मुजफ्फरपुर : बिहार के मुजफ्फरपुर में एक शख्स ने रेलवे की लापरवाही पर 50 लाख का मुआवजा ठोका है. शिकायतकर्ता का आरोप है कि वह महाकुंभ जाने के लिए अपनी फैमिली के साथ AC का टिकट लेकर स्टेशन पहुंचा, लेकिन ट्रेन का दरवाजा अंदर से बंद होने की वजह से वह ट्रेन में नहीं चढ़ सके. इस दौरान शिकायत के बाद भी रेलवे स्टाफ ने उनकी मदद नहीं की और ट्रेन छूट गई.
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष को लीगल नोटिस : इस लापरवाही पर मुजफ्फरपुर के गायघाट थाना क्षेत्र के जनक किशोर उर्फ राजन झा ने भारतीय रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी से 15 दिनों के भीतर ब्याज समेत टिकट की राशि वापस करने की मांग की है. अगर रेलवे निर्धारित समय में राशि वापस नहीं करता, तो 50 लाख रुपये का हर्जाना देने की भी चेतावनी दी है.
50 लाख का मुआवजा मांगा : शिकायतकर्ता का दावा है कि रेलवे की लापरवाही की वजह से वह और उनके परिजन प्रयागराज के महाकुंभ में भाग लेने से वंचित रह गए. इसके कारण उन्हें न केवल शारीरिक और मानसिक हानि हुई, बल्कि मोक्ष प्राप्ति के लिए जो अमृत स्नान का संयोग 144 वर्षों बाद आया था, वह भी उनसे छिन गया. जिसके चलते पीड़ित पक्ष ने 50 लाख के मुआवजे की डिमांड की है.
"मैं अपने सास और ससुर के साथ महाकुंभ के लिए मुजफ्फरपुर से एसी-3 का टिकट बुक किया था. स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस आई लेकिन उसका दरवाजा भीतर से लॉक था. हमने खुलवाने की कोशिश की लेकिन किसी ने गेट नहीं खोला. भीड़ इस कदर थी कि दूसरी बोगी से हम जा नहीं सके. इस वजह से हम मोक्ष से भी वंचित रह गए. वहां हमने स्टेशन मास्टर, और जीआरपी से भी मदद मांगी लेकिन किसी ने हमारी मदद नहीं की और ट्रेन चली गई. ये लापरवाही है. हमने रेलवे अध्यक्ष से अपने टिकट की रकम वापसी की डिमांड की है साथ मुआवजे का लीगल नोटिस भी भिजवाया है."- राजन झा, पीड़ित पक्ष, शिकायतकर्ता
ट्रेन की बोगी बंद होने के कारण हुआ नुकसान : राजन झा और उनके परिजनों ने 26 जनवरी को मुजफ्फरपुर से प्रयागराज जाने के लिए रेलवे का टिकट लिया था. 27 जनवरी को जब वे लोग स्टेशन पहुंचे, तो ट्रेन की बोगी का दरवाजा बंद था और ट्रेन में अवैध यात्री मौजूद थे. इस कारण ट्रेन में चढ़ने का कोई रास्ता नहीं था. उन्होंने स्टेशन मास्टर से शिकायत की, लेकिन कोई समाधान नहीं मिला. न ही रेलवे ने यात्रा के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था की. इससे वह महाकुंभ स्नान के लिए समय पर नहीं पहुंच सके और उनके धार्मिक कर्तव्यों का पालन नहीं हो सका.
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत दावा : राजन झा के अधिवक्ता एस.के. झा ने इस मामले को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत सेवा में कमी के रूप में पेश किया. उनका कहना है कि रेलवे का यह कर्तव्य था कि वह यात्रियों को समय पर और सुरक्षित तरीके से उनकी मंजिल तक पहुंचाए, लेकिन रेलवे ने अपनी जिम्मेदारी का पालन नहीं किया. इसके चलते राजन झा और उनके परिजनों को न केवल आर्थिक, बल्कि मानसिक और शारीरिक हानि भी हुई.
"ये दावा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत किया गया है. रेलवे ने अपने कर्तव्य का निर्वहन नहीं किया जिसके चलते शिकायतकर्ता को न सिर्फ आर्थिक बल्कि मानसिक और शारीरिक हानि भी हुई है. रेलवे अध्यक्ष को लीगल नोटिस भेजा गया है. उन्हें 15 दिन का समय दिया गया है. अगर बिना किसी देरी की पूरी राशि वापस नहीं करते हैं तो सक्षम न्यायायल में मुकदमा दायर करेंगे."- एसके झा, शिकायतकर्ता के अधिवक्ता
15 दिनों का समय, नहीं तो मुकदमा : राजन झा ने रेलवे को एक लीगल नोटिस भेजा है, जिसमें 50 लाख रुपये के हर्जाने का दावा किया गया है. उन्होंने रेलवे को 15 दिनों का समय दिया है कि वे बिना किसी देरी के पूरी राशि वापस करें. यदि इस अवधि में रेलवे ने कोई कदम नहीं उठाया, तो वह सक्षम न्यायालय में मुकदमा दायर करेंगे.
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