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हरनाटांड ST बालिका स्कूल की दयनीय दशा के मामले में होगी अगले हफ्ते सुनवाई - Scheduled Tribe Girls School Harnatand

पश्चिम चम्पारण जिले के अनुसूचित जनजाति बालिका विद्यालय हरनाटांड (Scheduled Tribe Girls School Harnatand) मामले पर सुनवाई अगले सप्ताह होगी. हाईकोर्ट ने स्कूल के दयनीय अवस्था पर पहले ही नाराजगी जाहिर कर चुकी है. पढ़ें पूरी खबर...

Patna High Court
पटना हाईकोर्ट
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Published : Jan 3, 2023, 11:05 PM IST

पटना: हाईकोर्ट (Patna High Court) में राज्य के पश्चिम चम्पारण ज़िले के हारनाटांड स्थित अनुसूचित जनजाति के बालिकाओं के लिए एकमात्र स्कूल की दयनीय अवस्था पर सुनवाई एक सप्ताह बाद होगी. चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ (Bench of Chief Justice Sanjay Karol) ने इस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है


ये भी पढ़ें- OBC-EBC आयोग बनाएगी नीतीश सरकार, हाईकोर्ट से पुनर्विचार याचिका वापस लिया

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार के शिक्षा विभाग के निदेशक और समाज कल्याण विभाग के निदेशक को स्थिति स्पष्ट करने के लिए तलब किया था. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विकास पंकज ने कोर्ट को बताया कि बिहार में अनुसूचित जनजाति की बालिकाओं के लिए पश्चिम चम्पारण के हारनाटांड ही एकमात्र स्कूल है.

उन्होंने कोर्ट को बताया कि पहले यहां पर कक्षा एक से ले कर कक्षा दस तक की पढ़ाई होती थी. लेकिन जबसे इस स्कूल का प्रबंधन सरकार के हाथों में गया, इस स्कूल की स्थिति बदतर होती गई. उन्होंने कोर्ट को जानकारी दी कि कक्षा सात और आठ में छात्राओं का एडमिशन बन्द कर दिया गया. साथ ही कक्षा नौ और दस में छात्राओं का एडमिशन पचास फीसदी ही रह गया. यहां पर सौ बिस्तर वाला हॉस्टल छात्राओं के लिए था, जिसे बंद कर दिया गया.

इस स्कूल में पर्याप्त संख्या में शिक्षक भी नहीं है. इस कारण छात्राओं की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हुई है. कोर्ट ने जानना चाहा कि इतनी बड़ी तादाद में छात्राएं स्कूल जाना क्यों बंक कर दे रहीं हैं. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि जब इस स्कूल के लिए केंद्र सरकार पूरा फंड देती है, तो सारा पैसा स्कूल को क्यों नहीं दिया जाता है. इस मामले पर अगले सप्ताह सुनवाई की जाएगी.

पटना: हाईकोर्ट (Patna High Court) में राज्य के पश्चिम चम्पारण ज़िले के हारनाटांड स्थित अनुसूचित जनजाति के बालिकाओं के लिए एकमात्र स्कूल की दयनीय अवस्था पर सुनवाई एक सप्ताह बाद होगी. चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ (Bench of Chief Justice Sanjay Karol) ने इस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है


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पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार के शिक्षा विभाग के निदेशक और समाज कल्याण विभाग के निदेशक को स्थिति स्पष्ट करने के लिए तलब किया था. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विकास पंकज ने कोर्ट को बताया कि बिहार में अनुसूचित जनजाति की बालिकाओं के लिए पश्चिम चम्पारण के हारनाटांड ही एकमात्र स्कूल है.

उन्होंने कोर्ट को बताया कि पहले यहां पर कक्षा एक से ले कर कक्षा दस तक की पढ़ाई होती थी. लेकिन जबसे इस स्कूल का प्रबंधन सरकार के हाथों में गया, इस स्कूल की स्थिति बदतर होती गई. उन्होंने कोर्ट को जानकारी दी कि कक्षा सात और आठ में छात्राओं का एडमिशन बन्द कर दिया गया. साथ ही कक्षा नौ और दस में छात्राओं का एडमिशन पचास फीसदी ही रह गया. यहां पर सौ बिस्तर वाला हॉस्टल छात्राओं के लिए था, जिसे बंद कर दिया गया.

इस स्कूल में पर्याप्त संख्या में शिक्षक भी नहीं है. इस कारण छात्राओं की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हुई है. कोर्ट ने जानना चाहा कि इतनी बड़ी तादाद में छात्राएं स्कूल जाना क्यों बंक कर दे रहीं हैं. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि जब इस स्कूल के लिए केंद्र सरकार पूरा फंड देती है, तो सारा पैसा स्कूल को क्यों नहीं दिया जाता है. इस मामले पर अगले सप्ताह सुनवाई की जाएगी.

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