पटना: बिहार में नीतीश सरकार पिछले एक दशक से भी अधिक समय से लगातार डबल डिजिट में ग्रोथ होने का दावा करती रही है. यहां तक कि दूसरे राज्यों से अधिक विकास दर होने की बात सरकार की ओर से की जाती रही है. नीति आयोग लगातार बिहार को निचले पायदान पर विकास के मामले में रख रहा है. ऐसे में सरकार के विकास के दावे की एक तरफ से नीति आयोग पिछले 2 साल से पोल खोल रहा है. ऐसा विशेषज्ञ कह रहे हैं.
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2005 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शासन संभालने के बाद बिहार का विकास दर लगातार डबल डिजिट में रहा है. अब नीति आयोग की रिपोर्ट (sdg india index 2020-21) में बिहार को सबसे निचले पायदान पर रखने पर अर्थशास्त्री प्रोफेसर नवल चौधरी का कहना है कि बिहार सरकार के दावे की पोल खुल गई है.
मैनिपुलेटेड था विकास का दावा
"बिहार सरकार विकास का जो दावा कर रही थी कहीं ना कहीं मैनिपुलेटेड था. कृषि और मानव सूचकांक में बिहार की स्थिति काफी खराब है. बिहार में शिक्षकों की कमी है. स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में डॉक्टर से लेकर स्वास्थ्य कर्मियों की काफी कमी है. उसका असर रिपोर्ट पर पड़ा है."- नवल किशोर चौधरी, अर्थशास्त्री
"अपनी अक्षमता को केंद्र पर डालना सही नहीं होगा. सरकार को उन क्षेत्रों पर ज्यादा काम करने की जरूरत है जिसमें बिहार पिछड़ रहा है. इसमें जिला प्रशासन की भूमिका अहम है."- प्रोफेसर अजय झा, विशेषज्ञ
एनडीए सरकार को जनता से मतलब नहीं
नीति आयोग की रिपोर्ट जारी होने के बाद से ही विपक्षी दलों ने सरकार पर हमला बोलना शुरू कर दिया है. भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल ने कहा, "नीति आयोग की रिपोर्ट ने बिहार में भाजपा जदयू के विकास के दावे की पोल खोल दी है. पिछले 7 साल से केंद्र में भाजपा की सरकार है. बिहार में डबल इंजन की सरकार है, लेकिन फिर भी बिहार आगे नहीं बढ़ रहा. ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि एनडीए सरकार को जनता से कोई मतलब नहीं. वे अपनी राजनीतिक रोटी सेक रहे हैं. हर मामले में बिहार पिछड़ता जा रहा है.
"स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरीके से बदहाल हो चुकी है. शिक्षा का स्तर कभी हाल वही है. उद्योग धंधे लंबे समय से बुरी हालत में हैं. सरकार के पास अपने संसाधनों से विकास करने की ना दृष्टि है और ना ही राजनीतिक इच्छाशक्ति. किसानों का भी दिन-प्रतिदिन हाल बेहाल हो रहा है. जल विशेषज्ञों की राय है कि यदि जल संसाधन का ठीक से उपयोग हो तो कृषि क्षेत्र में विकास किया जा सकता है. सरकार इसके लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रही."- कुणाल, राज्य सचिव, भाकपा माले
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