पटनाः एनआईटी ने सरकार को ग्रामीण सड़क बनाने के लिए एक नया फार्मूला दिया है. इस फार्मूले से ग्रामीण सड़कें इको फ्रेंडली बनेंगी. इस फार्मूले में 3 साल में बिहार के सभी 38 जिलों के सर्वे का कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.
एनआईटी के प्रस्ताव को मिली हरी झंडी
एनआईटी के फार्मूले से सभी ग्रामीण सड़कें इकों फ्रेंडली बनेगी. राज्य में ग्रामीण सड़कों की लागत लगभग आधी खर्च पर ही हो जाएगी. इस माह से सर्वे का कार्य प्रारंभ होने जा रहा है. स्थानीय संसाधनों से पक्की सड़क बनाने के लिए एनआईटी के प्रस्ताव को ग्रामीण कार्य विभाग ने हरी झंडी दे दी है. इसके लिए तीन चरणों में सर्वे का कार्य पूरा किया जाएगा. पहले चरण में 10 जिलों का चयन किया जाएगा. राज्य के सभी 38 जिलों का कार्य 3 साल में पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है. वर्तमान में 1 किलोमीटर सड़क निर्माण में 60 लाख खर्च आता है. जिसे आधा करने का लक्ष्य रखा गया है.
ग्रामीण सड़कों का होगा निर्माण
एनआईटी सिविल डिपार्टमेंट के एचओडी संजीव कुमार सिन्हा ने बताया कि ग्रामीण सड़कों को बनाने में लगभग आधी राशि महज सामाग्री ढुलाई में खर्च हो जाती है. अब संशोधित जिले में मिट्टी, बालू, ईंट और पत्थर जुटाने की उपलब्धता और मात्रा का डाटा तैयार होगा. जिसमें उपलब्ध संसाधनों का उपयोग कर ग्रामीण सड़कों को बनाया जाएगा. सभी जिलों में कितनी मात्रा में कौन सी सामग्री उपलब्ध है. इससे कितनी किलोमीटर सड़कें बनाई जाएगी, इसका सारा डाटा तैयार किया जाएगा.
3 साल में 38 जिलों का कार्य होगा पूरा
संबंधित जिलों में उपलब्ध सामग्री से सड़क बनाने के पहले उसकी गुणवत्ता की जांच एनआईटी की प्रयोगशाला में होगी. प्रथम चरण में नालंदा, पटना, भोजपुर, बक्सर, भभुआ, रोहतास, भागलपुर, बांका, पूर्णिया, कटिहार, पश्चिम और पूर्वी चंपारण और सारण जिला शामिल है. विशेषज्ञों का कहना है कि पूरा प्रोजेक्ट इको फ्रेंडली के निर्माण में उपयोग होने वाले संसाधन, सामाग्री, पर्यावरण के अनुकूल है, जो काफी अच्छा होगा.