पटना: चुनावी रणनीतिकार से राजनेता बन रहे प्रशांत किशोर (पीके) (Election Strategist Prashant Kishor) को लेकर सीएम नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने चुप्पी साध रखी है. इन दोनों की कोशिश ये दिखाने की है कि प्रशांत किशोर को ये तवज्जो नहीं दे रहे हैं. प्रशांत किशोर 2015 में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव दोनों के लिए काम कर चुके हैं. ऐसे तो नीतीश कुमार के लिए ही उन्होंने काम करने की जिम्मेदारी ली थी लेकिन महागठबंधन बनने के बाद तेजस्वी और लालू प्रसाद यादव के लिए भी प्रशांत किशोर ने काम किया था. अब जिस प्रकार से प्रशांत किशोर ने मजबूती से राजनीति में कदम रखना शुरू किया है, नीतीश और तेजस्वी के साथ बीजेपी को कहीं ना कहीं डर भी सताने लगा है. जदयू (JDU On Prashant Kishor ) और राजद (RJD On Prashant Kishor ) अपने बयानों से प्रशांत किशोर को चर्चा में आने का मौका नहीं देना चाहते हैं.
प्रशांत किशोर ने तैयार की रणनीति: प्रशांत किशोर ने अपने चुनावी रणनीति की घोषणा कर दी है. 7000 लोगों से दो-तीन महीनों में मुलाकात करेंगे और फिर 2 अक्टूबर से 3000 किलोमीटर से अधिक पूरे बिहार में पदयात्रा करेंगे. हालांकि उससे पहले इसकी पूरी संभावना है कि प्रशांत किशोर अपनी पार्टी की घोषणा कर दें. कयास लगाए जा रहे हैं कि जन सुराज के नाम की पार्टी हो सकती है.
PK को नीतीश-तेजस्वी कर रहे इग्नोर: प्रशांत किशोर जिस प्रकार से बिहार की राजनीति में कदम रख रहे हैं, उससे तमाम राजनीतिक दलों की परेशानी आने वाले समय में बढ़ सकती है. लेकिन बिहार के प्रमुख दलों के दिग्गज नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव कुल बने हुए हैं और यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि प्रशांत किशोर को वह तवज्जो नहीं दे रहे हैं. इस पर प्रशांत किशोर ने भी कहा था कि भला वह क्यों तवज्जो देंगे, नीतीश कुमार और लालू यादव दोनों बिहारी ही नहीं देश के दिग्गज नेता हैं.
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दोनों नेता नहीं दिखा रहे दिलचस्पी: असल में नीतीश कुमार ने मीडिया से बातचीत करते हुए पहले तो प्रशांत किशोर के सवाल पर फालतू कह दिया था और निकल गए थे. लेकिन जब प्रशांत किशोर ने उनके 15 साल के शासनकाल में बिहार के सबसे पिछड़े होने की बात कही तो नीतीश ने सिर्फ सफाई दी. वहीं तेजस्वी यादव ने तो यहां तक कह दिया कि हमें उनके बारे में किसी तरह की दिलचस्पी ही नहीं है. दोनों नेताओं की ओर से पार्टियों को भी पीके को लेकर बयानबाजी करने से बचने की नसीहत दी गई है.
क्या कहना है वरिष्ठ पत्रकार का: नीतीश कुमार और तेजस्वी के रवैये पर वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का कहना है कि प्रशांत किशोर चुनावी रणनीतिकार हैं, इससे तो कोई इनकार नहीं कर सकता है. नीतीश कुमार का प्रशांत किशोर के प्रति सॉफ्ट कॉर्नर भी रहा है. जदयू में उन्हें दो नंबर की कुर्सी नीतीश कुमार ने दिया था. विवाद हुआ इसी कारण अलग हो रहे हैं. वह अलग मामला है.
"नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव दूर की राजनीति करने की कोशिश में लगे हैं. जानते हैं कि प्रशांत किशोर का कांग्रेस के साथ भी संबंध रहा है और आरजेडी के साथ भी. तेजस्वी यादव प्रशांत किशोर से इसलिए बच रहे हैं क्योंकि राजनीति में किसी से भी सीधी लड़ाई करने से लोग बचते हैं. प्रशांत किशोर रणनीतिकार हैं और भविष्य में यदि कभी रणनीतिकार के रूप में उनसे मदद लेने की जरूरत पड़ी तो ले सकें. प्रशांत किशोर इस बार अपनी पार्टी बनाकर चुनाव में बैटिंग बॉलिंग करेंगे. बिहार के राजनीतिक दल इसलिए परहेज कर रहे हैं कि यदि 2024 और 2025 में उनसे गठबंधन करने की नौबत आए तो उसमें कोई परेशानी ना हो."- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार
जदयू ने कही ये बात: वहीं जदयू मंत्री संजय झा का कहना है कि बिहार में बहार है, नीतीश कुमार है. जब जनता ने वोट दिया तभी तो बहार आया. बता दें कि यह नारा प्रशांत किशोर का ही है और एक तरह से इस नारे के माध्यम से पीके को याद दिलाने की कोशिश जदयू नेता की तरफ से हो रही है. इसके साथ संजय झा ने कहा कि प्रशांत किशोर ने एक बार इंटरव्यू में कहा भी था यदि किसी राजनेता के साथ काम करने की बात होगी तो नीतीश कुमार के साथ हम काम करना चाहेंगे. इस तरह जदयू के लोग प्रशांत किशोर के खिलाफ खुलकर हमला करने से बच रहे हैं.
"मैं तो पीके का बयान कभी कभी देखता हूं. वो तो बोल रहे हैं कि अगर देश की राजनीति में किसी के साथ काम करने का मौका मिलेगा तो मैं नीतीश जी के साथ काम करूंगा. अब उनके मन में कुछ और बात है कुछ और करना चाहते हैं. जनता मालिक है. राजनीति में आए हैं तो उनका स्वागत है." - संजय झा, जल संसाधन मंत्री, बिहार
"प्रशांत किशोर विशुद्ध रूप से व्यवसायिक आदमी हैं और राजनीति को व्यवसायीकरण करना चाहते हैं. जनता इसे स्वीकार करने वाली नहीं है. प्रशांत किशोर नेताओं से संबंध बनाकर रखे हुए हैं. ताकि भविष्य में उनके माध्यम से अपनी राजनीति कर सकें."- एजाज अहमद, आरजेडी प्रवक्ता
"मेवा खाने के लिए राजनीति में आ रहे हैं. अभी तक इवेंट मैनेजमेंट करते रहे हैं. चुनाव मैनेजमेंट करते रहे हैं. जब तक अपने शातिराना चाल को छोड़कर जनता के बीच सीधे सेवा भाव से नहीं जाएंगे तब तक कुछ होने वाला नहीं है. एक दल बना ले या सौ दल जनता सब जानती है. सबको पता है कि दलदल में ढकेलेंगे और अपने एक नंबर दो नंबर में बने रहेंगे."- अरविंद सिंह, प्रवक्ता बीजेपी
पीके से इस बात का है डर: बिहार के चुनावी राजनीति में पुष्पम प्रिया ने भी कुछ समय के लिए सनसनी मचाया था तो वहीं कन्हैया कुमार ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश की थी. दोनों को लेकर भी बिहार के दिग्गज नेताओं ने कुछ ऐसा ही व्यवहार किया था. लेकिन प्रशांत किशोर बड़े चुनावी रणनीतिकार हैं. बिहार में भी उन्होंने काम किया है और देश के कई बड़े राज्यों में भी.ऐसे में नीतीश कुमार और लालू -तेजस्वी प्रशांत किशोर को चाहकर भी नजरअंदाज बहुत दिनों तक कर पाएंगे इसकी संभावना कम है. क्योंकि बिहार के प्रमुख दलों को पता है प्रशांत किशोर किस तरह के रणनीतिकार हैं और कहीं ना कहीं इसका उन्हें डर भी है कि कहीं अरविंद केजरीवाल की तरह बिहार में उनके लिए बड़ी समस्या ना पैदा कर दें.
प्रशांत किशोर का ऐलान : इससे पहले, चुनावी रणनीतिकार के रूप में चर्चित प्रशांत किशोर (prashant kishor jan suraj plan) ने अपने भविष्य की योजना का खुलासा करते हुए गुरुवार को कहा कि वे बिहार में पदयात्रा करेंगे और करीब 17 से 20 हजार लोगों से मिलकर उनका सुझाव लेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि बिहार को अगर अग्रणी राज्यों की सूची में लाना है तो नई सोच और नए प्रयास की जरूरत है. पटना में एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने जन सुराज की चर्चा करते हुए कहा कि दो अक्टूबर से वे पश्चिम चंपारण से पदयात्रा की शुरूआत करेंगे. इस दौरान जिन लोगों से मिलने की आवश्यकता होगी उनसे मुलााकत करूंगा और उन्हें जनसुराज की परिकल्पना से जोड़ने का प्रयास करूंगा.
'अभी नहीं बना रहा कोई राजनीतिक दल' : प्रशांत किशोर ने फिलहाल राजनीतिक पार्टी बनाने से इंकार किया. हालांकि उन्होंने कहा कि अभी तक 17 से 18 हजार लोगों को चिह्नित किया गया है, एक महीने में इनकी संख्या 20 हजार भी हो सकती है. इन लोगों से मिलकर, बैठक कर आगे की योजना तय की जाएगी कि राजनीतिक पार्टी बनानी है कि मंच बनाना है या ऐसे ही रहना है. उन्होंने इतना जरूर कहा कि जो भी होगा उसमें मैं एक सदस्य रहूंगा. वह पार्टी प्रशांत किशोर की नहीं होगी.
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