थे. विधानसभा चुनाव में भी नीतीश कुमार के खिलाफ प्रचार किया. इसके बावजूद नीतीश कुमार ने उपेंद्र कुशवाहा को जदयू में शामिल करा लिया है, और महत्वपूर्ण जिम्मेवारी भी दी है. उमेश कुशवाहा को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया है. और कुशवाहा समाज के कई नेताओं को लाने की कोशिश कर रहे हैं.

नीतीश ले रहे चौंकाने वाले फैसले
दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव 2020 परिणाम में एनडीए में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बड़े भाई से छोटे भाई में हो गए. जबकि बीजेपी बड़े भाई की भूमिका में उभरी. नीतीश कुमार की अगुवाई वाली जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) को महज 43 सीटें मिली जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 74 सीट लाने में कामयाब हुई. हालांकि, पूरे चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में महागठबंधन की अगुवाई करने वाले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) 75 सीटों के साथ उभरी. चुनाव में एनडीए को 125 सीटें और महागठबंन को 110 सीटें मिली. भाजपा ने नीतीश कुमार को वादें के मुताबिक कम सीटें आने के बावजूद राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में चुना है. लेकिन अब कई ऐसे घटनाक्रम बिहार की राजनीति को हवा दे रहे हैं जिससे स्पष्ट दिख रहा है कि अब भाजपा नीतीश कुमार पर हावी हो चली है और नीतीश पहले नंबर पर आने के लिए मंथन करने में जुट गए हैं.

यह भी पढ़ें- कुशवाहा समाज से जब तक नहीं बन जाता सीएम तब तक चैन से नहीं बैठेंगे: नागमणि

यह भी पढ़ें- सियासत का 'लव-कुश' कांड: CM नीतीश ने उपेंद्र कुशवाहा को बनाया संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा. जनता दल यूनाइटेड(JANTA DAL UNITED) तीसरे नंबर की पार्टी बन गई. ऐसे में जेडीयू अपने कोर वोट बैंक लव-कुश समीकरण को मजबूत करने में जुट गई है.

देखें रिपोर्ट

यह भी पढ़ें- शिक्षक नियोजन: सरकार से टूट रहा भरोसा, बार-बार आश्वासन से ऊब चुके हैं अभ्यर्थी

जेडीयू का लव-कुश समीकरण
अपने पुराने लव-कुश समीकरण (Lav-Kush Equation)को दुरुस्त करने के लिए सबसे पहले नीतीश कुमार ने प्रदेश अध्‍यक्ष के पद पर उमेश कुशवाहा (Umesh Kushwaha) को बैठाया. फिर कुशवाहा समाज के बड़े नेता उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) को पार्टी में शामिल कराया और अब उनकी नजर एक और मजबूत कुशवाहा नेता भगवान सिंह कुशवाहा (Bhagwan Singh Kushwaha) पर है.

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भगवान सिंह कुशवाहा, पूर्व मंत्री, बिहार

कई कुशवाहा नेता खफा
जेडीयू मिशन कुशवाहा में जुटी हुई है लेकिन अब भी कई कुशवाहा नेता नीतीश से खफा हैं. ऐसे में कुशवाहा समाज को पूरी तरह जदयू से जोड़ना नीतीश कुमार के लिए आसान नहीं है.

नीतीश कुमार से कुशवाहा समाज आज भी नाराज है. और उपेंद्र कुशवाहा ने जिस प्रकार से धोखा देकर जदयू में शामिल होने का फैसला लिया उसकी वजह से कुशवाहा समाज उपेंद्र कुशवाहा से भी नाराज हो गया है. नीतीश कुमार के अलावा जदयू में किसी की कुछ भी नहीं चलती है.-नागमणि, पूर्व केंद्रीय मंत्री

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नागमणि, पूर्व केंद्रीय मंत्री

कुशवाहा समाज की नाराजगी का चुनाव पर पड़ा था असर
नीतीश कुमार की नजर कुशवाहा समाज से आने वाले बड़े नेताओं पर है. असल में विधानसभा चुनाव में जदयू को केवल 43 सीट मिली और नीतीश कुमार को लगता है कि इसका एक बड़ा कारण कुशवाहा समाज की नाराजगी है. कभी नीतीश कुमार के साथ लव-कुश वोट एकजुट था लेकिन एक एक कर कुशवाहा समाज के बड़े लीडर नीतीश कुमार का साथ छोड़ते गए और इसके कारण नीतीश कुमार को विधानसभा चुनाव में नुकसान उठाना पड़ा.

चुनाव में जेडीयू को हुआ था नुकसान
कभी नीतीश कुमार के साथ उपेंद्र कुशवाहा, नागमणि, भगवान सिंह कुशवाहा, रेणु कुशवाहा, शकुनी चौधरी जैसे नेता साथ थे. लेकिन सब एक-एक कर अलग हो गए. लेकिन अब एक बार फिर से विधानसभा चुनाव के बाद नीतीश सभी को एकजुट करने में लगे हैं. उपेंद्र कुशवाहा को शामिल भी करा लिया है और कई नेताओं पर नजर है.

'नीतीश कुमार को लगता है कि कुशवाहा समाज के पोटेंशियल वाले नेताओं को पार्टी में शामिल कराने से लाभ मिलेगा तो अच्छी बात है. इससे बीजेपी को भी लाभ मिलेगा.'- नवल किशोर यादव, बीजेपी एमएलसी

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भगवान सिंह कुशवाहा की होगी घर वापसी?
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले जदयू में आने वाले भगवान सिंह कुशवाहा टिकट नहीं मिलने से खफा हो गए और लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे. जदयू ने उन्हें निष्कासित कर दिया था. भगवान सिंह कुशवाहा जदयू के वरिष्ठ नेताओं के संपर्क में हैं और कह रहे हैं कि जदयू को हमने नहीं छोड़ा जदयू ने ही मुझे छोड़ दिया. भगवान सिंह कुशवाहा लगातार वशिष्ठ नारायण सिंह से मुलाकात कर रहे हैं.

राजनीतिक व्यक्ति जब किसी राजनीतिक व्यक्ति से मिलता है तो राजनीति की बात होती ही है. हमारी मुलाकात हुई है और हमसे मिलकर काम करने को कहा गया है. हमने कहा कि हमने कभी दल नहीं छोड़ा दल ने हमें छोड़ा था. लोजपा की टिकट पर चुनाव लड़ा और 48 हजार वोट आया और जदयू को गठबंधन में चुनाव लड़कर भी 25 हजार वोट आया.- भगवान सिंह कुशवाहा, पूर्व मंत्री, बिहार

नाराज कुशवाहा नेताओं के कारण नीतीश की बढ़ी चुनौती
नीतीश कुमार की नजर जरूर लव-कुश समीकरण के वोट बैंक को एकजुट करने की है. कभी उपेंद्र कुशवाहा नीतीश कुमार से खासे नाराज थे. विधानसभा चुनाव में भी नीतीश कुमार के खिलाफ प्रचार किया. इसके बावजूद नीतीश कुमार ने उपेंद्र कुशवाहा को जदयू में शामिल करा लिया है, और महत्वपूर्ण जिम्मेवारी भी दी है. उमेश कुशवाहा को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया है. और कुशवाहा समाज के कई नेताओं को लाने की कोशिश कर रहे हैं.

नीतीश ले रहे चौंकाने वाले फैसले
दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव 2020 परिणाम में एनडीए में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बड़े भाई से छोटे भाई में हो गए. जबकि बीजेपी बड़े भाई की भूमिका में उभरी. नीतीश कुमार की अगुवाई वाली जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) को महज 43 सीटें मिली जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 74 सीट लाने में कामयाब हुई. हालांकि, पूरे चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में महागठबंधन की अगुवाई करने वाले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) 75 सीटों के साथ उभरी. चुनाव में एनडीए को 125 सीटें और महागठबंन को 110 सीटें मिली. भाजपा ने नीतीश कुमार को वादें के मुताबिक कम सीटें आने के बावजूद राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में चुना है. लेकिन अब कई ऐसे घटनाक्रम बिहार की राजनीति को हवा दे रहे हैं जिससे स्पष्ट दिख रहा है कि अब भाजपा नीतीश कुमार पर हावी हो चली है और नीतीश पहले नंबर पर आने के लिए मंथन करने में जुट गए हैं.

यह भी पढ़ें- कुशवाहा समाज से जब तक नहीं बन जाता सीएम तब तक चैन से नहीं बैठेंगे: नागमणि

यह भी पढ़ें- सियासत का 'लव-कुश' कांड: CM नीतीश ने उपेंद्र कुशवाहा को बनाया संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष

Last Updated : Mar 31, 2021, 11:40 AM IST
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