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नीतीश कुमार का 'लव-कुश' समीकरण अब JDU की कराएगा नैया पार - JDU spokesperson Rajiv Ranjan

बिहार में प्रमुख सत्ताधारी दल जदयू अब लव-कुश समीकरण के सहारे अपनी नैया पार करेगा. विधानसभा चुनाव में जदयू का प्रदर्शन अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन रहा है. पार्टी तीसरे नंबर पर पहुंच गई है और पार्टी नेताओं को लगता है कि कुशवाहा वोट के छिटकने के कारण पार्टी की ये स्थिति हुई है.

पटना
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Published : Jan 11, 2021, 7:27 PM IST

Updated : Jan 11, 2021, 9:09 PM IST

पटना: बिहार में नीतीश कुमार कुर्मी समाज से आते हैं, जिसका वोट प्रतिशत तीन से चार प्रतिशत है. जबकि नीतीश कुमार के साथ शुरू से कुर्मी के साथ कोइरी वोट बैंक भी जुड़ा रहा है. कुशवाहा का वोट प्रतिशत 5 प्रतिशत के आसपास है. कुर्मी और कुशवाहा को मिला दें तो यह 8 प्रतिशत के आसपास हो जाता है और इसलिए नीतीश कुमार ने लव-कुश से ही राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष को कमान सौंपी है.

नीतीश से छूटा कोइरी वोट बैंक
नीतीश कुमार सत्ता संभालने के बाद कोइरी और कुर्मी यानी लव-कुश वोट पर लंबे समय तक पकड़ बनाए रहे हैं. लव-कुश समीकरण नीतीश कुमार के साथ रहा. लेकिन पिछले कुछ सालों में कोइरी यानी कुशवाहा वोट बैंक नीतीश कुमार से छूटता गया. इसका बड़ा कारण कुशवाहा समाज के बड़े लीडर एक-एक कर नीतीश कुमार से अलग होते गए.

नीतीश से अलग हुए कई बड़े नेता
नीतीश से अलग हुए कई बड़े नेता

जब नीतीश से अलग हुए बड़े नेता
उपेंद्र कुशवाहा, नागमणि, शकुनी चौधरी, रेणु कुशवाहा, भगवान सिंह कुशवाहा जैसे कुछ बड़े नाम हैं जो पहले नीतीश कुमार के साथ खड़े थे. लेकिन सबकी महत्वाकांक्षा ने उन्हें नीतीश कुमार से अलग कर दिया. लेकिन अब विधानसभा चुनाव में जदयू के केवल 43 सीट जीतने के बाद नीतीश कुमार को लगता है कि एक बार फिर से अपने काडर वोट बैंक को एकजुट करने में लगा है.

काडर वोट बैंक को साधने की कवायद
काडर वोट बैंक को एकजुट करने को लेकर पार्टी ने एक बड़ा फैसला लिया है. प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी कुशवाहा समाज से आने वाले उमेश कुशवाहा को सौंप दी है, क्योंकि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह और खुद मुख्यमंत्री भी कुर्मी समाज से आते हैं. जदयू में अधिकांश पद कुर्मी समाज से आने वाले लोगों के पास ही है. बिहार में लव-कुश के सहारे नीतीश लालू के यादव वोट बैंक को टक्कर देते रहे हैं.

राजनीतिक विशेषज्ञ डीएम दिवाकर
राजनीतिक विशेषज्ञ डीएम दिवाकर

'लंबी लड़ाई के लिए यह फैसला सही नहीं है. इसलिए नीतीश कुमार की बारगेनिंग कैपेसिटी बिहार में जरूर बढ़ जाएगी क्योंकि काडर वोट बैंक मजबूत होगा तो उसका लाभ मिलेगा. लेकिन केवल लव कुश वोट बैंक के सहारे बड़े लीडर नहीं बन सकते हैं. यदि कर्पूरी ठाकुर ऐसा सोचते तो कभी इतने बड़े लीडर नहीं होते'- डीएम दिवाकर, राजनीतिक विशेषज्ञ

जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन
जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन

'नए प्रदेश अध्यक्ष कुशवाहा समाज से हैं तो इसे लव कुश समीकरण के नजर से नहीं देखा जाना चाहिए. जदयू का पहले से समरसता समाज पर जोर रहा है'- राजीव रंजन, जदयू प्रवक्ता

नीतीश कुमार की लव कुश समीकरण पर नजर

जेडीयू को लव-कुश का सहारा
नीतीश कुमार के इस फैसले से पार्टी को कितना लाभ मिलेगा यह तो आने वाला समय बताएगा, क्योंकि अभी विधानसभा और लोकसभा के चुनाव में लंबा समय है. लेकिन नीतीश एक बार फिर से अपने काडर वोट बैंक के सहारे बिहार में पार्टी को मजबूत करने की कोशिश जरूर कर रहे हैं.

पटना: बिहार में नीतीश कुमार कुर्मी समाज से आते हैं, जिसका वोट प्रतिशत तीन से चार प्रतिशत है. जबकि नीतीश कुमार के साथ शुरू से कुर्मी के साथ कोइरी वोट बैंक भी जुड़ा रहा है. कुशवाहा का वोट प्रतिशत 5 प्रतिशत के आसपास है. कुर्मी और कुशवाहा को मिला दें तो यह 8 प्रतिशत के आसपास हो जाता है और इसलिए नीतीश कुमार ने लव-कुश से ही राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष को कमान सौंपी है.

नीतीश से छूटा कोइरी वोट बैंक
नीतीश कुमार सत्ता संभालने के बाद कोइरी और कुर्मी यानी लव-कुश वोट पर लंबे समय तक पकड़ बनाए रहे हैं. लव-कुश समीकरण नीतीश कुमार के साथ रहा. लेकिन पिछले कुछ सालों में कोइरी यानी कुशवाहा वोट बैंक नीतीश कुमार से छूटता गया. इसका बड़ा कारण कुशवाहा समाज के बड़े लीडर एक-एक कर नीतीश कुमार से अलग होते गए.

नीतीश से अलग हुए कई बड़े नेता
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जब नीतीश से अलग हुए बड़े नेता
उपेंद्र कुशवाहा, नागमणि, शकुनी चौधरी, रेणु कुशवाहा, भगवान सिंह कुशवाहा जैसे कुछ बड़े नाम हैं जो पहले नीतीश कुमार के साथ खड़े थे. लेकिन सबकी महत्वाकांक्षा ने उन्हें नीतीश कुमार से अलग कर दिया. लेकिन अब विधानसभा चुनाव में जदयू के केवल 43 सीट जीतने के बाद नीतीश कुमार को लगता है कि एक बार फिर से अपने काडर वोट बैंक को एकजुट करने में लगा है.

काडर वोट बैंक को साधने की कवायद
काडर वोट बैंक को एकजुट करने को लेकर पार्टी ने एक बड़ा फैसला लिया है. प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी कुशवाहा समाज से आने वाले उमेश कुशवाहा को सौंप दी है, क्योंकि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह और खुद मुख्यमंत्री भी कुर्मी समाज से आते हैं. जदयू में अधिकांश पद कुर्मी समाज से आने वाले लोगों के पास ही है. बिहार में लव-कुश के सहारे नीतीश लालू के यादव वोट बैंक को टक्कर देते रहे हैं.

राजनीतिक विशेषज्ञ डीएम दिवाकर
राजनीतिक विशेषज्ञ डीएम दिवाकर

'लंबी लड़ाई के लिए यह फैसला सही नहीं है. इसलिए नीतीश कुमार की बारगेनिंग कैपेसिटी बिहार में जरूर बढ़ जाएगी क्योंकि काडर वोट बैंक मजबूत होगा तो उसका लाभ मिलेगा. लेकिन केवल लव कुश वोट बैंक के सहारे बड़े लीडर नहीं बन सकते हैं. यदि कर्पूरी ठाकुर ऐसा सोचते तो कभी इतने बड़े लीडर नहीं होते'- डीएम दिवाकर, राजनीतिक विशेषज्ञ

जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन
जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन

'नए प्रदेश अध्यक्ष कुशवाहा समाज से हैं तो इसे लव कुश समीकरण के नजर से नहीं देखा जाना चाहिए. जदयू का पहले से समरसता समाज पर जोर रहा है'- राजीव रंजन, जदयू प्रवक्ता

नीतीश कुमार की लव कुश समीकरण पर नजर

जेडीयू को लव-कुश का सहारा
नीतीश कुमार के इस फैसले से पार्टी को कितना लाभ मिलेगा यह तो आने वाला समय बताएगा, क्योंकि अभी विधानसभा और लोकसभा के चुनाव में लंबा समय है. लेकिन नीतीश एक बार फिर से अपने काडर वोट बैंक के सहारे बिहार में पार्टी को मजबूत करने की कोशिश जरूर कर रहे हैं.

Last Updated : Jan 11, 2021, 9:09 PM IST
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